इस्रायल के ‘हॉलोकॉस्ट’ संबंधित कार्यक्रम में पाकिस्तानी शिष्टमंड़ल की मौजूदगी

जेरूसलम – दूसरे विश्व युद्ध में ज्यूधर्मियों को किए गए वंशसंहार की जानकारी साझा कर रहे कार्यक्रम में पाकिस्तानी शिष्टमंड़ल की भी मौजूदगी देखी गई। दूसरे विश्व युद्ध में ‘हॉलोकॉस्ट’ यानी ज्यूधर्मियों का वंशसंहार हुआ ही नहीं, यह एक सहानुभूति पाने के लिए ज्यूधर्मियों ने बनाई साज़िश ही है, ऐसे दावे पाकिस्तान में किए जाते है। इस्रायल का अस्तित्व भी मंजूर ना करनेवाले देशों में पाकिस्तान का भी समावेश है और पाकिस्तान के पासपोर्ट पर भी इस्रायल के लिए अवैध यह लिखा रहता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान ने इस्रायल को स्वीकृती प्रदान करके ताल्लुकात सुधारे, ऐसी मांग होने लगी है। इसका तीव्र विरोध किया जा रहा है, फिर भी पाकिस्तान इसी दिशा में कदम बढ़ाता दिख रहा है। इस्रायल के कार्यक्रम में पाकिस्तानी शिष्टमंडल की मौजुदगी यही संकेत दे रही हैं। 

शराका नामक एक स्वयंसेवी संस्था ने ‘हॉलोकॉस्ट’ संबंधित गलतफहमियां दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें पाकिस्तान के धार्मिक नेता, पत्रकार और कुछ सम्मानीत एवं जानेमाने बुद्धिमानों के समावेश के शिष्टमंड़ल शामिल हुआ। हॉलोकॉस्ट को लेकर पाकिस्तान में काफी बड़ी गलतफहमियां हैं, यह इस शिष्टमंड़ल के एक सदस्य पत्रकार ने कबुल किया है। साथ ही पाकिस्तान में ज्यूधर्मियों को लेकर असहिष्णुता की भावना होने की बात भी इस पत्रकार ने स्वीकार की।

पाकिस्तान और इस्रायल के बीच अभी भी राजनीतिक ताल्लुकात स्थापित नहीं हुए हैं। लेकिन, इसके लिए दोनों देश बीच बीच में कोशिश करते रहते हैं। खास तौर पर परवेझ मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष थे, तब उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाने की बात सामने आयी थी। लेकिन, पाकिस्तान के चरमपंथियों ने मुशर्रफ का विरोध करके उनकी कोशिशों को नाकाम किया था। इसके बाद इम्रान खान की सरकार ने भी ऐसी ही गतिविधियां शुरू की थी। उस समय में भी सख्त विरोध हुआ था।

हॉलोकॉस्ट संबंधित कार्यक्रम में शामिल हुए पाकिस्तानी शिष्टमंड़ल की भी इस देश में जोरदार आलोचना शुरू होती दिख रही है। इस्रायल के साथ पाकिस्तान के नेता गुप्त पद्धती से हाथ मिला रहा हैं, यह आरोप लगाना इस अवसर पर फिर से शुरू हुआ है।

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