लैटिन अमरीका और कैरेबियन क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ा – अमरिकी रक्षा अधिकारीकी चेतावनी

वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरीका के ‘बैकयार्ड’ के तौर पर पहचान बने लैटिन अमरिकी महाद्वीप एवं कैरेबियन द्वीप क्षेत्र में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ रहा हैं, ऐसी चेतावनी अमरिकी रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। कुछ दिन पहले अमरिकी संसदिय समिती में हुई सुनवाई के दौरान यह चेतावनी देने की जानकारी सामने आयी है। सुनवाई के दौरान बायडेन प्रशासन के इस महाद्वीप की ओर हो रही अनदेखी पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। दिसंबर २०२१ में चीन और लैटिन अमरिकी देशों की संगठन ‘सेलैक’ ने बड़ा समझौता किया था। इस के माध्यम से चीन लैटिन अमरिकी देशों को परमाणु, ५ जी प्रौद्योगिकी के साथ अंतरिक्ष और रक्षा सहयोग मुहैया करेगा, यह स्पष्ट हुआ था।  

चीन का प्रभावअमरिकी नौसेना के सदर्न कमांड के प्रमुख जनरल लॉरा रिचर्डसन की संसद के ‘हाउस आर्म्ड सर्विसेस कमिटी’ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान जनरल रिचर्डसन ने चीन की लैटिन अमरिकी क्षेत्र में शुरू गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित किया। ‘चीन ने इस क्षेत्र में नागरी एवं सैन्य ऐसे दोहरे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल मुमकिन होगा इस तरह के अंतरिक्ष उपक्रमों का निर्माण किया है। बड़े आर्थिक सहायता के बलबुते पर इस क्षेत्र की हुकूमतों को अपने ताल पर नचाने की क्षमता चीन रखता है। इसके अलावा लैटिन अमरीका के बंदरगाह और खनिजों के खदानों जैसे अहम उपक्रमों पर भी चीन ने कब्ज़ा पाया हैं’, ऐसा बयान करके सदर्न कमांड के प्रमुख ने आगाह किया।

‘चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इस क्षेत्र के राष्ट्रप्रमुखों से लगातार संपर्क बना रहे हैं। अमरीका ने भी यही नीति अपनानी होगी। लेकिन, ब्राज़ील, चिली जैसे इस क्षेत्र के प्रमुख देशों में कई सालों से अमरिकी राजदूत की भी नियुक्ती नहीं हुई है। यह बात यही दर्शाता है कि, अमरिकी प्रशासन गंभीर नहीं हैं’, इन शब्दों में जनरल लॉरा रिचर्डसन ने बायडेन प्रशासन की अकार्यक्षमता को फटकार लगाई।

चीन ने अपने महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ के तहत लैटिन अमरिकी देशों में अरबों डॉलर्स निवेश किए हैं। पिछले १६ सालों में चीन ने लैटिन अमरिकी देशों को विभिन्न क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए लगभग १५० अरब डॉलर्स ऋण प्रदान किया होने की जानकारी सामने आयी है। इसके अलावा पिछले दो दशकों में चीन और लैटिन अमरिकी देशों के बीच जारी व्यापार में भारी २५ गुना बढ़ोतरी हुई हैं। वर्ष २०० में चीन और लैटिन अमरिकी देशों का व्यापार १२ अरब डॉलर्स था, अब यह बढ़कर ३०० अरब डॉलर्स से अधिक है। काफी लैटिन अमरिकी देशों के लिए चीन ही सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश बना हैं। इससे पहले यह स्थान अमरीका का था।

वैश्विक व्यापार के नज़रिये से अहम ‘पनामा नहर’ क्षेत्र के दो बंदरगाह फिलहाल चीन के कब्ज़े में हैं। लैटिन अमरीका के अर्जेंटिना, बोलिविया और चिली यह देश ‘लिथियम ट्रैंगल’ के तौर पर जाने जाते हैं। इनमें से बोलिविया के लिथियम क्षेत्र में चीन ने एक अरब डॉलर्स से भी अधिक निवेश किया है। अर्जेंटिना में चीनी कंपनी अंतरिक्ष केंद्र का निर्माण किया है और इसका इस्तेमाल अमरिकी क्षमताओं को लक्ष्य करने के लिए हो सकता है, ऐसी चेतावनी रक्षा विभाग ने दी है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में चीन को रोकने की कोशिश शुरू हुई थी। लेकिन, उनके बाद बागड़ोर संभाल रहे बायडेन प्रशासन चीन की गतिविधियों को अभी भी ज्यादा गंभीरता से देख नहीं रहा है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं। 

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