पाकिस्तान ने सिस्तान-बलोचिस्तान पर हमला करके ईरान को दिया प्रत्युत्तर – ईरान से बैर पाकिस्तान के लिए महंगा साबित होगा, विश्लेषकों का इशारा

तेहरान/इस्लामाबाद – ईरान ने पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत पर मिसाइल और ड्रोन हमले करके ‘जैश अल-मदल’ के आतंकवादियों को लक्ष्य किया था। गुरुवार को हुए इस हमले पर पाकिस्तान ने प्रत्युत्तर दिया है और ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत पर ‘किलर ड्रोन’ और मिसाइलों के हमले किए है। पाकिस्तान के इस हमले में ९ लोग मारे गए हैं और इन मृतकों में ईरान का एक भी नागरिक नहीं है, यह जानकारी भी ईरान ने साझा की है। साथ ही इस हमले का ईरान ने निषेध दर्ज़ किया है और इस मामले में पाकिस्तान के राजनीतिक अधिकारियों से खुलासा करने को कहा है। वहीं, पाकिस्तान ने इस हमले में बलोच विद्रोहियों को मार गिराने का बयान किया है। यह हमला करके ईरान को प्रत्युत्तर देने की वजह से पाकिस्तान की प्रतिष्ठा कायम रही, ऐसा दावा इस देश के माध्यम कह रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान के ज़िम्मेदार विश्लेषक ईरान में किए इस हमले के आगे पाकिस्तान के सामने गंभीर परिणाम सामने आएंगे, ऐसी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

ईरान ने बलोचिस्तान प्रांत पर मंगलवार की रात हमला करके जैश अल-अदल के आतंकवादियों के अड्डे को लक्ष्य किया था। यह हमला पाकिस्तान पर नहीं, बल्कि ईरान विरोधी आतंकवादी संगठन पर करने की बात ईरान ने स्पष्ट की थी। इस हमले के आदेश ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खामेनी ने ही जारी किए थे, ऐसी चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है। इस हमले के बाद ईरान को प्रत्युत्तर देने की बड़ी जोरदार मांग पाकिस्तान में उठ रही थी। इसका पाकिस्तान की सेना पर भारी दबाव बना। इसी कारण से पाकिस्तान प्रत्युत्तर में ईरान पर हमला नहीं करेगा, यह विश्लेषकों ने किए दावों को गलत साबित करके पाकिस्तान ने ईरान पर किलर ड्रोन और मिसाइल हमले करने का साहस दिखाया। गुरुवार को यह हमला करने के बाद पाकिस्तान ने गोपनीय जानकारी को आधार बनाकर बलोच विद्रोहियों पर यह हमला करने का दावा किया। यह हमला काफी सटीक था और इससे ईरान के एक भी नागरिक का नुकसान नहीं हुआ है, यह भी पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है।

पाकिस्तान ने सिस्तान-बलोचिस्तान पर हमला करके ईरान को दिया प्रत्युत्तर - ईरान से बैर पाकिस्तान के लिए महंगा साबित होगा, विश्लेषकों का इशाराइस हमले के बाद पाकिस्तान ने ईरान के साथ हमें अच्छे ताल्लुकात की उम्मीद होने के दावे करना शुरू किया है। साथ ही ईरान ने पाकिस्तान के क्षेत्र में हमले करने के बाद प्रत्युत्तर देने के अलावा पाकिस्तान के सामने अन्य विकल्प ही नहीं था, नहीं तो अन्य देशों को गलत संदेश प्राप्त होता, ऐसा पाकिस्तान के पत्रकार, विश्लेषक, माध्यम और पूर्व सैन्य अधिकारी कह रहे हैं। लेकिन, इस हमले के बाद पाकिस्तान-ईरान जो भी कुछ हुआ है वह भुलकर फिर से सहयोग स्थापित करें, ऐसी मांग यह सभी कर रहे हैं।

अपने प्रमुख सहयोगी देश ईरान और पाकिस्तान एक-दूसरें के विरोध में खड़े हुए देखकर चीन काफी बौखलाया है। दोनों देशों में चीन ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं और इन दोनों देशों में चीन के रणनीतिक हितसंबंध जुड़े होने की बात बार बार स्पष्ट हुई थी। इसी कारण से चीन ने ईरान और पाकिस्तान का समेट करने के लिए मध्यस्थता करने की ‘ऑफर’ दी है। वहीं, अमेरिका ने ईरान के विरोध में भूमिका अपनाकर पाकिस्तान को अपना समर्थन रहेगा, यह घोषित किया। वहीं, भारत ने अप्रत्यक्ष पद्धती से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाकर हम ईरान की भूमिका समझ सकते हैं, ऐसा सूचक बयान किया है। आतंकवाद बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति के तहत ईरान ने यह कार्रवाई की थी, ऐसे संकेत भारत ने दिए हैं।

इसी बीच, पाकिस्तान के हमले के बाद ईरान ने अभी उतनी तीखीं प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है, फिर भी आगे के समय में पाकिस्तान को सबक सिखाए बिना ईरान शांत नहीं रहेगा, ऐसी चिंता पाकिस्तान में ही जताई जा रही है। ईरान के हमले के बाद पाकिस्तान ने ‘रणनीतिक संयम’ दिखाया होता तो वहीं अच्छा हुआ होता। क्यों कि, पाकिस्तान को अब एक ही समय पर भारत, अफ़गानिस्तान और ईरान इन तीन मोर्चों पर मुकाबला करना होगा। एक समय पर तीन पड़ोसी देशों से बैर करने की क्षमता पाकिस्तान नहीं रखता। इसका भारत पुरा लाभ उठाएगा और ‘पीओके’ पर हमला करेगा, यह ड़र पाकिस्तान के कुछ पत्रकार व्यक्त कर रहे हैं।

उसके भी आगे जाकर पाकिस्तान ने ईरान पर हमला करने का ठेका अमेरिका से प्राप्त किया है, ऐसी आलोचना भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं। इसी कारण से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन ‘आयएस-खोरासान’ ने ईरान के केरमान में बम विस्फोट करके सौ से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी। इससे गुस्सा हुए ईड़ान ने पाकिस्तान के बलोचिस्तान पर मिसाइल और ड्रोन हमला किया। बाद में पाकिस्तान ने ईरान पर हमला करके हम अमेरिका के हितसंबंधों के खातिर ईरान से युद्ध करने का खतरा उठाने के लिए तैयार होने की बात दर्शायी है। अमेरिका के इशारे पर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश ने पाकिस्तान के लिए ७० करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता घोषित करने के बदले में पाकिस्तान ने यह खतरा उठाया है, ऐसे बयान भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं। इस वजह से आगे के समय में पाकिस्तान ने ईरान के विरोध में ऐसी हरकतें जारी रखी तो इसमें आश्चर्य कुछ भी नहीं होगा, यह भारतीय विश्लेषकों का कहना है।

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