भारत की तरह पाकिस्तान भी अमरीका का भागीदार – अमरिकी विदेश मंत्रालय का भारत को ‘संदेश’

वॉशिंग्टन – पाकिस्तान के ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों के लिए ४५ करोड़ डॉलर्स का पैकेज देकर यह सहायता आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए होने का दावा अमरीका ने किया था। इन विमानों की क्षमता के मद्देनज़र इसे कहां पर और किस कारण तैनात किया जाएगा, इसका पूरा अहसास भारत को है। कारण बताकर अमरीका भारत को मूर्ख नहीं बना सकती, ऐसी फटकार भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अमरीका को लगाई थी। इस पर अमरीका ने खुलासा किया है। भारत और पाकिस्तान दोनों अमरीका के ‘पार्टनर’ अर्थात भागीदार हैं, ऐसा कहकर दोनों देशों के साथ हमारे संबंध स्वतंत्र हैं, ऐसा प्रत्युत्तर अमरीका ने दिया है।

अमरीका का भागीदारअमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने माध्यमों से बातचीत करते समय अपने देश की भूमिका रखी। अमरीका भारत के संबंधों का विचार करके पाकिस्तान के साथ सहयोग नहीं करती। दोनों देशों के साथ अमरीका के संबंध स्वतंत्र है और कुछ समय पर दोनों देशों के साथ समान मूल्यों और हितों पर आधारित होते हैं, यह दावा प्राईस ने किया। साथ ही भारत के साथ अमरीका के संबंधों के लिए विशेष अहमियत होने की बात भी प्राईस ने स्पष्ट की। लेकिन, यह राजनीतिक भाषा के शब्दों में हेरफेर को किनारे रखकर सोचें तो भारत और पाकिस्तान को अमरिकी विदेश मंत्रालय ने एक ही तराजू में तोलने की बात दिखाई देती है।

विदेशमंत्री जयशंकर की अमरीका यात्रा में उन्होंने अमरिकी रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन से मुलाकात करने का वृत्त है। दोनों देशों में रक्षा सहयोग बढ़ाने का मुद्दा इस चर्चा में सबसे ऊपर होने की बात कही जा रही है। इस द्वीपक्षत्रीय मुलाकात और सहयोग पर चर्चा हो रही है, फिर भी बायडेन प्रशासन के पाकिस्तान संबंधित बदलती नीति भारत को सोचने पर मज़बूर करती है, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। पहले के ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान को लेकर अपनाई हुई सख्त नीति बायडेन प्रशासन बदल रहा है और धीरे-धीरे बायडेन प्रशासन ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के लिए अनुकूल भूमिका अपनाना शुरू किया है। अमरीका और पाकिस्तान के ताल्लुकात स्वतंत्र होने के कितने भी दावे किए जाएं तब भी बायडेन प्रशासन भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करने का पूराना तंत्र अपनाएगा, ऐसा स्पष्ट दिख रहा है।

अमरीका का भागीदारइसकी तैयारी बायडेन प्रशासन ने काफी पहले से की है और ‘एफ-१६’ विमानों के लिए पाकिस्तान को ४५ करोड़ डॉलर्स की सहायता सिर्फ इसकी शुरूआत है। आनेवाले समय में बायडेन प्रशासन इसके अगले निर्णय करने की कड़ी संभावना है। इसमें ‘फायनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को हटाने के निर्णय का भी समावेश हो सकता है। यूक्रेन युद्ध में भारत ने रशिया के खिलाफ होने से इन्कार किया था। साथ ही अमरीका के दबाव के बावजूद भारत ने रशिया से ईंधन खरीदकर रुपया-रुबल के माध्यम से व्यापार शुरू किया था। भारत को रशिया के साथ इस सहयोग की कीमत चुकानी पडेगी, ऐसा बायडेन प्रशासन ने धमकाया था।

पाकिस्तान की सहायता बढ़ाकर बायडेन प्रशासन इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन, भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल करने का तंत्र काफी पीछे रह गया है और मौजूदा पाकिस्तान के पास भारत को रोकने की क्षमता नहीं रही। इस वजह से बायडेन प्रशासन की इस दबाव नीति की काफी बड़ी सीमा है। तथा भारत और अमरीका के संबंधों में इससे तनाव निर्माण हो सकता है, इसका स्पष्ट अहसास भारत के विदेशमंत्री ने अमरीका को कराया है। शीतयुद्ध के दौर में अमरीका की पाकिस्तान समर्थक नीति का बुरा असर भारत और अमरीका के संबंधों पर पड़ा था, इसकी याद विदेशमंत्री जयशंकर ने हाल ही में दिलाई थी। अमरीका वही गलती दोहरा रही है, इस पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया था।

लेकिन, भारत की इस चेतावनी के बावजूद अमरीका के परंपरागत मित्रदेशों के हितों को खतरा निर्माण करनेवाले निर्णय करने का सिलसिला शुरू करनेवाले बायडेन प्रशासन की नीति में विशेष बदलाव होने की संभावना नहीं है।

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