इस्लामाबाद और कराची के आसमान में अमरीका के चिनूक हेलिकॉप्टर्स मंड़राये – पाकिस्तान की जनता ड़र के साये में

इस्लामाबाद – पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हज़ारों अमरिकी सैनिक दाखिल होने की बात स्पष्ट होने के बाद पाकिस्तान की जनता ड़र के साए में हैं। इसके कुछ ही दिन बाद अमरिकी वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर्स इस्लामाबाद और कराची के आसमान में मंड़राते देखें गए हैं। इसके बाद, पाकिस्तान में क्या हो रहा हैं? ऐसा सवाल इस देश के माध्यम कर रहे हैं। इसके साथ ही अफ़गानिस्तान में उभरी स्थिति के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार होने का ठिकरा फोड़कर अमरीका जोरदार कार्रवाई करेगी, इस ड़र से कुछ पाकिस्तानी विश्‍लेषकों को सदमा लगा हैं।

चिनूक हेलिकॉप्टर्सइस्लामाबाद के होटल्स में अमरिकी सैनिक रह रहे हैं। इन होटलों से पाकिस्तानी नागरिकों को शीघ्रता से बाहर निकालकर वहाँ पर अमरिकी सैनिकों को रखा गया था। सोशल मीडिया पर इसके फोटो जारी हुए और इसके बाद पाकिस्तान की सरकार ने इसकी कबुली भी दी। लेकिन, अमरिकी सैनिकों का यहाँ पर ठहरना मात्र २१ से ३० दिनों के लिए ही होगा, यह ऐलान भी पाकिस्तान की सरकार ने किया है। लेकिन, अमरीका को लष्करी अड्डा प्रदान नही करेंगे, यह बात ड़टकर कह रही पाकिस्तान की सरकार ने अमरिकी सैनिकों को इस्लामाबाद आने की अनुमति कैसे प्रदान की? इसका जवाब पाकिस्तान की सरकार ने दिया नहीं है।

इसी बीच, राजधानी इस्लामाबाद और कराची शहर के आसमान में अमरीका के चिनूक हेलिकॉप्टर्स मंड़राने के वीडियोज्‌ बनाकर पाकिस्तानी नागरिकों ने ही ये वीडियोज्‌ सोशल मीडिया पर पोस्ट किए। इससे इम्रान खान की सरकार बुरी तरह से मुश्‍किलों से घिर चुकी हैं। इसके साथ ही ‘पॉलिटिको’ नामक अमरिकी पत्रिका ने किया दावा पाकिस्तान के माध्यमों में बड़ी चर्चा में है। अल कायदा और आयएस-खोरासन इन आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए अमरीका ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया है। यह जानकारी साझा करनेवाले गोपनीय कागजात सार्वजनिक हुए हैं और इससे पाकिस्तान की मुश्‍किलें और भी बढ़ाई दिख रही हैं।

चिनूक हेलिकॉप्टर्सअबतक के आतंकवाद विरोधी युद्ध में पाकिस्तान ने अमरीका का साथ करने का आभास निर्माण करके, असल में आतंकी संगठनों का बचाव किया था। तालिबान को अफ़गानिस्तान में हासिल हुई कामयाबी भी, पाकिस्तान ने किए विश्‍वासघात का नतीज़ा होने का आरोप अमरीका के वरिष्ठ नेता लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका ने, अल कायदा और आयएस-खोरासन जैसे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर बनाया दबाव अलग ही संकेत दे रहा हैै। आतंकियों से ताल्लुकात रखनेवाला परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के वर्चस्व में ना जाए, इसी उद्देश्‍य से अमरीका की कोशिश जारी है, यह बात इन कागजातों से स्पष्ट हुई है। साथ ही, सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान छोड़ने के लिए पाकिस्तान ने अमरीका के सैनिक और नागरिकों को प्रदान की हुई सहायता पर अमरीका ध्यान नहीं दे रही है, यह शिकायत भी इन कागजातों में दर्ज़ है।

ज्यो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खास से फोन पर भी बातचीत नहीं की। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अफ़गानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान ने की हुई सहायता का भी अमरीका ने विशेष संज्ञान नहीं लिया। लेकिन, अफ़गानिस्तान से बाहर निकली अमरीका की फौज फिर भी पाकिस्तान की राजधानी में रह रही है। यह पाकिस्तान के लिए बड़ी खतरनाक बात साबित होती है। अगले दिनों में इस्लामाबाद में कुछ तो विपरित होगा, यह चिंता पाकिस्तानी विश्‍लेषक जता रहे हैं। इसके अलावा अमरीका ने अफ़गानिस्तान से की हुई वापसी, पाकिस्तान को तबाह करने के लिए ही है, यह ड़र भी एक विश्‍लेषक ने व्यक्त किया है।

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