गुरुजी का प्रेम

गुरुजी का प्रेम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २७ सन १९६५ के युद्ध के बाद प्रधानमंत्री लालबहाद्दूर शास्त्रीजी का निधन हो गया| यह बहुत ही दुखदायी घटना थी| इस युद्ध में जीती हुई भूमि पाक़िस्तान को लौटाने की ग़लती शास्त्रीजी ने की थी| राजनीति के मोरचे पर हुए इस पराभव के अपवाद को यदि बाजू में रखें, […]

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चेन्नई भाग-५

चेन्नई भाग-५

पिछले भाग में हमने शिक्षा प्रदान करनेवाली चेन्नईस्थित संस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना शुरू किया। मद्रास मेडिकल कॉलेज की स्थापना तथा विस्तार इससे हम पिछले भाग में परिचित हुए। अंग्रे़जों ने भारत में आने के बाद यहाँ विभिन्न शिक्षासंस्थाएँ स्थापित की, अस्पतालों का निर्माण किया। खुदकी सुविधा की दृष्टि से उन्होंने यह सब […]

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पृथ्वी को ही हिलाकर रख दिया!

पृथ्वी को ही हिलाकर रख दिया!

यांत्रिक ज्ञान विनाशकारी दिखाई दे सकता है और उसकी डिज़ाईन भी उसी प्रकार की लग सकती है, मग़र हक़ीक़त में वह ऐसा नहीं है। उसकी संकल्पना तैयार करके, उस पर काम करते समय डॉ. टेसला के मन में विध्वंस का नहीं बल्कि विधायक एवं मानवीय हित का ही विचार था। इस यांत्रिक ज्ञान का उपयोग […]

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हैद्राबाद और जुनागढ़

हैद्राबाद और जुनागढ़

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २१ सन १९४८ में कश्मीर जीत लेना भारतीय सेना के लिए बहुत ही आसान था। भारत के साथ युद्ध छेड़नेवाले पाक़िस्तान की सेना यहाँ से दूम दबाकर भागी थी। आगे जाकर पूरे कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए भारतीय सेना को कुछ ख़ास करने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन […]

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हेन्री विल्यम फोर्ड (१८६३-१९४७ )

हेन्री विल्यम फोर्ड (१८६३-१९४७ )

भारतीयों को एक लाख में मिलने वाली कार देना यह मेरा स्वप्न है और उस दृष्टि से मैंने प्रयत्न भी शुरू कर दिए हैं। – रतन टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले टाटा के द्वारा की गई इस घोषणा के बाद पूरे भारतवर्ष के उद्योग जगत में खलबली मच गई। […]

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डॉ. जॉर्ज वॉशिंग्टन कार्व्हर

डॉ. जॉर्ज वॉशिंग्टन कार्व्हर

क्या आप रहस्य जानना चाहते हो? तो फिर वस्तुओं को सूक्ष्मता से, गहराई से देखना सीखो| उसका विश्‍लेषण करो, उसके घटक द्रव्यों के प्रति ध्यान रखो| इसी में से विश्‍व की नवीन संरचना की जा सकती है| ‘जहॉं हो वहीं से आरंभ करो, हाथ में जो भी है, उसी का उपयोग करो| लगातार निर्मिति करने […]

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क्रान्तिगाथा – ४

क्रान्तिगाथा – ४

हालात काफ़ी मुश्किल बन गये थे। अब भारत में एक भी राज्य ऐसा नहीं था, जिस पर अँग्रेज़ों का कब्ज़ा नहीं था। कुछ जगह अँग्रेज़ों का प्रत्यक्ष राज था, वहीं कुछ पर वे अप्रत्यक्ष रूप से शासन कर रहे थे। अब इन हालातों को न चाहते हुए भी जनता को स्वीकार तो करना ही पड़ […]

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डॉ. जगदीशचंद्र बोस- भारतीय वनस्पति शास्त्रज्ञ

डॉ. जगदीशचंद्र बोस- भारतीय वनस्पति शास्त्रज्ञ

विज्ञान क्षेत्र के मौलिक संशोधन भारत में भी हो सकते हैं, यह भारतीय शास्त्रज्ञ डॉ. जगदीशचंद्र बोस ने इ.स.१८९५ में सारी दुनिया को दिखा दिया। सन १८८७ वर्ष में हाईनीश हर्टस नाम के जर्मन शास्त्रज्ञ ने विद्युत लहर के प्रकाशीय गुणधर्म सिद्ध कर दिखाया। ‘क्ष’ किरण की तरह हार्झियन लहर उस काल में बड़ा ही […]

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ग्रेगॉर मेंडेल

ग्रेगॉर मेंडेल

सभी स्तरों पर बढती हुई गति से एवं विभिन्न शाखाओं में होनेवाले बदलाव अधिकाधिक जिज्ञासा निर्माण कर रहे हैं। केवल प्रकृति की देन पर संतुष्ट होकर जीवन वयतीत करने के बजाए जिज्ञासा के बल पर विश्‍व के अधिक संशोधनों के दालान खोलनेवाले महान वैज्ञानिक थे ग्रेगॉर मेंडेल। ग्रेगॉर मेंडेलजी का जन्म आज के ज़ेक रिपब्लिक […]

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डॉ. नॉर्मन बोरलॉग

डॉ. नॉर्मन बोरलॉग

मानव को खेती का ज्ञान हुआ, यह एक महत्वपूर्ण खोज थी। इन्सान और अन्य प्राणियों में भिन्नता दिखानेवाली यह एक महत्वपूर्ण खोज साबित हुई। संपूर्ण मानवसमाज को जिन्दा रखनेवाले खेती जैसे उत्पादक क्षेत्र के आवाहनों का स्वीकार कर, कल्याणकारी संशोधन करनेवाले नॉर्मन बोरलॉग निश्‍चित रूप से बीसवीं सदी के एक विख्यात वैज्ञानिक माने जाते हैं। […]

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