पृथ्वी को ही हिलाकर रख दिया!

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यांत्रिक ज्ञान विनाशकारी दिखाई दे सकता है और उसकी डिज़ाईन भी उसी प्रकार की लग सकती है, मग़र हक़ीक़त में वह ऐसा नहीं है। उसकी संकल्पना तैयार करके, उस पर काम करते समय डॉ. टेसला के मन में विध्वंस का नहीं बल्कि विधायक एवं मानवीय हित का ही विचार था। इस यांत्रिक ज्ञान का उपयोग मरुस्थल एवं बंजर जमीन पर करके, मिट्टी की क्षमता बढ़ाकर उसे उपजाऊ एवं निर्मितिक्षम बनाया जा सके, यही इन सब के पीछे होने वाला सच्चा उद्देश्य था। डॉ. टेसला का प्रत्येक संशोधन सामान्य मानवों के लिए हितोपयोगी साबित हो इसी बात को मद्देनजर रखते हुए किया गया था।

और उन्होंने पृथ्वी को ही हिलाकर रख दिया!

यदि तुम्हें दुनिया के अनाकलनीय बातों की खोज करनी है, तब इसके लिए ऊर्जा, लहरें एवं कंपन इनके माध्यम से विचार करना होगा, यह डॉ. टेसला द्वारा किये गये व्यक्तव्य का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विधान था ऐसा कहा जाता था। इससे पहले हमने अपने लेख में दुनिया की सभी बातें सिर्फ और सिर्फ लहरों का ही खेल होता है यह देखा और यह सच भी है। नैसर्गिक सभी चीज़े इस में आती हैं जिसे-वृक्ष, जमीन, पानी इन सबसे लेकर मानवों तक सभी घटक ऊर्जा, लहरें एवं कंपन से ही बने हैं। उसी लेखमाला में हमने, ‘व्हायब्रेशनल फ्रीक्वेंसी’ की भी जानकारी हासिल कर ली। इस दुनिया का हर एक पदार्थ अणु एवं उससे भी सूक्ष्म होने वाले कणों से बना हुआ है। और यह अतिसूक्ष्म कण हर पल कंपित होते रहते हैं। इन कणों के जो कंपन होते हैं, उसे ही ‘व्हायब्रेशन फ्रीक्वेंसी’ कहते हैं।

डॉ. टेसला द्वारा ऊपर दिए गए वक्तव्य से एक बात निर्विवाद स्वरुप में स्पष्ट होती हैं और वह है कि उनके सभी शोध, ऊर्जा, कंपन एवं लहरों पर आधारित हैं। आज के लेख में हम डॉ. टेसला द्वारा ‘डिझाईन’ किए गए अनोखे यंत्र के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। इस यंत्र से केवल उस समय के वैज्ञानिक, संशोधक अभियंता एवं नागरिकों को ही आश्‍चर्यचकित नहीं किया बल्कि आज के आधुनिक युग में भी उसे देखने पर लोग दाँगो तले ऊँगली दबा देंगे।

यह यंत्र है ‘टेसला ऑसिलेटर’ इस नाम से प्रसिद्ध होने वाला ‘कोरोना डिस्चार्ज ओझोन जनरेटर’। इस यंत्र के जानने से पहले, थोड़ा समझदारी से काम लेना पड़ेगा। क्योंकि अब हम जो जानकारी हासिल करने वाले हैं, उस पर विश्‍वास कर लेना इतना आसान नहीं है। इससे पहले हमारे सामने कभी इस प्रकार की जानकारी नहीं आयी होगी। इसीलिए हमें आश्‍चर्य में डाल देने वाली यह जानकारी हमें परीकथा भी लग सकती है। परन्तु यह परीकथा नहीं है, बल्कि १०० % प्रतिशत सत्य है।

डॉ. टेसला कंपन के (रेझोनन्स) सामर्थ्य से बहुत ही प्रभावित हो चुके थे और उस पर इलेक्ट्रिकल एवं यांत्रिकी (धरातल) स्तर पर प्रयोग भी कर रहे थे। १९१२ में  फरवरी एक महीने में ‘वर्ल्ड टू डे’ में डॉ.टेसला की ‘निकोल टेसला, ड्रीमर’ नामक एव मुलाकात प्रसिद्ध हुई थी। इस मुलाकात में डॉ.टेसला ने पृथ्वी के ही अनुकंपनों का उपयोग करके उसे दूसरे कंपनों के साथ जोड़कर (व्हायब्रेशन्स) जोड़कर पृथ्वी का विभाजन करना संभव हो सकता है इस बात का दावा किया था।

उन्होंने आगे चलकर यह भी कहा था कि ‘मैं आने वाले कुछ सप्ताहों में हे, पृथ्वी के कवच में इस प्रकार का कंपन निर्माण करूँगा कि उस में बहुत बड़े पैमाने पर उथल-पुथल मच जायेगी, नदियाँ भी अपनी सीमाओं को तोड़कर बाहर बहने लगेगी, इमारतें ढ़ह जायेंगी।’ डॉ.टेसला का यह वक्तव्य केवल शेखी बघारना नहीं था और ना ही किसी मिडिया आदि का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला बल्कि उनको अपने इस संशोधन पर पूरा विश्‍वास था।

डॉ. टेसला ने अपने मैनहट वाली प्रयोगशाला में मैकनिकल व्हायब्रेटर्स बनाया और उसका परीक्षण भी किया। इनमें से एक प्रयोग में, डॉ.टेसला ने कॉम्प्रेस्ड एअर का उपयोग किया जाने वाली शक्तिशाली व्हायब्रेटर एक फौलादी खंबे से जोड़ दिया। उसे वैसे ही छोड़कर वे अपने दूसरे कामों में मग्न हो गए। काम में उलझे रहने के कारण इस व्हायब्रेटर को बाजू में निकालकर रखना वे भूल गए। इसके पश्‍चात् जो कुछ भी हुआ, वह तो मानो दिल दहला देने लायक था। उनके प्रयोगशाला के बाहर का रास्ता अचानक हिलने लगा, इस से प्रयोगशाला के बाहर का रास्ता अचानक हिलने लगा, इससे भूकंप के समान झटके आने लगे खिड़कियाँ तड़क गयीं, वजनदार यंत्र अलग होकर टूटकर गिर गएँ (बिखर गएँ), रास्तों के ऊपरी हिस्सों में दरारें पड़ गयीं। प्रयोगशाला के ऑक्सिलेटर्स को इमारतों के नीचे रहने वाले जमीन के थरों में, बालू के नीचे होनेवाले थरों में से योग्य कंपन लहरों के मिलने के कारण पृथ्वी को झटके लगने की प्रक्रिया शुरु हो गई थी, उसी का यह नतीजा था।

डॉ.निकोल टेसला ने इसी प्रकार दूसरे एक प्रयोग शाला में बैटरी पर चलने वाली अर्लाम घड़ी के आकार का व्हायब्रेटर, इमारत का बांधकाम चल रहा था उसी के चौखट पर बिठा दिया। उसकी लहरों को योग्य प्रमाण में निश्‍चित करके, उस में कंपन छोड़ना शुरु कर दिया। इसके साथ ही वह पूरा का पूरा चौखट और उसके साथ ही वहा की ज़मीन भी हिलनी शुरु हो गयी। इसके पश्‍चात् डॉ.टेसलाने उस समय में दुनिया की सबसे ऊँची इमारत के रुप में प्रसिद्ध रहने वाले ‘एम्पायर स्टेट बिल्डिंग’ भी हम इसी प्रकार के उपकरण की सहायता से हिला सकते हैं, ऐसा दावा पूरे विश्‍वास के साथ किया। डॉ.टेसला के इलेक्ट्रिकल व्हायब्रेटरस से वायू में होने वाले लचिले पन का बड़ी खुबी के साथ उपयोग किया था। टेसला कॉईल्स में भी इलेक्ट्रिकल माध्यम में होनेवाले लचिले पन का यशस्वी उपयोग किया गया था।

इस प्रयोग से, डॉ. टेसला के ऑसिलेटर्स को ‘टेसलाज् अर्थक्वेक मशीन’ यह उपनाम दिया गया।

१९३५ में ११ जुलाई के दिन ‘न्यूयार्क अमेरिकन’ में एक लेख प्रकाशित हुआ। उस लेख का शीर्षक था, ‘टेसलाज् कंट्रोल्ड अर्थक्वेक’। उस में डॉ. टेसला ने ‘द आर्ट ऑफ टेलिज़िओडायनॅमिक्स’ नाम से पृथ्वी में यंत्र की सहायता से कंपन छोड़ने के संदर्भ में किए गए प्रयोगों की जानकारी दी गयी थी। विविध संशोधकों ने इस टेलि-जिओडायनॅमिक्स अर्थात एक प्रकार का नियंत्रित भूकंप करवाने का प्रकार होने का दावा किया। अपने लेख में डॉ.टेसला ने कहा है कि, ‘जमीन के अंदर से नियंत्रित कंपन जब प्रवाह करती हैं तब इस से ऊर्जा बिलकुल भी बेकार नही होती। इसीलिए बहुत दूर के अंतर पर यांत्रिकी परिणाम घटित करवाकर, उससे अभूतपूर्व सकारात्मकम परिणाम हासिल किया जा सकता है।

इस शोध का उपयोग युद्ध के समय विनाशकारी परिणाम घटित करने के लिए भी किया जा सकता हैं, इस बात की जानकारी डॉ. टेसला को अच्छी तरह से थी। इसीलिए उन्होंने यांत्रिक ज्ञान के परिणाम के प्रति तीव्र चिंता भी व्यक्त की थी। क्योंकि एक बार यदि पृथ्वी में कंपन आरंभ हो जाता है, तब इस यांत्रिक ज्ञान पर काबू पाना मुश्किल होगा और परिणाम स्वरूप पृथ्वी को झटके लग-लगकर उसके टुकड़े-टुकड़े हो सकते हैं।

यह यांत्रिक ज्ञान दिखायी देने में यदि विनाशकारी दिखायी देता है और उसका ड़िझाईन भी कुछ उसी प्रकार का दिखायी देता हो परन्तु प्रत्यक्ष में ऐसा नहीं था। उसकी संकल्पना तैयार कर उस पर काम करते समय डॉ. टेसला ने विध्वंस का नहीं बल्कि विधायक एवं मानवीय हित का ही विचार किया था। इस यांत्रिकज्ञान का उपयोग मरुस्थल एवं बंजर जमीन पर करके मिट्टी की क्षमता बढ़ाकर उसे उपजाऊ एवं निर्मितीक्षम बनाया जा सके, यही इसके पिछे का सच्चा हेतु था।

डॉ.टेसला का हर एक शोध कार्य सामान्य मानवों के हित के लिए एवं उसे केन्द्र में रखकर ही किया गया था। डॉ. टेसला के सुपरब्रेन से निकला हुआ ऐसा ही एक शोध कार्य हमें आश्‍चर्य चकित कर देगा। डॉ. टेसलाने बिजली का उपयोग खाद के रूप में करने की संकल्पना प्रस्तुत की थी। किसान अपनी अच्छी फसल हेतु अपनी आधे से अधिक मिल्कियत खाद के लिए खर्च कर देता है। इस बात का अहसास उन्हें भली-भाँति था। इसीलिए उन्होंने हर किसी के बस में आ सके उनके हैसियत के अनुसार उपयोग में लायी जा सके, इस प्रकार की ‘इलेक्ट्रिकल फ़र्टिलाइज़रमशीन’ विकसित की थी।

इसके प्रति होने वाला उनका विचार बिलकुल स्पष्ट था। खाद में होने वाला घटक जो जमीन को निर्मितीक्षम बना सके वह था नायट्रोजन। यही नायट्रोज़न वातावरण में लगभग ८० प्रतिशत होता हैं। फिर हमारे लिए वातावरण में नायट्रोजन मुफ्त में उपलब्ध होने पर, किसान महँगे नायट्रोजन की खरिदारी भला क्यों करेंगे? एक किसान को केवल वातावरण से इस नायट्रोजन को उस में से अलग करके उस ज़मीन पर रखने की पद्धति की केवल जानकारी होनी चाहिए और मैंने अपना संशोधन कार्य इसी दिशा में शुरु किया है।’ ऐसा उन्होंने कहा है।

डॉ.टेसला ने एक फ़र्टिलाइज़र मशीन विकसित की। इस मशीन में एक तरफ केवल मिट्टी डालने पर दूसरी ओर से वह बाहर आती थी। इस मिट्टी को अनुपजाऊ जमीन पर फ़ैलाने से इससे उत्तम प्रकार की फसल तैयार हो सकती थी। इस प्रकार का विश्‍वास उन्होंने दिलाया था। इस इलेक्ट्रिकल फ़र्टिलाइज़र मशीन के नमूने में ढ़क्कन निकाला जा सकेगा इस प्रकार का एक कॉपर सिलेंडर, उस सिलेंडर के लम्बाई जितना वायर की स्पायरल कॉईल तथा सिलेंडर के नीचे उसके पैंदे पर दो वायर्स, जो एक खस प्रकार के डायनॅमो से जोड़ी गयी थी, इनका समावेश था। विशिष्ट रासायनिक प्रक्रिया के आधार पर बनाई गई सूखी मिट्टी को उस सिलेंडर में रखा गया था।

उसमें से एक अतिशय उच्च लहरों का करंट छोड़ा गया। इससे उस मिट्टी से ऑक्सिजन एवं हायड्रोजन बाहर निकलकर उस में केवल नायट्रोजन रह गया। उसे मिट्टी ने सोख लिया था। इसी लिए खरीदकर लाये गए खाद की बजाय वाजिब कीमत पर घर में ही अत्यन्त प्रभावकारी खाद की निर्मिति करना आसान हो सकता था।

इन दोनों खोजों के कारण यह सिद्ध हो गयाकि डॉ. टेसला के ‘सुपर ब्रेन’ से निकलने वाली संकल्पनाएँ एवं संशोधन मानवजाति के लिए कल्याणकारी ही थी। जनसामान्यों को विज्ञान एवं यांत्रिक ज्ञान का लाभ मिल सके इसके लिए, उनकी दिन-रात की भाग-दौड़ चल रही थी। किसानों को महंगे खाद के लिए पैसे खर्च करने न पड़े इसी उद्देश्य से उनके द्वारा तैयार किए गए ये दोनों विस्मयकारक यंत्र डॉ. टेसला के व्यापक मानवतावादी दृष्टिकोन को और भी अधिक सुस्पष्ट करने वाले हैं।

(क्रमश:)

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