संघ का नेटवर्क

संघ का नेटवर्क

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५२ देश भर के एक लाख स्वयंसेवकों के जेल में होने के बावजूद भी संघ इमर्जन्सी के दौरान प्रभावशाली रूप से काम कर रहा था। संघ के कड़े विरोधक भी इससे आश्‍चर्यचकीत हो गये थे। पुलिस का दमनतंत्र जितनी मात्रा में बढ़ रहा था, उतनी ही मात्रा में संघ […]

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रिचेल कार्सन (१९०७-१९६४)

रिचेल कार्सन (१९०७-१९६४)

आज दुनिया भर में पर्यावरणवादी विविध प्रश्‍नों पर आवाज उठा रहे हैं। गत तीन दशकों में नैसर्गिक साधनसंपत्ति के विकास के नाम पर विध्वंस करने की प्रक्रिया में प्रचंड पैमाने पर प्रगति हुई है। इससे पृथ्वीवासियों का जीवन खतरे से घिर गया है, परन्तु स्वार्थसिद्धि हेतु किसी भी हद तक गिरनेवाले लोगों को इस बात […]

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स्वतंत्रता दिवस के संदेश में ‘पीओके’ और बलुचिस्तान का ज़िक्र कर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को बनाया निशाना

स्वतंत्रता दिवस के संदेश में ‘पीओके’ और बलुचिस्तान का ज़िक्र कर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को बनाया निशाना

नई दिल्ली, दि. १५ (पीटीआय) – स्वतंत्रता दिवस  के अवसर पर लाल क़िले से देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, ‘पाकिस्तान के क़ब्जेवाले कश्मीर’ (पीओके) समेत बलुचिस्तान का ज़िक्र करते हुए पाकिस्तान को जोर का झटका दिया| ‘पाकिस्तान के पेशावर के स्कूल में हुए हमले के बाद भारतीयों से आँसू रोके नहीं […]

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बाळासाहब की कार्यशैली

बाळासाहब की कार्यशैली

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४७ बाळासाहब की कार्यशैली बहुत ही अनोखी थी। स्वयंसेवकों को जनता के साथ लगातार संपर्क रखना चाहिए, ऐसा बाळासाहब का आग्रह रहता था। जो संघ की शाखा में नियमित रूप से उपस्थित रहता है, वही संघ का है, ऐसा मानने का कारण नहीं है। बल्कि, संघ की शाखा के […]

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पॉल म्युलर (१८९९-१९६५ )

पॉल म्युलर (१८९९-१९६५ )

प्रकृति में उत्पन्न होनेवाले जीवजंतुओं की शृंखला के अन्तर्गत आनेवाले सभी जीवजंतु अपनी-अपनी भूमिका भली-भाँती निभाते रहते हैं इसी कारण उन्हें मारना प्रकृति के खिलाफ  माना जाता है। मग़र कुछ जीवजंतुओं के कारण मनुष्य की तकलीफे बढ़ गई हैं। इसीलिए विभिन्न मार्गों का अवलंबन करते हुए इन जीवजंतुओं को नष्ट करने का समय आ गया […]

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मसानोबु फुकुओका (१९१३-२००८ )

मसानोबु फुकुओका (१९१३-२००८ )

मुंबई के बॉम्बे युनियन ऑफ जर्नलिस्ट के कार्यालय १९९६ में एक ८३  वर्ष के जपानी मनुष्य ने प्रवेश किया और उनके प्रवेश करते ही उपस्थितों ने तालियों की गडगडाहट के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। कोई भी प्रसिद्धि न होने के बावजूद भी भीतर प्रवेश करते ही इतना प्रेम, आदर एवं आस्था प्राप्त करनेवाले वे […]

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नेताजी-३४

नेताजी-३४

१६  जुलाई १९२१ को सुभाष की बोट भारत के किनारे पर दाखिल हुई। सुभाष ने दो साल की अवधि के बाद फिर  एक बार अपनी मातृभूमि में कदम रखा था। दो साल की अवधि दुनिया के इतिहास की दृष्टि से देखा जाये, तो बहुत ही छोटी है, लेकिन यह कालावधि सुभाष की संवेदनाएँ परिपक्व होने […]

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आतंकवाद विश्‍व के लिए सबसे ख़तरनाक

आतंकवाद विश्‍व के लिए सबसे ख़तरनाक

मापुते – आतंकवाद विश्‍व के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ते हुए आतंकी हमलों पर चिंता जतायी| मोज़ाम्बीक की यात्रा पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोज़ाम्बीक के राष्ट्रपति फिलीप न्यूसी के समेत प्रेस कॉन्फरन्स को संबोधित करते समय आतंकवाद पर यह चिंता ज़ाहिर की| साथ […]

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हवामान नियंत्रण एवं डॉ.निकोल टेसला

हवामान नियंत्रण एवं डॉ.निकोल टेसला

विद्युत एवं विद्युत चुंबकीय क्षेत्र की दुनिया में एक सर्वोत्कृष्ट संशोधक के रूप में देखा जाये तो यह निर्विवाद सत्य है कि वह नाम डॉ.निकोल टेसला का ही हो सकता है। डॉ.टेसला ने निसर्ग में इन दोनों ही क्षेत्रों से संबंधित होने वाली सैंकड़ो घटनाएँ देखी ओर उनके निरीक्षण के आधार पर अध्ययन करके उन्होंने […]

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भारतीय मज़दूर संघ

भारतीय मज़दूर संघ

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३३  श्रीगुरुजी ने ज्येष्ठ स्वयंसेवकों के साथ चर्चा कर, ‘मज़दूर संगठन का अर्थ ‘उद्योगों के साथ झगड़ा करनेवाला संगठन’ ऐसा नहीं होना चाहिए’ यह बात जतायी। ‘मज़दूरों पर अन्याय न हों, इसलिए मज़दूर संगठन अवश्य काम करें, लेकिन उद्योग के विकास में ही मज़दूर का वास्तविक हित समाया है, […]

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