रामेश्‍वर भाग-३

रामेश्‍वर भाग-३

रामेश्‍वर का यह प्रदेश भोर में जाग उठता है, ‘रामनाथस्वामी’ मन्दिर की पूजा के मन्त्रघोष से। भोर के समय ही इस मन्दिर में पूजा शुरू हो जाती है। ‘सायंगृह’ नाम के स्थान में, जिसे स्थानीय भाषा में ‘पल्लियरइ’ कहा जाता है, वहाँ हर शाम को भगवान की स्वर्णमूर्ति समारोहपूर्वक लायी जाती है और वहाँ की […]

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रामेश्‍वर भाग-२

रामेश्‍वर भाग-२

देखिए, दूर से ही ‘श्रीरामनाथस्वामी’ मन्दिर के कुछ चिह्न हमें दिखायी देने लगे हैं। तो फिर चलिए, तेज़ी से चलते हैं और ठेंठ मन्दिर के प्रमुखद्वार तक चलते हैं। मन्दिर की चारों दिशाओं में यानी कि पूर्व, पश्‍चिम, उत्तर और दक्षिण में चार गोपुर हैं। गोपुर यह प्रवेशद्वार पर बनायी गयी रचना है। हर एक […]

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रामेश्‍वर भाग-१

रामेश्‍वर भाग-१

बचपन से ‘यात्रा’ यह शब्द सुनते ही याद आती है, ‘काशी–रामेश्‍वर’ की यात्रा। हमारे भारत में कई तीर्थक्षेत्र हैं, जहाँ श्रद्धालु यात्रा करने जाते हैं। मग़र तब भी यात्रा कहते ही आज भी याद आती है, ‘काशी–रामेश्‍वर’ यात्रा। पुराने ज़माने में, जब आज की तरह यातायात के साधन उपलब्ध नहीं थे, तब भी पूरे भारत […]

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श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग-८४

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग-८४

अपने श्रीसाईनाथ का, भगवान का गुणसंकीर्तन यही साक्षात् सुदर्शन चक्र है। यह तो हमने पिछले लेख में देखा। रोहिले की कथा में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दा इस गुणसंकीर्तन का है। रोहिले की कथा में गुणसंकीर्तन का विस्तारपूर्वक अध्ययन करते हुए सहज ही हमें स्मरण होता हैं। १९वे अध्याय के रामनाम एवं राम का गुणसंकीर्तन, इनसे […]

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श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग-८३

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग-८३

रोहिले की कथा से सीख लेते समय हमने यह सीखा की भक्तिमार्ग पर चलते हुए स्वयं की प्रगति करने की इच्छा रखनेवाले मेरे मन में जब-जब भी अनचाही यादें भूतकाल के गलतियों की डाकिने परेशान करने की कोशिश करने लगती हैं अथवा भविष्यकाल की चिंताएँ मुझे ग्रसित करने की कोशिशें करने लगती हैं। ऐसे में […]

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जम्मू भाग-३

जम्मू भाग-३

तावी नदी का साथ जिसे मिला है ऐसे इस जम्मू शहर ने आज तक के अपने सफ़र में कई घटनाएँ देखी हैं। जिनके नाम से इस शहर को ‘जम्मू’ यह नाम मिला, उन राजा ‘जम्बुलोचन’ के ‘बाहुलोचन’ नाम के भाई ने जब इस ज़मीन पर ‘बाहु’ नामक क़िले का निर्माण करने नींव का पत्थर रखा […]

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जम्मू भाग-१

जम्मू भाग-१

श्रावण महिने में संपूर्ण सृष्टि में एक नवचेतना ही आ जाती है। समूची सृष्टि हरे रंग का लिबास पहनकर सज जाती है। श्रावण मास में भारतभर में विभिन्न प्रकार के व्रत किये जाते हैं, कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक। भारतीयों की दृष्टि से हिमालय हमेशा ही पवित्र एवं पूजनीय रहा है। पवित्रता का स्रोत रहनेवाले […]

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श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ७३

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ७३

ईश्‍वर का गुणसंकीर्तन करना यह श्रद्धावानों के लिए होनेवाले अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मुद्दे का अध्ययन हम कर रहे हैं। इसके लिए हमने नीचे दिए गए उपमुद्दों का अध्ययन अब तक किया। १) किसी भी विरोध की परवाह किए बगैर ईश्‍वर का गुणसंकीर्तन करते रहना। २) सभी द्वंद्वों में गुणसंकीर्तन शुरू रखना। ३) साईनाथ का कृपाहस्त सिर […]

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कांगड़ा भाग-५

कांगड़ा भाग-५

चारों ओर नज़र फेरने पर दिखायी देती हैं, ऊँचीं ऊँचीं पहाड़ियाँ और बर्फ़ से आच्छादित उनकी चोटियाँ, ख़ास कर सुबह तो इन चोटियों पर जमी हुई बर्फ़ साफ़ साफ़ दिखायी देती है। जिस तरह इन पहाड़ियों की चोटियों पर बर्फ़ रहती है, उसी तरह उनके बदन पर छायी हुई है, पेड़ पौधों की हरियाली। हिमालय […]

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श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६८

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ : भाग- ६८

पिछले लेख में हमने देखा कि बाबा के गुणों से मोहित होकर मुझे शिरडी में आना चाहिए और श्रीसाईनाथ का गुणसंकीर्तन करना चाहिए, इस क्रिया का अध्ययन किया। बाबा के चमत्कार से, बाबा पैसे बाँटते हैं इसीलिए मोहित न होकर हमें बाबा के गुणों से मोहित होना चाहिए। हमें यदि मोह करना ही है तो […]

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