डॉ.निकोल टेसला – फिनिक्स की उड़ान

नायगारा के जलविद्युत प्रकल्प एवं उसी के द्वारा बफेलो एवं न्यूयार्क शहरों में विद्युतभार संवाहन, ये सब कुछ उस भीषण अग्निकांड के केवल ११ महीने पश्चात् ही डॉ.टेसला ने कर दिखलाया था। अपयश से हारकर टूटे जाने की बजाय यदि कोई पुन: सफलता की सीढ़ी पार कर जाता है, तो उसे ‘फिनिक्स’ पक्षी की तरह उड़ान की है ऐसा माना जाता है। यहॉं पर डॉ.टेसला की आश्चर्यचकित कर देने वाली कृति देखकर, निश्चित ही कहां जा सकता है कि उन्होंने फिनिक्स पक्षी की तरह बिलकुल राख से (जहॉं सब कुछ खत्म हो चुका था वहॉं से) उड़ान भरा है। इससे अच्छा उदाहरण कोई हो ही नहीं सकता है। इस प्रकार की कारीगरी परमेश्वर पर निस्सीम श्रद्धा रखने वाला सच्चा भक्त ही कर सकता है।

प्रयोगशाला के इस भीषण अग्निकांड में डॉ.टेसला का सर्वस्व तहसनहस हो चुका था। अब तक उनके द्वारा किए गए संशोधनों की जानकारी, पेटंट्स, अनुबंध पत्र (करार) इतना ही नहीं तो पैसा तक जलकर खाक हो चुका था। अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा था। ऐसे में वे अज्ञातवास लेना चाहते थे।

अमरीका के निवासस्थान पर वहॉं उनकी मॉं जिस चर्च में जाती थीं, उसी चर्च में टेसला बैठकर प्रार्थना करने लगे। अपना सब कुछ खत्म हो जाने पर भी इस भीषण अग्निकांद से परमेश्वर ने मुझे सही-सलामत बाहर निकाल लिया इसके लिए उन्होंने ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

यूँ तो थोड़ासा भी नुकसान हो जाने पर सामान्य मनुष्य तुरन्त भगवान को दोष देने लगता है। टूट जाता है, जीवन से निराश हो जाता है, परन्तु डॉ.टेसला ने अपना सर्वस्व खोकर भी भगवान को दोष नहेएं दिया बल्कि उनके प्रति कृतज्ञता ही प्रकट की। ऐसी अविचल श्रद्धा थी उनकी परमेश्वर के प्रति और इसी अविचल श्रद्धा के बल पर उन्होंने अपने जीवन का अगला प्रवास आरंभ किया।

इस दुर्घटना के पीछे ईश्वर की कोई न कोई योजना जरूर होगी। हो सकता है मेरे द्वारा किया गया संशोधन गलत दिशा से आगे बढ़ रहा था। इसीलिए मुझ पर यह संकट आन पड़ा है। इस बारे में चिंतन-मनन कर वे महीने भर में न्यूयार्क आ गए।

अब उन्हें झिरो से आगे बढ़कर एक नये विश्व की रचना करनी थी। यह इतना आसान नहीं था। ‘अल्टरनेटिंग करंट’ के लिए उन्हें ‘नायगारा’ जलप्रपात पर जलविद्युत प्रकल्प खड़ा करना था। यह उनका युवावस्था से ही स्वप्न था। उसे साकार करने के लिए डॉ.टेसला ने पुन: परिश्रम करना आरंभ कर दिया।

नायगारा पर बनाया जाने वाला जलविद्युत प्रकल्प ‘डायरेक्ट करंट’ का होगा अथवा ‘अल्टरनेटिंग करंट’ इस बात का निर्णय करने वाले आयोग के डॉ.केल्व्हिन अध्यक्ष थे। न्यूयार्क प्रांत के बफेलो शहर में विद्युतभार संवाहन करने के लिए ही इस प्रकल्प का निर्माण किया जा रहा था। यह प्रोजेक्ट डॉ.केल्व्हिन ने डॉ.टेसला एवं वेस्टिंग हाऊस की कंपनी को सौंप दिया।

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इसी कारण अब डॉ.टेसला का स्वप्न प्रत्यक्ष रूप में साकार होनेवाला था। इसे पूरा करने के लिए उन्होंने पल भर की भी देर न करते हुए वे अपने काम में जूट गए। १६ नवम्बर १८९६ के दिन बफेलो के औद्योगिकक्षेत्र में नायगारा से डॉ.टेसला द्वारा बनाये गए जलविद्युत प्रकल्प से विद्युतभार संवाहन आरंभ हो गया। ‘वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिकल कॉर्पोरेशन’ ने इस प्रकल्प के लिए लगने वाले जनरेटर्स डॉ.टेसला द्वारा बनाये गए पेटंट्स का उपयोग करके बनाया गया था। इस जनरेटर्स पर डॉ.टेसला का नाम अंकित किया गया था। कुछ ही वर्षों में इस जनरेटर्स की संख्या १० तक पहुँच गई। इसी प्रकल्पानुसार पूरे न्यूयार्क शहर में विद्युतसंवाहन होने लगा।

दुनिया के सबसे भव्य थिएटर्स के लिए उसी प्रकार मनोरंजन के लिए प्रसिद्ध रहने वाला अमरीका का ‘ब्रॉडवे’ भी डॉ.टेसला द्वारा बनाये गए प्रकल्प से प्रकाशित हो उठा। इतना ही नहीं बल्कि ऐलिवेटेड रेलवे एवं सबवे रेलवे भी इस प्रकल्प के कारण व्यवस्थित रूप में चलने लगे। और इन्हीं सबके बीच एक और भी महत्त्वपूर्ण घटना सामने आई।

जिसने डॉ.टेसला के ‘अल्टरनेटिंग करंट’ को अत्यन्त घातक सिद्ध करके उसका प्रचार किया था, उसे बिलकुल हीन धरातल तक ले गए थे, उन्हीं थॉमस अल्वा एडिसन को ‘अल्टरनेटिंग करंट सिस्टम’ का स्वीकार करना पड़ा अर्थात एडिसन एवं डॉ.टेसला के ‘वॉर ऑफ करंटस्’ में अंतिम विजय डॉ.टेसला की ही हुई।

नायगारा का जलविद्युत प्रकल्प और उसके द्वारा बफेलो एवं न्यूयार्क शहर का विद्युतभार संवाहन, ये सब कुछ उस भीषण अग्निकांड के ११ महीने पश्चात् ही डॉ.टेसला ने कर दिखाया। अपयश से हार कर टूट जाने के बजाय यदि कोई सफलता प्राप्त करता है तो उसे ‘फिनिक्स’ पक्षी के समान उड़ान भरी ऐसा कहा जाता है। यहॉं पर डॉ.टेसला द्वारा की जाने वाली कारीगरी को देख हम कह सकते हैं कि उन्होंने भी ‘फिनिक्स’ की तरह उड़ान ली है ऐसा कार्य एक सच्चा श्रद्धावान ही कर सकता है।

‘अब तक हमने ऐतिहासिक वास्तू देखे। राज-रजवाडे देखे, पिरॅमिड्स, ग्रीकों द्वारा बनाये गए मंदिर, ईसाईंयों द्वारा बनाये गए कॅथिड्रील्स, ये ठहरा मानवीय सामर्थ्य का आविष्कार, देशों की महानता, कला एवं धर्म के प्रति होने वाला प्रेम एवं आस्थाओं का प्रगटीकरण। परन्तु नायगारा पर बनाया गया यह प्रकल्प इन सबसे भिन्न साबित होता है। वर्तमान काल की मानवी प्रवृत्ति, वैज्ञानिक युग का विकास एवं जीते-जागते पुतले एवं शांति के स्मारक इसी लिए नायगारा के प्रकल्प की ओर देखा जा सकता है। नैसर्गिक शक्ति का मानवों के कल्याण हेतु उपयोग, जंगली यंत्रों के उपयोग से मुक्ति एवं लाखों लोगों की दु:ख एवं दारिद्रय से मुक्ति। ये सब कुछ नायगारा के प्रकल्प द्वारा इस नवीन स्मारक द्वारा दुनिया के सामने आया है, ऐसा डॉ.टेसला ने इस जलविद्युत प्रकल्प के उद्घाटन समारोह में कहा था।

१२ जनवरी १८९७ के दिन डॉ.टेसला द्वारा किए जाने वाले भाषण से उनके उदात्तविचार, विषमताओं को दूर करने का ध्येय व्यक्त करते दिखाई देता है, ऐसे स्वप्न देखना और उसे पूरा करना ये सब करते समय, उसके प्रति अहंकार नहीं रखते हुए मानवी जीवन को अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना, इस प्रकार का ऋषितुल्य व्यक्तित्व का धनी मनुष्य ही कर सकता है।

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डॉ.टेसला को पुन: जबरदस्त यश प्राप्त हुआ और उससे भी महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि उनका नायगारा पर जल विद्युत प्रकल्प बनाने का सपना साकार हुआ। परन्तु इस यश एवं समाधान के साथ नयी चुनौतियॉं सामने आने वाली थी।

डॉ.टेसला की ओर बैरभाव से देखनेवाले जे. पी. मॉर्गन अब डॉ.टेसला को मात देने के लिए नयी चाल चलने की तैयारी में थे। एडिसन के विद्युत क्षेत्र की कंपनियों को मॉर्गन ‘फायनान्स’ करता था। उनकें सारे पेटंटस् भी मॉर्गन के कब्ज़े में ही थे। इन सारी कंपनियों को एकत्रित कर १८९२ में ‘जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी’ नामक एक ही बलाढ्य कंपनी बनाई गई।

इसी कारण एडिसन का अपनी कंपनियों पर होने वाला ताबा भी छूट गया और डॉ.टेसला से मुकाबला करने के लिए स्थापित की गई ‘जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी’ का नेतृत्व (जी.ई.)जे.पी. मॉर्गन के पास आ गया।

‘जी.ई.कंपनी’ ने अब ‘वेस्टिंग हाऊस कंपनी’ के पास होनेवाला ‘अल्टर नेटिंग करंट सिस्टम’ के पेटंटस् के विरोध में केस कर दी। इस केस में वेस्टिंग हाऊस कंपनी जीती तो सही, परन्तु उसकी बहुत बड़ी कींमत इस कंपनी को चुकानी पड़ी।

इस कोर्ट-कचहरी के कारण होने वाले खर्चे से कंपनी की स्थिती डावाडोल हो गई। उसी समय अमरीका शेअर बाजार में भी मंदी आ गई थी। ऐसी पार्श्वभूमि पर जे.पी.मॉर्गन ने वेस्टिंग हाऊस कंपनी को अपने ताबे में लेने के लिए प्रयत्न शुरु कर दिये।

इस तरह की विषम परिस्थिति में भी डॉ.टेसला पुन: वेस्टिंग हाऊस कंपनी की मदद के लिए दौड़ पड़े ‘अल्टरनेटिंग करंट सिस्टम’ के सारे पेटंटस् डॉ.टेसला ने वेस्टिंग हाऊस कंपनी को केवल १६ हजार डॉलर्स में ही बेच ड़ाला। जिसकी कींमत आज की तारीख में अरबों डॉलर्स हो सकती है।

वेस्टिंग हाऊस की कंपनी सुस्थिती में रह सके और जनसामान्यों को माफक दर में बिजली मिल सके, इसके लिए डॉ.टेसला ने यह निर्णय लिया था। उनके इस नि:स्वार्थ वृत्ति के कारण ही जे.पी. मॉर्गन वेस्टिंग हाऊस की कंपनी का ताबा नहीं ले सका। इस विद्युतभार संवाहन के क्षेत्र में मॉर्गन की एकाधिकारशाही प्रस्थापित नहीं हो सकी।

जनसामान्य को कम दर में ही विद्युतभार संवाहन चलता ही रहा। परन्तु इसकी कींमत डॉ.टेसला को अन्य मार्ग से चुकानी ही पड़ी। इसी कारण डॉ.टेसला को आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ा।

मानवीय जीवन को सुलभ बनाने के लिए उन्होंने इन चुनौतियों का स्वीकार किया और कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए वे आगे बढ़ते रहें। सवा सौं वर्ष पूर्व वे अपने संशोधन के बल पर करोड़ों डॉलर्स कमा सकते थे परन्तु उन्हें जनसामान्य का जीवन संपत्ति की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण लगा।

अपने इस निर्णय के कारण जीवन भर उन्होंने तकलीफें ही उठाई। परन्तु परमेश्वर पर से अपने विश्‍वास को तिलमात्र भी कम होने नहीं दिया।

जिस तरह आग में तपने पर सोने में और भी अधिक निखार आता है उसी प्रकार उनके व्यक्तित्व में भी निखार आया।

Read in English – http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/humanist-tesla/

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