डॉ.निकोल टेसला – महत्वकांक्षा का जुनून

N.Tesla

डॉ. टेसला ने अपने पेटंट को मॉर्गन को देने से इन्कार किया था, क्या इसी कारण से आग लगी थी? अथवा डॉ. टेसला के साथ वॉर ऑफ करंटस् में पराभूत होने वाले एडिसन के बीच होने वाले वाद-विवाद का यह परिणाम था? वह एक अपघात था या घातपात? उस घातपात का निशाना डॉ. टेसला थे अथवा….? इस मामले में कोई भी ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है और यह घटना समय के गर्त में छिपा हुआ रहस्य बन कर रह गयी। उसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।

ईश्‍वर पर होने वाली अविचल श्रद्धा, आशावाद, एवं अभंग विश्‍वास की अभूतपूर्व कहानी अर्थात डॉ. निकोल टेसला का जीवन। डॉ. टेसला का जीवन अर्थात सातत्यपूर्व, निर्विवाद यश प्राप्ति तथा ईश्‍वर के प्रति होने वाली अटूट श्रद्धा एवं जीवन में होने वाले ध्येय के प्रति होने वाली समर्पित वृत्ति से बड़ी से बड़ी आपत्तियों के पहाड़ पार करके दुनिया में किस तरह से बदलाव लाया जा सकता है इस बात का साक्षात् उदाहरण है।

पिछली बार ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोझिशन’ में डॉ. टेसला के ‘एसी ट्रान्समिशन सिस्टम’ की उपयुक्तता एवं व्यावहारिकता सिद्ध होते हमने देखा। उसी समय डॉ. केल्विन जैसे विरोधकों की भी ‘डीसी ट्रान्समिशन सिस्टम’ की अपेक्षा भी ‘एसी ट्रान्समिशन’ की क्षमता एवं लाभ भी मान्य होता दिखाई दिया।

इसी दौरान ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोझिशन’ के सफलता के पश्‍चात् मिलने वाली जबरदस्त प्रसिद्धी के कारण डॉ. टेसला की विविध सामाजिक स्तरों पर मध्यस्थी ली जाती थी। और ऐसे समय पर ही उनकी मुलाकात थॉमस कॉमरफोर्ड मार्टिन से हुई। थॉमस मार्टिन अमरिका के इलेक्ल्ट्रिकल इंजिनीयर थे साथ ही वे एक संपादक के रूप में भी काम करते थे। लॉर्ड केल्वीन के पुत्र थॉमस मार्टिन ने १८८३ से १९०९ इस कालावधि के अन्तर्गत उन्होंने ‘इलेक्ट्रिकल वर्ल्ड’ के सम्पादक के रूप में काम किया था। साथ ही वे प्रख्यात लेखक के रूप में प्रसिद्ध थे। बहुत जल्द ही डॉ. टेसला एवं मार्टिन एक-दूसरे के अच्छे मित्र बन गए। थॉमस मार्टिन ने निकोल टेसला के १८९३ साल तक के काम की संपूर्ण जानकारी देनेवाली ‘द इन्व्हेंशन्स, रिसर्चेस ऍण्ड रायटिंग्ज ऑफ निकोल टेसला’ नामक पुस्तक संग्रहित एवं संपादित किया। उस पुस्तक में डॉ. टेसला के नित नये शोधों सहित, संशोधन एवं संपूर्ण कार्यों का प्रस्तुतिकरण उसमें हैं। प्रकाशन के बाद यह पुस्तक उस समय इलेक्ट्रिकल इंजिनियर के रूप में काम करने वाले हर एक एक लिए उस क्षेत्र की ‘बायबल’ के रूप में जानी जाती थी। उस पुस्तक में ४३ प्रकरण के साथ बहुतांश भागों में डॉ. टेसला द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए खोज एवं उनके संशोधनों की जानकारी दी गई है। प्रथम प्रकरण में उनके चरित्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी दर्शायी गई है। इसके पश्‍चात् अगले तीन प्रकरणों में डॉ. टेसला द्वारा दिए गए महत्त्वपूर्ण व्याख्यानों की जानकारी है। वहीं इस पुस्तक के एक भाग में शिकागों के ‘वर्ल्ड फेअर’ में ‘वेस्टिंग हाऊस’ के प्रदर्शन में डॉ. टेसला द्वारा बनाये गए दालनों की जानकारी दी गई है। इस पुस्तक को ‘इलेक्ट्रिकल सायन्स’ का आधारस्तंभ माना जाता है।

सच में देखा जाये तो इस पुस्तक के विक्री से डॉ. टेसला को बहुत बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता मिल सकती थे। परन्तु उनकी इच्छा थी कि इस पुस्तक की प्रतियॉं मुफ्त में ही बाटी जायें। उन्हें इस कार्य में पैसों से कुछ भी लेना देना नही था। अपने संशोधन की जानकारी को प्रसिद्ध करके अथवा संशोधन के पेटंट प्राप्त करके, उसके माध्यम से बहुत सारा पैसा कमाना, प्रसिद्धि प्राप्त करना इन सब बातों में उन्हें कोई भी रुचि नहीं थी। आज कल यह सब बहुत ज़रूरी है। उस समय की स्थिति भी ऐसी ही थी। परन्तु डॉ. टेसला के विचार भिन्न थे। आर्थिक सहायता अथवा अपनी प्रसिद्धी के लिए अपने संशोधनों का उपयोग वे किसी भी कींमत पर नहीं करना चाहते थे। वैज्ञानिक प्रगति एवं उसका सर्वसामान्य लोगों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करवाना हो उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य था।

इसी दौरान, वेस्टिंग हाऊस कंपनी ने डॉ. टेसला के पेटंट का उपयोग करके नायगारा जलप्रपात पर विद्युत प्रकल्प बनाने का प्रोजेक्ट प्राप्त कर लिया। डॉ. टेसला के लिए यह एक बहुत बड़ा अवसर था। इस समय डॉ. टेसला संपर्क स्थापित करने के साधन के रूप में ‘टेसला कॉईल’ के प्रोटोटाईप का उपयोग करने की कोशिश कर रहें थे।

‘इलेक्ट्रिक इम्पल्सेस्’ का उपयोग करके दुनिया के छोर से दूसरे छोर तक बगैर वायर के संभाषण किया जा सके, ऐसा स्वप्न देख रहे थे। रेडिओ लहरों की सहायता से यह संभाषण संभव हो सकता है, अपने इस सिद्धांत को १८९३ तक उन्होंने अनेक स्थानों पर प्रस्तुत किया। ‘द नॅशनल इलेक्ट्रिक लाईट असोसिएशन’ पेनसिल्व्हेनिया राज्य के फिलाडेल्फिया शहर के फ्रँकलिन इन्स्टिट्यूट, मिसौरी राज्य के सेंट लुईस युनिव्हर्सिटी जैसे स्थानों पर दिए व्याख्यानों एवं प्रात्यक्षिकों से उन्होंने इस बात को सिद्ध करके दिखा दिया था। प्रसार माध्यम द्वारा डॉ. टेसला के व्याखान एवं प्रात्यक्षिकों को काफी मात्रा में प्रसिद्धि प्राप्त हुई। १८९५ तक डॉ. टेसला में वायर के बगैर ही लगभग ५० मील तक संदेश वहन करने का तंत्र सफलता पूर्वक विकसित किया। मानवजाति के हित के लिए डॉ. टेसला ने अपने तंत्रज्ञान को और भी अधिक परिपूर्ण करने की कोशिश में लगे रहने के साथ ही अचानक एक संकट सामने आन खड़ा हुआ। इसी कारण डॉ. टेसला के सामने इस चुनौती ने और भी अधिक विकट परिस्थिती निर्माण कर दी।

डॉ. टेसला की दिन-रात की कोशिश यही रहती थी कि वे जनसामान्य को विज्ञान से संबंधित यांत्रिक ज्ञान का अधिक से अधिक लाभ उपलब्ध करवा सके। वहीं अफाट आर्थिक एवं सामाजिक शक्ति जिसके मुठी में बंधी हुई थी । ऐसा व्यक्ती कुछ और ही सपने देख रहा तह। बिजली, रेल्वे, फौलाद कम्पनीयां, दूरसंचार आदि सब कुछ अपनी फौलादी मुट्ठी में ही बांधे रखने का स्वप्न यह व्यक्ति देख रहा था। इतना ही नहीं तो इस स्वप्न को प्रत्यक्ष में लाने की ताकत भी इस व्यक्ति के पास थी। इन सभी स्त्रोतों की कीमत चुकाने के लिए इस व्यक्ति की मुठ्ठी ढ़ीली पड़ने वाली थी। सर्वसामन्यों को इसका कोई भी लाभ नहीं मिलने था। कारण इन सभी बातों में उस व्यक्ति की कोई रूपी नहीं थी। परन्तु इस व्यक्ति के सपनों को एक ही ठोकर में डॉ. टेसला ने चूर-चूर कर डाला। डॉ. टेसला का विरोध करने वाले, उनके साथ जाति दुश्मनी रखने वाले थॉमस अल्वा एडिसन के कंपनी में इस व्यक्ति की काफी मात्रा में साझेदारी थी। इसीलिए ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोझिशन’ में विद्युतभार संवाहन का प्रोजेक्ट डॉ. टेसला द्वारा छिन लिए जाने के कारण अपमानित इस व्यक्ति की सारी मनसा चौपट हो गई। सोने पर सुहागा डॉ. टेसला ने अब नायगारा जलप्रताप पर विद्युत प्रकल्प बनाने का प्रोजेक्ट भी जीत लिया था। बहुत बड़ी राजकीय एवं आर्थिक ताकत रखने वाले इस व्यक्ति के लिए यह एक बहुत बड़ी अपमान जनक घटना थी। इस विशेष व्यक्ति का नाम था – जे. पी. मॉर्गन।

अमरिका के आर्थिक क्षेत्र में बैंकर, फायनान्सर साथ ही दानवीर के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त जे.पी.मॉर्गन कला क्षेत्र के संग्राहक एवं आस्वादक के रूप में भी प्रसिद्ध थे। औद्योगिक क्षेत्रों की कंपनीयों को अपने कब्ज़े में कर लेना और उनका विलीनीकरण उसी प्रकार कॉर्पोरेट फायनान्स इन में उनका काफी दबदबा था। २० वी सदी के आरंभ में, जे. पी. मॉर्गन अपने कार्यक्षेत्र के उत्तुंग शिखर पर थे। और अपने भागीदारों के साथ मिलकर उन्होंने अनेक बड़ी कंपनीयों में बहुत बड़े पैमाने में फायनान्स किया था। देश के आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अमरीका के संसद पर भी उनका काफी प्रभाव था। उस समय में वे कुल मिलाकर ४१.५ अब्ज डॉलर्स, (अरब) इतनी प्रचंड संपत्ति के मालिक थे। आज के समय में उसका मूल्य २.६ ट्रिलियन डॉलर्स! ऐसा था मॉर्गन का दबदबाऔर हर कोई उनके आगे झुकता था।

उनकी इच्छा यही थी कि टेसला अपने सारे पेटंट उन्हें एवं उनकी कंपनीयों को बेच दें। डॉ. टेसला के संशोधन के बल पर वे बेशूमार धन कमा ने की उनकी योजना थी। इसके लिए वे डॉ. टेसला को बहुत बड़ी रकम देने को भी तैयार थे। मात्र एकाधिकारशाही की प्रवृत्ति रखने वाले इस लोभी लेनदार के पास यदि अपने सारे पेटंट चले गए तो सामान्य मनुष्य को इसका लाभ कभी भी नहीं मिल पायेगा। इस बात का एहसास डॉ. टेसला को अच्छी तरह से था इसी लिए उन्होंने अपने पेटंट मॉर्गन को देने से साफ इन्कार कर दिया।

Tesla lab fireडॉ. टेसला के कारण तीन बार पराजित होने वाले मॉर्गन का मन इतना बड़ा नही था। उन्हें तो हार मानने की आदत ही नहीं थीं। वहीं दूसरी ओर डॉ. टेसला को अपने प्रयोगशाला में देर तक काम करने की आदत थी। इस समय उन्हें वक्त का खाने-पीने का बिलकुल ध्यान नहीं रहता था। उस रात भी वे देर तक काम कर रहे थे। अचानक दैवी प्रेरणा से वे प्रयोगशाला से बाहर निकल पडे; अचानक इस प्रकार वे बाहर क्यों निकल पड़े इस बात का पता किसी को न था। एक होटल में जब वे भोजन कर रहे थे, उस समय एक व्यक्ति ने उन्हें जानकारी दी कि उनकी प्रयोगशाला होने वाली इमारत में स्फोट होने के कारण आग लग गई है और सब कुछ भस्मसात हो गया है। यह खबर सुनते ही डॉ. टेसला अपनी प्रयोगशाला की ओर दौड़ पड़े।

जिस प्रयोगशाला में टेसला ने मानवजाती के लिए मुक्त विद्युत संवाहन करने के सपने देखे थे, उस पर यशस्वी संशोधन भी कर चुके थे; जिस प्रयोगशाला में डॉ. टेसला ने सारे पेटंटस् एवं उनके कागज़ाद एवं अब तक कमाये हुए सारे पैसे, संशोधन के महत्त्वपूर्ण लिखित जानकारी, पुस्तकें, जर्नल्स, यंत्रसामग्री इन में से कुछ भी उस आग से न बच सक। संपूर्णरूप से डॉ. टेसला के इस प्रयोगशाला का काम तमाम हो चुका था। बाकी कुछ बच गया था तो वह था स्वयं डॉ. टेसला!

क्या यह आग मॉर्गन को पेटंट न देने के कारण लगी थी? अथवा डॉ. टेसला के साथ वॉर ऑफ करंटस् में पराभूत होनेवाले एडिसन की चाल थी? वह एक अपघात था अथवा घातपात? इस घातपात का लक्ष्य डॉ. टेसला थे या….? इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत उपलब्ध नहीं हैं और यह घटना केवल काल के गर्त में छिपा हुआ रहस्य बन कर रह गई। इस बात की छान-बीन आज तक नहीं हुई।

इतने बड़े सदमे के कारण डॉ. टेसला मानसिक दृष्टि से एवं आर्थिक धरातल पर उद्ध्वस्त हो गए। इस आग ने डॉ. टेसला को बिलकुल एकांकी बनाकर छोड़ दिया। लेकिन फिर भी इस महान व्यक्ति के मन से परमेश्‍वर के प्रति होने वाली श्रद्धा जरा सी भी कम नहीं होने पायी। उन्होंने भगवान को बिलकुल दोष नहीं दिया वरण् भगवान का एहसान ही माना कि उन्होंने उस समय उस प्रयोगशाला से उन्हें बाहर निकालकर उनकी जान बचाई। अब भौतिक धरातल पर डॉ. टेसला के पास कुछ भी नहीं बचा था। भस्मसात प्रयोगशाला को पुन: प्रस्थापित करने के लिए उनके अपने दो हाथ, उदात्त ध्येय, उनकी बुद्धि और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि जिस परमेश्‍वर पर वे पूरी श्रद्धा रखते थे वे उनके साथ थे। अब सब कुच नये सिरे से निर्माण करने के लिए उन्हें चिंतन-मनन के लिए ज़रूरत थी एकांतवास की। इस लिए वे अज्ञात वास चाहते थे। (क्रमश:)

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