डॉ.निकोल टेसला – ह्युमनॉईड रोबोटिक्स

Photo-26-Tesla-Boatइस जबरदस्त यांत्रिक ज्ञान का लाभ अमेरिका के संरक्षणोदलों को उपलब्ध करके देने वाला प्रस्ताव डॉ.टेसला ने ही प्रस्तुत किया था। इस यांत्रिक ज्ञानपर आधारित पणडुब्बियाँ एवं पाणतीर (टोर्पेडो) उसी प्रकार वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी पर चलने वाली युद्ध नौकाओं के प्रस्ताव डॉ.टेसला ने अमेरिकन नौदल को दिया।

परन्तु अमेरिकन नौदल ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

दुनिया में एक समान कोई भी नहीं होता। प्रत्येक मनुष्य के पास स्वयं की कोई न कोई विशेषता होती ही है। और यही विशेषता ही प्रत्येक मनुष्य की स्वतंत्र पहचान होती है। यह विशेषता, प्रतिभा कोई भी किसी से छिन नहीं सकता, हमारी संपत्ति, मान मर्यादा या अन्य लौकिक बातें हमसे छिनी जा सकती हैं, किंतु परमेश्‍वर द्वारा प्राप्त स्वतंत्र विशेषता और प्रतिभा हमसे कोई छिन या चुरा नहीं सकता। इस वैशिष्ट्य और क्षमता का संपूर्ण रूप से उपयोग करके किसी क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले व्यक्तित्व अर्थात डॉ.निकोल टेसला।

हमें प्रेरणा देने वाले परमेश्‍वर के लिए, अपने लोगों के लिए और विज्ञान की प्रगति के लिए डॉ.टेसला किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए या कोई भी त्याग करने के लिए कभी नहीं हिचकिचाए। उन्होंने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण इस उदात्त ध्येय को पूर्ण करने में खर्च किया। आज हमारे जीवन को सुलभ बनाने के लिए हमारे आस-पास के प्रत्येक यंत्र व उपकरण का विकास करने के पीछे डॉ.टेसला का अविरत रूप से किया गया प्रयास ही है।

अपनी युवावस्था से ही डॉ.टेसला प्रकृति का स्क्षूम निरीक्षण करते थे। मनुष्यों के विचार, अनुभूति, ऐच्छिक क्रिया इन सब पर बाह्य वातावरण की बातें उन्हें प्रभावित करती रहती हैं। ऐसा निरीक्षण डॉ.टेसला ने वर्णित किया। सिर्फ ये प्रेरणा पहचानने का प्रशिक्षण न मिलने के कारण इस प्रेरणा को हम पहचान नहीं पाते।

पृथ्वी के सारे सजीव ‘ऑटोमेटॉन’ हैं ऐसा डॉ.टेसला मानते थे। सजीव अपनी बुद्धि का उपयोग न करते हुए भी अनेक रोज की (नित्य) किंतु महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ बिल्कुल सहज रूप से करते रहते हैं। इसके लिए डॉ.टेसला ने ‘ऑटोमेटॉन’ की संज्ञा दी। इस प्रकार के सहज प्रेरणा से सजीव अपने नित्य की परंतु उनके लिए महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ करते रहते हैं। क्योंकि उनको यह प्रेरणा सीधे परमेश्‍वर की कृपा से मिलती रहती है। ऐसा डॉ.टेसला का विश्‍वास था। परमेश्‍वर प्रदत्त प्राप्त प्रेरणा की पहचान प्रत्येक प्राणी को नहीं होती। सिर्फ कुछ लोग ही इस प्रेरणा को पहचान सकते हैं। जो लोग इस प्रेरणा के उद्गम स्थान को पहचान नहीं सकते। उनके जीवन में यह अनभिज्ञता ही व्यथा का कारण बन जाती हैं।

अन्न, वस्त्र, निवारा (घर) व शिक्षण इस तरह की मूलभूत आवश्यकताएँ की पूर्ति करने वाले व सबको समान अवसर संधी देने वाले समाज डॉ.टेसला को चाहिए था। इन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला व उसके भी आगे जाकर ईश्‍वरीय शक्ति द्वारा प्राप्त प्रेरणा की पहचान (महसूस करना) व अभ्यास (ज्ञान) प्राप्त करने की संधी उपलब्ध कराकर देने वाला समाज का निर्माण डॉ.टेसला को करना था। इसी संकल्पना द्वारा ‘ह्यूमनॉईड रोबोट्स’ का आविष्कार डॉ.टेसला ने किया। इस तंत्रज्ञान की शाखा को बनाकर ११६ वर्ष हो गए किंतु उस समय के अनुसार यह क्षेत्र आज भी विस्तृत रूप से सफलता हासिल कर रहा है।

मनुष्य के अनुसार ही बाह्य प्रेरणा के अनुसार प्रतिक्रिया देने वाला ‘मानवसदृश्य रोबोट’ की संकल्पना डॉ.टेसला ने प्रस्तुत की। आदेश देने वाली यंत्रणा, नियंत्रण केंद्र और सेन्सर्स बिठाने का विचार डॉ.टेसला ने किया था। तैयार किए गए ‘रोबोट्स’ मनुष्य की तरह काम कर सकते हैं। मनुष्य की तरह प्रजनन शक्ति की क्षमता न होने पर भी एक मर्यादा तक मनुष्य की तरह निर्णय लेने की क्षमता इस रोबोट में विकसित की जा सकती थी। ऐसा डॉ.टेसला का मानना था। इस संशोधन के द्वारा मनुष्यों को मूलभूत आवश्यकताएँ पूरा करना आसान हो जाएगा व उसके कारण मनुष्य स्वयं को मिलने वाली परमेश्‍वरीय प्रेरणा के बारे में विचार करने के लिए अधिक श्रम और समय खर्च कर पायेगा ऐसी टेसला की धारणा थी।

डॉ.टेसला द्वारा तैयार किया गया पहले रोबोट का प्रात्यक्षिक उन्होंने सन १८९८ वर्ष न्यूयार्क शहर के मॅडिसन स्क्वेयर गार्डन के तालाब में दिखाया गया। अँटिना फिट की गई एक नौका डॉ.टेसला ने तैयार की और अपने हाथ में एक वायरलेस रिमोट लेकर टेसला ने किनारे पर खड़े रहकर यह नौका चलाकर दिखाई। जिस युग में बिजली जैसी चीज यह बहुत ही दुर्लभ थी, उस युग में डॉ.टेसला ने वायरलेस यांत्रिक ज्ञान का यशस्वी रूप से प्रदर्शन किया था। इतना ही नहीं तो रिमोट पर मशीन चलाकर दिखाई थी। इस बात को हमें ध्यान में रखना चाहिए।

डॉ.टेसला द्वारा तैयार की गई नौका छ: फुट की लंबाई की थी। इस नौका में उन्होंने ‘लॉजिक गेट्स’ बिठाए थे। इसके कारण इस नौका का नियंत्रण टेसला के हाथ में रहनेवाले एकमेव रिमोट द्वारा ही हो सकता था। दूसरा अन्य कोई भी उपकरण या रिमोट इस नाव का ताबा नहीं ले सकता था। अर्थात टेसला द्वारा तैयार की गई यह नौका ‘हॅकिंगप्रूफ’ थी, इस पर से हम डॉ.टेसला के यांत्रिक ज्ञान की परिपूर्णता का अंदाजा लगा सकते हैं। इस प्रदर्शन को देखने के लिए उपस्थित लोगों ने इसके पहले कभी ऐसा प्रयोग नहीं देखा था। उन्हें यह क्या चल रहा है यह भी समझ में नहीं आ रहा था। इसी लिए उपस्थित लोगों में से कुछ लोग इस प्रयोग के बारे में अलग-अलग तर्क वितर्क प्रस्तुत करने लगे।

कुछ लोगों को तो यह जादू का प्रयोग लग रहा था। कुछ लोगों ने इसे टेलीपेथी बताया। तो कुछ लोगों ने इस छ: फुट की नौका में बंदर है और वही नौका चला रहा है ऐसा दावा किया। इस प्रतिक्रिया को देखने पर हमें पता चलता है कि टेसला उन युग में भी कितने विकसित तंत्रज्ञान को जग के सामने प्रस्तुत कर रहे थे। इस बात की अनुभूति हमें होती है।

इस जबरदस्त यांत्रिक ज्ञान द्वारा अमेरिका के संरक्षण दलों को फायदा मिलने वाले प्रस्ताव को डॉ.टेसला ने प्रस्तुत किया था। इस तंत्रज्ञान के आधार पर ही पनडुब्बी व पनतीर (टोर्पेडो) और वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी पर चलने वाले युद्धनौकाओं का प्रस्ताव टेसला ने अमेरिकन नौ दल को दिया था। किंतु अमेरिकन नौदल ने यह प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। इतना महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव नामंजूर करने की दुष्टता अमेरिकन नौदल ने क्यों की। इस निवड समिति के अध्यक्ष का नाम हमें पता चलने पर यह बात ध्यान में आ जाएगी। ‘थॉमस अल्वा एडिसन’ ही इस समिति के अध्यक्ष थे। अर्थात ‘वॉर ऑफ करंट्स’ में पराभूत हुए एडिसन को डॉ.टेसला का नुकसान करवाना और उनको तकलीफ देने का अवसर उन्हें मिला था, और इस अवसर को भला वे कैसे हाथ से जाने दे सकते थे।

अपने युग से लगभग सौ साल आगे चलने वाले यांत्रिक ज्ञान को स्वीकारने की दुनिया की तैयारी नहीं थी, ऐसा टेसला के कई शोध को देखकर व उनके ऊपर की गई प्रतिक्रियाओं को देखकर हम निश्‍चित रूप से कह सकते हैं। डॉ.टेसला के इस प्रयोग को ४२ वर्ष होने के बाद जर्मन फौज ने दूसरे महायुद्ध में पहले ‘रेडियो कंट्रोल बॉम्ब’ का उपयोग किया। इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

आज मनुष्य के जीवन में आसपास के प्रत्येक क्षेत्र में मशीनें और रोबोट इनका प्रवेश हो चुका है। सौ वर्ष पहले ही डॉ.टेसला ने विकसित किया गया तंत्रज्ञान व उसके उपयोग के पीछे उनके विचार कितने उचित थे, यह सिद्ध करने के लिए हमें दूसरे उदाहरण की आवश्यकता नहीं है। डर्टी, डेंजरस और डिफिकल्ट अर्थात गलिच्छ, धोखादायक, और मुश्किल कामों के लिए आज मनुष्य की जगह रोबोट का उपयोग किया जाता है। अपने उप्तादनों को ग्रहकों तक पहुँचाने के लिए विश्‍व की अग्रगण्य कम्पनियाँ आज कल ड्रोन्स और मानवरहित आवागमन के साधनों का उपयोग करने लगी हैं। किंतु अतिप्रगत यांत्रिक ज्ञान का उपयोग करने वाले कंपनियों को आज भी इससे आगे बढ़कर काम करने में पूर्ण रूप से यश नहीं मिला है। किन्तु ११६ वर्ष पहले ही डॉ.निकोल टेसला ने यह यश अकेले ही अपने संशोधन में प्राप्त कर लिया था।
क्रमश:………..

Leave a Reply

Your email address will not be published.