प्रगत जीवसृष्टि की खोज सर्च फॉर इंटेलिजंट लाईफ – डॉ. टेसला

Dr-Teslaहम अंतराल से जाने वाले कृत्रिम रेडियो प्रक्षेपण को पहचान सकते हैं, इस बात का १९२० तक डॉ. टेसला को पूरा विश्‍वास हो चुका था| लेकिन इसके पश्‍चात् तुरन्त ही डॉ. टेसला ने अन्य ग्रहों पर वास्तव्य करने वाले परग्रहवासियों की पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के संदर्भ में बड़ी भयकारक एवं कष्टदायक योजना होने की बात बताकर उसके बारे में चिंता व्यक्त करनी शुरू कर दी|

जब तक मानवसृष्टि का अस्तित्व है, तब तक मनुष्य के मन में अनाकलनीय चीजों का आकर्षण हमेशा बना ही रहेगा| इसी आकर्षण के कारण ही पिछले सैकड़ो वर्षों में इन ग्रहों के अनेक पहलुओं का रहस्य सामने आता रहा है| मनुष्य ने जब पक्षी को उड़ते हुए देखा, तब उसे भी ऊँची उड़ान भरने की इच्छा हुई| इसके पश्‍चात् जोड़-बटोर करते-करते गलतियों से सीखते-सीखते कोशिश कर मनुष्य ने अपने लिए भी उड़ान संभव हो सके इस तरह से विमान बनाने में सफलता हासिल कर ही ली| आकाश के प्रति इस प्रकार की खोज पूरी हो जाने पर, उसका ध्यान रात्रि के अंधकार में आकाश में टिमटिमाने वाले अनेक प्रकार के प्रकाश बिंदुओं की ओर अर्थात तारों की ओर खींच गया|

आज के समय में, यदि किसी दूसरे ग्रह पर जीवसृष्टि होगी, तो ऐसा ग्रह सूर्य के समान किसी तेजस्वी तारे के कक्ष में भ्रमण करने वाला होना चाहिए, यह शास्त्रज्ञों द्वारा प्रस्तुत की गई उत्पत्ती के बारे में हम सभी जानते ही हैं| इस दुनिया में पृथ्वी पर रहने वाली मानवसृष्टि ही कोई एकमेव प्रगत जीवसृष्टि नहीं है, ऐसा बहुतों का मानना है| फिर हम अपनी पृथ्वी के दूसरी छोर पर रहने वाले उस जीवसृष्टि के साथ अभी तक अपना संपर्क स्थापित क्यों नहीं कर सके? अथवा इस संपर्क को पहले ही किसी और ने स्थापित कर रखा है?

डॉ.टेसला ने कोलोरॅडो स्प्रिंग्ज के प्रयोगशाला में कार्यरत रहने पर, स्वयं विकसित किए गए ट्रान्समीटर्स एवं रिसिव्हर्स की सहायता से बहुत बड़े अंतर से आने वाले संदेश स्वीकारने वाली यंत्रणा विकसित की थी| यह तो हमने इससे पहले ही देख लिया है| परन्तु सच में देखा जाये तो डॉ.टेसला ने इस रिसिव्हर्स के माध्यम से बिजली एवं जानकारी तथा संदेश भेजने का उद्देश्य रखा था और इसके लिए अत्यन्त संवेदनशील ऐसे रिसिव्हर्स की आवश्यकता थी| सैकड़ो मील की दूरी से आने वाले बादल अथवा हवामान में आनेवाली रुकावटें उनका वेग, दिशा एवं अंतर इन सब की खोज करने के लिए रिसिव्हर्स विकसित करने की कोशिश चल रही थी उस समय डॉ.टेसला को कुछ अज्ञात व इससे पहले कभी न सुने हुए ‘इलेक्ट्रिकल डिस्टर्बन्सेस सुनाई दिए| इससे पहले डॉ.टेसला ने पृथ्वी पर आने वाले सूर्य एवं ध्रुवीय प्रकाश के साथ, अन्य किसी को भी स्तब्ध एवं स्तंभित कर सके इस प्रकार के इससे पहले न सुनी गई ध्वनि एवं इलेक्ट्रिकल सिग्नल की लहरों की थाह पा लेने में सफलता प्राप्त कर ली थी|

इसके पश्‍चात् डॉ.टेसला अकेले बैठे थे तब, चिंतन करते समय उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि यह आवाज अर्थात मानवनिर्मित अथवा पृथ्वी के किसी भी नैसर्गिक घटना के कारण प्रक्षेपित होने वाली ध्वनि न होकर वह तो पृथ्वी के बाहर से आने वाले सिग्नल हैं|

उन दिनों वैज्ञानिक जगत में मंगलग्रह पर जीवसृष्टि रही होगी, इस प्रकार के तर्क प्रस्तुत किए जाते थे; परन्तु डॉ.टेसला ने इस सिग्नल को मंगल के भी परे से आने का निरीक्षण लिखित रुप में दर्ज कर रखा है| यह बात है १८९९ की| इस खोज से डॉ.टेसला को अपना उर्वरित जीवन, इस सिग्नल के मूल स्रोत को ढूँढ़ना एवं उसके साथ संपर्क स्थापित करना, इसी खातिर उसे प्रवाहित करते रहने की प्रेरणा दी| प्राथमिक प्रयोग के पश्‍चात् डॉ.टेसला ने अच्छे रेडियों ट्रान्समीटर्स एवं रिसिव्हर्स की सहायता से संशोधन करना शुरु कर दिया| कोलोरॅडो में प्रयोग करते समय जो कुछ भी अनियिमत सिग्नल मिल रहे थे, उसी तरह का सिग्नल पुन: ग्रहण करने वाली यंत्रणा डॉ.टेसला ने विकसित किया|

९ फरवरी, १९०१ के दिन ‘कोलिअर्स वीकली’ इस साप्ताहिक में डॉ.टेसला ने ‘टॉकिंग विथ द प्लॅनेट्स’ इस शीर्षक के अन्तर्गत आनेवाले लेख में लिखा – ‘आज-कल हम पूरे विश्‍वास के साथ एवं अचूक रुप में वायर के माध्यम से न्यूयॉर्क से लेकर फिलाडेल्फिया को संदेश भेज सकते हैं उसी धरती पर दो हजार हॉर्स पॉवर का उपयोग करके मंगल जैसे ग्रह तक भी संदेशा भेजा जा सकता है| इस बात को मैं सिद्ध कर सकता हूँ| दीर्घकाल तक शुरु रहनेवाले प्रयोग एवं हरएक पड़ाव पर होने वाले सुधार के कारण ही यह संभव हो सका है|’

कोलोरॅडो स्प्रिंग्ज में लगाये गए हाय व्होल्टेज यंत्रणा की सहायता से ही हमने मंगल अथवा शुक्र से आने वाले कृत्रिम सिग्नल्स को प्राप्त किया है, ऐसा दावा डॉ.टेसला ने किया| आने वाले शतक में आंतरग्रहीय संपर्क यह एक अत्यन्त प्रभावी एवं सामर्थ्यशाली संकल्पना के रूप में आगे आयेगी ऐसी संभावना भी उन्होंने इस लेख में वर्णित की है|

आने वाले सिग्नल नियमित समय के अन्तर्गत आ रहे थे| और उस में से नंबर एवं विशिष्ट व्यवस्था होने के संकेत भी मिल रहे थे| इसी लिए डॉ.टेसला ने इस संदेश को और भी अधिक स्पष्ट रुप में सुनने के लिए उसी तरह उनके एवं दिशा स्त्रोत निश्‍चित करने के लिए उपाय ढूँढ़ने के लिए कोशिश शुरु कर दी|

हम अंतराल से आने वाले कृत्रिम रेडियो प्रक्षेपण पहचान सकते हैं इस बात का १९२० तक डॉ.टेसला को पूरा विश्‍वास हो गया था| मात्र, इसके पश्‍चात तुरंत ही डॉ.टेसला ने अन्य ग्रहों पर बस्ती बनाने वाले परग्रहवासियों का पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के बारे में अत्यन्त भयंकर एवं कष्टदायक योजना होने की बात बताकर उस पर चिंता व्यक्त करनी शुरु कर दी|

डॉ.टेसला ने दावा किया था कि, ‘बाहर से भेजे जाने वाले सिग्नल मंगल से लेकर पृथ्वी का प्रवास करने के लिए सक्षम हैं, ऐसा नहीं लगता है| इसी कारण मुझे मज़बूरी में यह कहना पड़ रहा है कि, इस सिग्नल का स्त्रोत अंतराल में ही आस-पास में हीं; कदाचित चॉंद भी हो सकता है| जो कोई भी जीव रोज रात्रि के समय में एक-दूसरे के साथ संपर्क स्थापित करते हैं; वे मंगल अथवा अपने सौरमाला के अन्य किसी भी ग्रह पर रहनेवाले नहीं हैं; इस बात का मुझे पूरा विश्‍वास है|’

डॉ.टेसला के दावा करने से इस बात का उजागर होता है कि उन्होंने जो संदेशवहन पकड़ने में यश प्राप्त किया था, वह पृथ्वी एवं अपने सौरमाला के अथवा उसके बाहर के ग्रह के थे|

परग्रहों पर रहनेवाले जीव पहले से ही पृथ्वी पर अस्तित्त्व में हैं, यह भी डॉ.टेसला को लगता था| इन परग्रहवासीयों ने हजारों वर्षों से मनुष्यों पर अपना नियंत्रण बनाये रखा है और उनके लिए मनुष्य अर्थात दीर्घकाल तक चलनेवाले प्रयोग के परीक्षण के लिए उपयोग में लाया जाने वाला एक सादा सा घटक (हिस्सा) है| इसीप्रकार की चिंता अथवा भय डॉ.टेसला को लगता था|

डॉ.टेसला के समान संशोधक बिना किसी आधार के इस प्रकार के स्वरूपों के विधान कर ही नहीं सकता था| उन्होंने इससे संबंधित अपने निरीक्षण एवं निष्कर्ष इनकी जानकारी अमरीकी सरकार एवं अमेरिकन फौज तक पहुँचायी थी| परन्तु इस बात की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया| डॉ.टेसला के एक भी पत्र को किसी ने भी प्रतिसाद नहीं दिया| उलटे डॉ.टेसला द्वारा प्रस्तुत की गईं सभी कल्पनाएँ एवं निरीक्षणों के पश्‍चात् प्रसारण माध्यमों ने तो उन्हें ‘मॅड सायंटिस्ट’ कहकर उन्हें अपमानित किया| और उस समय के लोगों ने भी उनका मज़ाक उड़ाया|

कुछ लोगों ने तो, डॉ.टेसला को मिलने वाले सिग्नल्स किन्हीं अन्य ही स्त्रोतों से आ रहे होंगे और जो प्रक्षेपण डॉ.टेसला ने अंतराल से आये है ऐसा बताया था, वे हकीकत में पृथ्वी के ही किन्हीं अन्य ट्रान्समीटर्स की ओर से आई हुई हैं और उन्होंने इसका गलत अर्थ लगा लिया है| ऐसी संभावनाएँ भी व्यक्त की| डॉ.टेसला द्वारा अंतराल से सिग्नल मिल रहा है यह जानकारी देने के पश्‍चात् अनेक वर्षों पश्‍चात् गुग्लिएल्मो मार्कोनी ने भी इस बात का दावा किया कि उन्होंने रेडियों ट्रान्समीटर पर परग्रहवासियों का संदेश सुना था| मार्कोनी अर्थात रेडियो की खोज करने वाले प्रथम संशोधनकर्ता के रुप में दुनियाभर में (प्रसिद्ध हुए थे) प्रसिद्धि प्राप्त की थी|

मात्र टेसला की तरह इनके दावे को भी समकालीन शास्त्रज्ञों ने झूठलाकर रख दिया और उन्हें भी पृथ्वी पर ही ऐसे ही किसी रेडियो स्टेशन पर होने वाला प्रक्षेपण सुनाई दिया होगा, ऐसा कहकर उनकी बात को भी अनसुना कर दिया गया|

डॉ.टेसला द्वारा परग्रहवासियों के साथ संपर्क साध्य करने के संदर्भ में होने वाले प्रयोग को प्रत्यक्ष रुप में देखने के लिए कोई भी नहीं था, और इसीलिए उनके द्वारा किए जाने वाले दावों की जॉंच-पड़ताल करना मुश्किल है| परन्तु उनका समर्थन करने वाला परिस्थितिजन्य सबूत अत्यन्त प्रबल है|

१९४३ में डॉ.टेसला के मृत्यु पश्‍चात, अमरीक की जॉंच यंत्रणा ‘एफ.बी.आय.’ ने डॉ.टेसला के संशोधन के सारे कागज़ाद अपने कब्जे में ले लिये| ये कागज़ाद बाद में एक अज्ञात स्थल पर भेजे गए और इसके पश्‍चात् ‘सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरेट्रिअल इंटेलिजन्स’ (एसइटीआय-सेटी) यह कार्यक्रम हाथ में लिया गया|

डॉ.टेसला के संशोधन पर होने वाली आलोचनाओं पर विचार करते समय, एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि अन्य शास्त्रज्ञ जिस बात का दावा कर रहे थे, उसमें कोई भी तथ्य नहीं था| कारण १८९९ में डॉ.टेसला के अति संवेदनशील रिसिव्हर्स में मिलेंगे, ऐसे सिग्नल देने वाले ट्रान्समीटर्स अस्तित्त्व में ज़रूर होंगे, ऐसी जानकारी कम से कम उस समय में तो सामने नहीं आई थी|

और दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि डॉ.टेसला स्वयं किसी भी स्रोतों में से आने वाली ध्वनिलहरों के फ़र्क को सहज ही समझ सकते थे| अपने मन ही मन में यूँ ही किसी भी चीज़ का लेखा-जोखा तैयार कर लेने वाले डॉ.टेसला के समान श्रेष्ठ वैज्ञानिक इतनी बड़ी गलती करें ऐसा हो ही नहीं सकता था| डॉ.टेसला ने जो कुछ भी निष्कर्ष निकाला, उसे प्रस्तुत करने से पूर्व उन्होंने अन्य सभी विकल्पों का विचार करके एवं उसका तुलनात्मक अध्ययन करके फिर ही उस प्रस्तुतिकरण को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने की शिष्टता अपने आप में बना रखी थी| ऐसे संशोधनकर्ता के निष्कर्ष को उनकी कल्पना अथवा भ्रम कहकर झूठला देना सर्वथा अनुचित व्यवहार था|

इसीलिए अब इन सभी का एक ही निष्कर्ष निकाला जा सकता हैकि, डॉ.टेसला ने परग्रवासियों के साथ ज़रूर संपर्क स्थापित किया था| परन्तु इसके बारे में वे जो दावा करते थे उस दावे को समर्थन प्राप्त करवाने वाले सबूत उन्होंने कभी भी ज़ाहिर नहीं किये | इसके बजाय उन्होंने अपनी सम्मानहानि भी कबूल कर ली| इसका कारण सिर्फ यही था कि उनका पूरा विश्‍वस था कि ‘प्रगति एवं यांत्रिक ज्ञान ये दोनों भिन्न-भिन्न बातें हैं| प्रगति मनुष्य के लिए हितकारक साबित होती है; परन्तु यांत्रिक ज्ञान भी वहीं करेगा, इस बात का विश्‍वास नहीं जताया जा सकता है|’

मानवी समाज आज भी डॉ.टेसला के संशोधन का स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, यही इसका अर्थ निकाला जा सकता है|

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