डॉ.निकोल टेसला – अज्ञात की खोज

pg12_tesla 15 - shadowgraph x-ray imgइस पत्र में टेसला कहते हैं, ‘‘इस क्षेत्र में मैंने अतिशय व्यापक विचार किया, कुछ अंतर से कोई मशीन कंट्रोल करने तक ही मैंने अपने संशोधन को मर्यादित नहीं रखा। तो स्वत: की ‘बुद्धी’ से काम करने वाली मशीन मुझे अपेक्षित है। जल्द ही मैं बिना किसी नियंत्रण के स्वयं ही अपने आप काम करनेवाली मशीन विकसित करूँगा। इस तरह की मशीन के कारण यांत्रिक युग में एक नवीन पर्व का उदय होगा। ’’

अपने नियंत्रित क्षेत्र के बाहर का विचार कर एक ही चीज के अनेक उपयोग ढूँढ़ निकालना और उसके लिए अविरत प्रयोग करते रहने की आदत डॉ.टेसला ने स्वयं ही बना रखी थी। इसीलिए एक ही संशोधन के माध्यम से अनेक कार्य साध्य करना डॉ.टेसला के लिए स्वाभाविक तौर पर मुमकिन होता था। आज के समय में जिसका उल्लेख ‘जुगाड’ के रूप में किया जाता है, उसका उपयोग डॉ.टेसला ने अपने संशोधन में अप्रतिम रुप में करते हुए नज़र आता है। मर्यादित संशोधनों में से बहुत बड़ी चीज़े तैयार करना और उसका विविध प्रकार से उपयोग करना डॉ.टेसला को उनके प्रयोगशीलता के कारण सहज ही मुमकिन हो जाता था।

डॉ.टेसला के संशोधन की जानकारी हासिल करते समय, उनका संशोधन से बहुत ही आगे बढ़कर होता था, इस बात को हमें अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। समय के परिणाम के बारे में जाने बगैर डॉ.टेसला के संशोधन के महत्त्व को भलीभाँति हम नहीं जान पायेंगे। उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो मोबाईल के बारे में हम देख सकते हैं। आज के दौर में टच स्क्रिन मोबाईल हर किसी के पास होता है। परन्तु पुरे २५ वर्ष पहले यदि किसीने हमें इस प्रकार का टच स्क्रिन मोबाईल दिखाया होता, तो हमारी स्थिती कैसी हो चुकी होती? उस समय में स्वाभाविक है कि यह बात अविश्‍वसनीय एवं अद्भुत लगी होती। १८९८ में मॅडिसन स्व्केअर गार्डन में डॉ.टेसला के प्रयोग को देखकर जमा होने वाले लोगों की भी कुछ ऐसी ही स्थिती हो गई थी।

वहाँ के तालाब में रिमोट पर चलनेवाली छ: फुट की नाव देखकर वे लोग स्तब्ध रह गए थे। उस पर अनेक प्रकार के तर्क-कुतर्क चल रहे थे। अभी भी विज्ञान, यांत्रिक ज्ञान बहुत पिछड़ा हुआ है और अपना प्रयोग लोगों के बर्दाश के बाहर की बात है। इस बात का ध्यान रखकर ही डॉ.टेसला अपना संशोधन अपने पहले वाले प्रयोग के साथ मेल-ज़ोल बिठाकर ही धीरे-धीरे लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते थे। इसीलिए मॅडिसन स्क्वेअर गार्डन में होने वाले प्रदर्शनी में उपस्थित रहनेवालों में से कुछ गिनेचुने लोगों को ही डॉ.टेसला ने इस प्रकार की दो नाव बनाई है, इस बात की जानकारी थी।

pg12_nikolateslahandxray203पानी पर रिमोट से चलने वाली एक नाव हर किसी ने देखी। वहीं डॉ.टेसला द्वारा तैयार की गई दूसरी नाव पानी के नीचली सहत पर चल रही थी। वायरलेस विद्युतभार संवाहन तथा रिमोट पर यह नाव चल रही थी। कहने का ताप्तर्य यह है कि रिमोट पर चलने वाली प्रथम वायरलेस पनडुब्बी डॉ.टेसलाने बनायी थी। परन्तु उसका प्रदर्शन मात्र डॉ.टेसला ने नहीं किया था। कारण रिमोटद्वारा पानी पर चलने वाली नाव देखकर ही लोग बौखला उठे थे। ऐसे में इस आविष्कार का स्वीकार वे कैसे कर पाते, यह विचार डॉ.टेसलाने किया।

पहले किए गए विवेचन के अनुसार डॉ.टेसला अपने इस संशोधन से मिलने वाले यश को लेकर संतुष्ट नहीं हुए, बल्कि ‘टेलिऑटोमेटॉन’ के बारे में उनका विचार अत्यन्त प्रगतिशील था।

‘टेलिऑटोमेटॉन’ का सरल अर्थ है, स्वयं ही चलनेवाली मशीन। परन्तु डॉ.टेसला द्वारा इस प्रकार के स्वरूपवाली मशीन के बारे में किया गया विचार समय के बहुत अधिक आगे की सोच थी। पडर्यू विश्‍वविद्यालय के प्राध्यापक डी.एफ.मायझनर को भेजे गए एक पत्र में डॉ.टेसला के ‘टेलिऑटोमेटॉन’ के प्रति होनेवाला विचार स्पष्ट रूप में सामने आया है। इस पत्र में डॉ.टेसला ने लिखा है, ‘‘इस क्षेत्र के प्रति अति व्यापक विचार मैंने किया है। कुछ ही अंतर से किसी मशीन को कंट्रोल करने तक ही मैंने अपने संशोधन को मर्यादित नहीं रखा है। बल्कि स्वयं की ‘बुद्धि’ से काम करने वाली मशीन को मैं अपेक्षा करता हूँ। बहुत ही जल्द मैं किसी के नियंत्रित करने की आवश्यकता  न होनेवाली स्वयं ही काम करनेवाली मशीन विकसित करूँगा। इस प्रकार की मशीन के कारण यांत्रिकयुग में एक नवीन पर्व का उदय होगा।’’

ध्यान देने योग्य बात यह है कि यहाँ डॉ.टेसला एक स्वतंत्र ही अपने आप काम करने वाली अर्थात कृत्रिम बुद्धि(Artificial Intelligence) वाली मशीन के बारे में बोल रहैं। ११६ वर्ष के बाद टेसला के पत्र का अर्थ हम समझ सकते हैं। टेसला यहाँ पर ‘ह्युमनॉईड रोबोट’ का विचार प्रस्तुत करते हैं। आर्टिफीसियल इंटेलिजन्स वाला रोबोट यहाँ टेसला अपेक्षित करते हैं। टेसला के विचार एवं दूरदृष्टि अपने युग से आगे चलने वाली थी यह बात यहाँ पर सिद्ध होती हैं।

टेसला को मॅडिसन स्क्वेअर गार्डन में रिमोट से चलने वाली नाव का प्रदर्शन करने के बाद लगभग पचास वर्षों के बाद पहला ट्रान्झिस्टर तैयार करने वाले शास्त्रज्ञ को नोबल पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया। इसी ट्रान्झिस्टर से ‘लॉजिक गेट्स’ व उसीसे कम्प्यूटर की उत्क्रांति हुई। जब कि डॉ.टेसला ने पचास वर्ष पहले ही ‘लॉजिक गेट्स’ की कार्यप्रणाली का उपयोग अपनी इस नौका में किया था। इतना ही नहीं तो लॉजिक गेट्स के साथ ही सैनिकी वाहन और शस्त्रों, रोबोटिक्स, रेडिओ और वायरलेस इंडस्ट्री इन सारे क्षेत्रों की नींव टेसला ने ही डाली थी, ऐसा कई शास्त्रज्ञों का कहना है।

इसी कालावधी में डॉ.टेसला ‘शेडोग्राफ पर संशोधन कर रहे थे। और उसका पर्यावरण पर होने वाले परिणाम का अभ्यास कर रहे थे। ‘हाय फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रीकल करन्ट्स’ के प्रयोग के दरम्यान अपने प्रयोग के दरम्यान अपने प्रयोगशाला के फोटोग्राफिक प्लेट्स पर विशिष्ठ प्रकार की आकृति उभरती है यह बात टेसला के ध्यान में आई। अपने हमेशा की आदत के अनुसार टेसला ने इसी बात पर अनेक प्रयोग शुरु किए। इन्हीं आकृतियों को टेसला ने ‘शेडोग्राफ यह नाम दिया। इस फोटोग्राफि प्लेट का प्रयोग करने के लिए टेसला ने स्वयं एक व्हॅक्यूम ट्यूब तैयार की। यह व्हॅक्यूम ट्यूब ‘टेसला कॉईल’ नाम से चलती है।

इस व्हॅक्यूम ट्यूब से कुछ किरणें प्रसारित होती हैं और इन किरणों में से आते सूक्ष्म कण मनुष्य के शरीर से आरपार होते हैं, किन्तु मानवीय हड्डियों के बीच से आरपार नहीं जा सकती। ऐसा निरिक्षण टेसला ने प्रस्तुत किया। टेसला ने अपने मित्र व विख्यात अमेरिकन लेखक मार्क ट्वेन को अपने व्हॅक्यूम ट्यूब के साथ फोटोग्राफिक प्लेट के सामने खड़ा किया किंतु शेडोग्राफ द्वारा उनका फोटो नहीं आ रहा था, कुछ असंग ही फोटो आ रहा था, इसीलिए टेसला ने और अधिक संशोधन करके मानवीय शरीर का शेडोग्राफ भी तैयार किया था।

अनेक वर्षों के बाद टेसला जिस कण के बारे में बोल रहे थे, वे कण फोटोन्स थे, उसी तरह टेसला का शेडोग्राफ अर्थात दूसरा, तीसरा कुछ न होकर आज हमें अच्छी तरह ज्ञात ‘एक्स-रे’ ही है। टेसला के इस प्रयोग के बाद लगभग एक वर्ष के भीतर ही विल्यम रॉटजेन ने ‘एक्स-रे’ के ऊपर अपना शोध निबंध प्रसिद्ध किया। टेसलाद्वारा ‘एक्स-रे’ के बारे में की गई खोज जग जाहीर न हो सकी। इसका मुख्य कारण उनकी प्रयोगशाला को लगी हुई भीषण आग है। इस आग में टेसला के सारे संशोधन व उनके बारे में लिखे सारे कागद पत्रक जलकर खाक हो गए थे। किंतु टेसला का बड़प्पन था कि उन्होंने ‘एक्स-रे’ संबंधी संशोधन परिपूर्ण होने के बावजूद अतिशय उदार अंत:करण से ‘एक्स-रे’ की खोज का संपूर्ण श्रेय विल्यम राँटजेन को दिया।

डॉ.टेसला को धन संपत्ति, मानमर्यादा इनकी अपेक्षा विज्ञान की व मानवीय प्रगति के प्रति रुचि थी, यह स्पष्ट करने के लिए यह उदाहरण ही बहुत है। ‘एक्स-रे’ के संशोधन का श्रेय टेसला को न मिलने पर भी इस बारे में प्रयोग अपनी नयी प्रयोगशाला में जारी रखा। इस संशोधन के बारे में अत्यंत महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष उन्होंने जग में जाहीर किए। उस बारे में हम अगले भाग में जानकारी प्राप्त करेंगे।(क्रमश:)

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