नाइजर की सैन्य हुकूमत ने फ्रान्स के राजदूत को दिया ४८ घंटे का अल्टिमेटम – नाइजर की सेना ‘हाय अलर्ट’ पर

नियामे/पैरिस – नाइजर की सैन्य हुकूमत और फ्रान्स के बीच तनाव बढ़ा हैं। नाइजर की सैन्य हुकूमत ने राजधानी नियामे में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत को देश छोड़ने के लिए ४८ घंटे की अवधि दी है। लेकिन, नाइजर की सैन्य हुकूमत को हमारे देश ने स्वीकृति प्रदान नहीं की है, यह कहकर फ्रान्स ने यह आदेश ठुकराए हैं। फ्रान्स की तरह अमरीका और जर्मनी के राजदूत को भी नाइजर की सैन्य हुकूमत ने इसी तरह का अवधि देने की खबरें हैं। पिछले चौबीस घंटे की इन गतिविधियों के बाद सैन्य हुकूमत ने अपने सैनिकों को हाय अलर्ट पर रखा हैं। इस वजह से नाइजर में संघर्ष छिड़ने की संभावना जताई जा रही हैं।

साहेल प्रदेश में फ्रान्स का हो रहा विरोध चरम स्तर पर पहुंचा हैं। पिछले डेढ़ सालों में बुर्किना फासो और माली में सैन्य विद्रोह हुआ हैं और इन दोनों देशों की सैन्य हुकूमतों ने फ्रान्स की सेना को देश छोड़ने के लिए मज़बूर किया है। फ्रान्स हमारे देश के कारोबार में हस्तक्षेप करने में लगा होने का आरोप बुर्किना फासो और माली ने लगाया था। पिछले महीने २६ जुलाई को नाइजर की सैन्य हुकूमत ने भी यही आरोप लगाकर पश्चिमी देशों के समर्थन में खड़े राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद बझूम की सरकार का तख्तापलट किया था।

पिछले महीने से नाइजर की सैन्य हुकूमत ने फ्रान्स या अन्य किसी भी विदेशी दूतावास, राजदूत एवं सेना के विरोध में कार्रवाई करना टाल दिया था। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में नाइजर की सैन्य हुकूमत एवं फ्रान्स के बीच जारी मतभेद तीव्र होने का दावा किया जा रहा है। नाइजर की सैन्य हुकूमत को हटाने के लिए फ्रान्स ने सैन्य कार्रवाई करने की तैयारी जुटाई थी और अल्जेरिया को हवाई सीमा उपलब्ध कराने को कहा था। अल्जेरिया ने फ्रान्स की यह मांग ठुकराने के बाद यह मामला सामने आया है।

अगले दो दिनों में ही नाइजर की सैन्य हुकूमत ने नियामे में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत सिल्वेन इते को देश छोड़ने के आदेश दिए हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाकर नाइजर की सैन्य हुकूमत ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है। नाइजर की जनता ने भी फ्रेंच दूतावास के सामने राजदूत इते के विरोध में नारे लगाए। लेकिन, फ्रान्स की सरकार ने नाइजर की सैन्य हुकूमत के आदेश ठुकराए हैं। राष्ट्राध्यक्ष बझूम को सत्ता से हटाकर देश का नियंत्रण हथियाने वाली सैन्य हुकूमत को फ्रान्स ने अभी स्वीकृति प्रदान नहीं की है। इस वजह से उनके इन आदेशों का पालन नहीं होगा, ऐसा फ्रान्स ने कहा है।

नाइजर की सैन्य हुकूमत ने फ्रान्स की तरह अमरीका और जर्मन राजदूत को भी ऐसे ही आदेश देने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। लेकिन, नाइजर की सैन्य हुकूमत ने इसकी पुष्टि नहीं की है। अमरीका ने भी ऐसे कोई आदेश प्राप्त ना होने का बयान किया है। लेकिन, पश्चिम अफ्रीकी देशों की संगठन सैन्य कार्रवाई कर सकती हैं, ऐसी संभावना जताकर नाइजर की हुकूमत ने अपनी सेना को हाय अलर्ट पर रखा है। साथ ही सीमा पर गश्त बढ़ाने की सूचना भी की है।

इसी बीच, नाइजर में सत्ता परिवर्तन होने से यूरोपिय देशों का भारी नुकसान हो रहा है। ईंधन की किल्लत का सामना कर रहे यूरोपिय महासंघ ने नाइजर के राष्ट्राध्यक्ष बझूम के साथ १३ अरब डॉलर लागत के ईंधन वायू निर्यात का समझौता किया था। इसके अनुसार नाइजर से दक्षिण यूरोप तक ईंधन पाइपलाईन का नेटवर्क बनाया जा रहा था। लेकिन, सेना ने नाइजर की बागड़ोर हथियाने के बाद यूरोप के साथ किया गया १३ अरब डॉलर का समझौता भी मुश्किलों से घिरा होने का दावा किया जा रहा है।

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