पश्चिम अफ्रीकी देशों की संभावित कार्रवाई के मद्देनज़र की जनता द्वारा सेना में भर्ती होने की पहल

नियामे – पिछले महीने हुए विद्रोह के कारण साहेल क्षेत्र में उभरते संकट का हल निकालने के लिए आवश्यक चर्चा करने की तैयारी होने का ऐलान नाइजर की जुंटा हुकूमत ने दी है। रशिया ने भी नाइजर की जुंटा हुकूमत ने अपनाई इस भूमिका का स्वागत किया है। लेकिन, पश्चिम अफ्रीकी देशों की संगठन नाइजर की जुंटा हुकूमत से बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है। उल्टा नाइजर की समस्या दूर करने के लिए सैन्य कार्रवाई करने का विचार पश्चिमी देशों ने व्यक्त किया है। ऐसी स्थिति में नाइजर की राजधानी नियामी जनता ने ही सेना की सहायता करने के लिए भर्ती होने के लिए पहल की है। इस वजह से वहां की जनता नाइजर की सेना के पीछे खड़ी होने की बात फिर से स्पष्ट हुई है। 

पश्चिम अफ्रीकीयुरेनियम और सोने के भंड़ार से समृद्ध नाइजर की जुंटा हुकूमत पर दबाव बढ़ाने के लिए पश्चिमी और अफ्रीकी देशों की बड़ी जोरदार कोशिश जारी है। यूरोपिय देशों ने नाइजर पर प्रतिबंध लगाए हैं और आर्थिक सहायता भी रोक दी है। आगे के समय में इसका असर नाइजर की अर्थव्यवस्था पर होगा। साथ ही अन्य अफ्रीकी देशों की तरह नाइजर में भी अनाज़ का संकट खड़ा रह सकता है। इसे जानकर नाइजर की समस्या दूर करने के लिए जुंटा हुकूमत ने बातचीत करने की तैयारी दिखाई है। रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और अमरीका ने भी इसका स्वागत किया है। 

लेकिन, नाइजर की सैन्य हुकूमत का प्रस्ताव पश्चिम अफ्रीकी देशों के ‘इसीओडब्ल्यूएएस’ संगठन ने स्वीकार नहीं किया है। राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद बझूम की सत्ता का तख्तापलट करने वाली जुंटा हुकूमत से बातचीत नहीं करेंगे, यही भूमिका पश्चिम अफ्रीकी देशों ने अपनाई है। उल्टा नाइजर संबंधित सभी विकल्प सामने रखे हैं और इनमें सैन्य कार्रवाई का विकल्प भी होना का सूचक बयान पश्चिम अफ्रीकी देशों की संगठन ने लगाया है। इस संगठन ने पिछले तीन दिनों में दूसरी बार नाइजर में सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए हैं।

इस पृष्ठभूमि पर नाइजर विद्रोही सैन्य संगठन के समर्थन में राजधानी नियामे की सड़कों पर उतरी जनता ने ही सेना में भर्ती होने की पहल की है। आगे के दिनों में पश्चिम अफ्रीकी देशों से युद्ध शुरू हुआ तो नाइजर की सेना को सहायता करने के लिए हम तैयार हैं, यह संदेश इस देश की जनता ने दिया है। जनता का नाइजर की विद्रोही सेना को प्राप्त हो रहे इस समर्थन के चलते इस देश पर हमला करना पश्चिम अफ्रीकी देशों की संगठन के लिए उतना आसान नहीं होगा। ऐसे में नाइजर की सेना को रशिया का मज़बूत समर्थन प्राप्त हैं। इस वजह से पश्चिमी देशों के समर्थन से नाइजर की सेना पर दबाव बढ़ाने की पश्चिम अफ्रीकी देशों की कोशिश कामयाब होने की संभावना भी नहीं है।

ऐसी स्थिति में पश्चिम अफ्रीकी देश यदि नाइजर पर सैन्य कार्रवाई करने की तैयारी करते हैं तो इसका असर अफ्रीकी महाद्वीप पर होगा। इस कारण से अफ्रीका में पश्चिमी देशों के पक्ष में और विरोध में खड़े देशों का संघर्ष छिड़ने की बड़ी संभावना है।

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