देश का संविधान न माननेवाले जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत नहीं : केंद्र सरकार की निश्‍चित भूमिका

नई दिल्ली, दि. २८: इस समय जम्मू-कश्मीर में चल रहे हिंसक प्रदर्शन रोकने के लिए सरकार अलगाववादियों से बातचीत नहीं करेगी, ऐसा केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में स्पष्ट किया गया| जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकर्ताओं के खिलाफ़ पॅलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गयी है| इस याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने इस संदर्भ की अपनी भूमिका स्पष्ट की| न्यायालय ने भी निश्‍चित भूमिका अपनाते हुए, ‘यदि पथराव नहीं हुआ, तो सुरक्षा दलों को भी ‘पॅलेट गन का इस्तेमाल न करें’ ऐसा कहा जा सकता है’, ऐसा याचिका दाखिल करनेवालों ने सुनाया है|

हिंसक प्रदर्शन

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के बार असोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी| इसमें जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकर्ताओं के खिलाफ पॅलेट गन का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के निर्देश न्यायालय दे दें, ऐसी माँग की गयी थी| साथ ही, जम्मू-कश्मीर का माहौल पहले जैसा हो इसलिए कश्मीर की स्वतंत्रता की माँग करनेवाली अलगाववादियों की मध्यवर्ती संगठना ‘हुरियत कॉन्फरन्स’ के लीडर्स के साथ सरकार चर्चा करें, ऐसी माँग इस याचिका में की गयी है|

इस संदर्भ में ऍटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय में सरकार का पक्ष पेश किया| जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में हम बातचीत करने के लिए तैय्यार हैं| लेकिन भारत की राज्यघटना पर जिनका भरोसा नहीं है, भारत से अलग होने की माँग जिनके द्वारा की जाती है, उनसे भारत सरकार कभी भी चर्चा नहीं करेगी, ऐसी निश्‍चित भूमिका सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में पेश की| ‘भारत का संविधान और कानून के दायरे में रहकर कश्मीरी लोगों का प्रतिनिधित्व करनेवालों से ही चर्चा हो सकती है’ ऐसे केंद्र सरकार ने न्यायालय में स्पष्ट किया|

इस समय जम्मू-कश्मीर के कुछ ज़िलों में अलगाववादियों के हिंसक प्रदर्शन शुरू हैं| इन हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ रक्षादल संयम से कार्रवाई कर रहे हैं| लेकिन ये प्रदर्शन रुककर इस राज्य का माहौल पुनः सामान्य बनाने के लिए अलगाववादी नेताओं के साथ चर्चा करें, ऐसी माँग कुछ लोगों द्वारा की जा रही है| जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने हाल ही में इस संदर्भ में प्रधानमंत्री से भेंट की थी| जम्मू-कश्मीर की समस्या राजनीतिक होकर, सेना की कार्रवाई से यह सवाल हल नहीं होगा, ऐसा दावा कुछ बुद्धिवादी कर रहे हैं| लेकिन चाहे जो भी हो, तब भी भारत के संविधान को न माननेवाले अलगाववादियों से चर्चा करके उन्हें वैधता बहाल करने के लिए केंद्र सरकार तैय्यार नहीं है, यह इससे स्पष्ट हुआ है|

सरन्यायाधीश जे. एस. खेहर, न्यायाधीश डी. वाय. चंद्रचूड और न्यायाधीश एस. के कौल के खंडपीठ के सामने यह सुनवाई हुई| इससे पहले ऐसी ही याचिका जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय में दाखिल की गयी थी| लेकिन उस याचिका को न्यायालय ने खारिज कर दिया था| इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका दाखिल की गयी|

इस याचिका की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने भी याचिकाकर्ताओं को खरी खरी सुनायी| प्रदर्शनकर्ताओं ने पथराव रोका, तो ही रक्षादलों को ‘पॅलेट गन का इस्तेमाल न करें’ ऐसे निर्देश दिये जायेंगे, ऐसा न्यायालय ने कहा है| याचिकाकर्ता सिर्फ़ शिकायत न करते हुए, यह समस्या सुलझाने के लिए सूचनाएँ लेकर आगे आयें, ऐसा आवाहन सर्वोच्च न्यायालय ने किया| वहीं, सरकारने भी ‘पॅलेट गन का इस्तेमाल यह रक्षादलों के सामने का आखिरी विकल्प है’ ऐसा युक्तिवाद किया|

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