क्षेत्रीय चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत और व्हिएतनाम के बीच दृढ़ सहयोग आवश्यक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

हनोई, दि. ३ (वृत्तसंस्था) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित व्हिएतनाम यात्रा में, दोनो देशों के बीच रक्षा, सायबर सुरक्षा तथा गोपनीय दस्तावेज़ों का आदानप्रदान इन जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लगभग १२ सामंजस्य समझौते संपन्न हुए हैं| क्षेत्रीय चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिए भारत और व्हिएतनाम के बीच सहयोग मज़बूत होना आवश्यक था, ऐसा दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है| ‘क्षेत्रीय चुनौतियाँ’ कहते समय प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही किसी का ज़िक्र ना किया हो, लेकिन उनका रूख चीन के आक्रामक रवैय्ये पर था, यह बात स्पष्ट हो रही है|

व्हिएतनामशुक्रवार शाम को व्हिएतनाम यात्रा पर दाख़िल हुए प्रधानमंत्री मोदी का जोरोंशोरों से स्वागत किया गया| इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और व्हिएतनाम के प्रधानमंत्री ‘एन्गुएन झुआन फुक’ इनके बीच प्रदीर्घ चर्चा हुई| यह चर्चा रक्षा से संबधित सहयोग पर केंद्रित थी, ऐसा कहा जाता है| भारत ने अपनायी ‘ऍक्ट ईस्ट’ नीति के तहत, पूर्वीय दिशा में अपने पड़ोसी देशों के साथ सभी स्तर पर सहयोग बढ़ाने पर अधिक ज़ोर दिया जा रहा है| रक्षा, आतंकविरोधी सहयोग के साथ आर्थिक सहयोग भी अधिक व्यापक बनाने के भारत के प्रयास हैं, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने इस वक़्त स्पष्ट किया|

भारत द्वारा व्हिएतनाम को दी जानेवाली क़र्जसहायता ५० करोड़ डॉलर तक बढ़ायी जानेवाली है, ऐसी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की| व्हिएतनाम के साथ १२ महत्त्वपूर्ण सझमौते हुए हैं| इनमें रक्षा, आयटी, अंतराल, सायबर सुरक्षा, गोपनीय दस्तावेज़ों का आदानप्रदान जैसे समझौतों का समावेश है| इसके अलावा, भारत व्हिएतनाम को निगरानी जहाज़ों का निर्माण कराके देनेवाला है| दोनो देशों के बीच संपन्न हुए इन समझौतों से, दोनों देशों के बीच के सहयोग की व्याप्ति रेखांकित होती है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा| सन २०१७ को दोनो देशों ने, ‘मैत्री वर्ष’ बतौर मनाने का निश्‍चित किया है, ऐसा प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया|

इस क्षेत्र के दो महत्त्वपूर्ण देश होने के कारण, सहयोग और भी मज़बूत करना ज़रूरी था| क्षेत्रीय और आंतर्रराष्ट्रीय स्तर पर एकसमान हितों का ध्यान रखते हुए और सामने खड़ीं चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनो देशों के बीच सहयोग व्यापक बनाने की बेहद ज़रूरत थी, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा| इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने व्हिएतनाम के प्राचीन बुद्ध मंदिर की भेंट की| कुछ लोग व्हिएतनाम में ‘युद्ध’ लेकर आये, तो कुछ ‘बुद्ध’ लेकर आये| युद्ध करनेवाले नष्ट हो गये, लेकिन यहाँ पर बुद्ध को लेकर आनेवाले अमर हो गये, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा|

‘साऊथ चायना सी’ के बारे में भारत ने अपनायी भूमिका को व्हिएतनाम का समर्थन

हनोई, दि. ३ (वृत्तसंस्था) – साऊथ चायना सी’ के बारे में भारत ने अपनायी भूमिका का व्हिएतनाम के सभी नेताओं ने स्वागत किया है| चीन ने ‘साऊथ चायना सी’ पर किये हुए दावे को लेकर फिलिपिन्स, व्हिएतनाम, तैवान, मलेशिया, ब्रुनोई इन सभी देशों के चीन के साथ विवाद हैं| भारत का भी व्यापारी परिवहन इसी सागरी मार्ग से होता है| इसलिए आंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत, इस समुद्री क्षेत्र में परिवहन करने की स्वतंत्रता चाहिए, ऐसा भारत ने इससे पहले भी स्पष्ट किया है| साथ ही, इस संदर्भ में रहनेवाले सभी विवाद डरा-धमकाकर या दबाव लाकर न सुलझाते हुए, शांति और परस्पर सहयोग से सुलझाने चाहिए, ऐसा भारत ने कहा था|

व्हिएतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी ‘एन्गुयेन फू ट्राँग’ तथा व्हिएतनाम के राष्ट्रीय विधिमंडल की अध्यक्षा ‘एन्गुयेन थी किम एन्गन’ इन्होंने भारत की इस भूमिका का स्वागत किया है| साथ ही, ‘भारत हमेशा अपना मित्र देश रहा है| दोनो देशों की मित्रता दो हज़ार साल पुरानी है, ऐसा ट्राँग ने कहा है|

इससे पहले भी चीन ने, ‘साऊथ चायना सी’ में व्हिएतनाम के सागरी क्षेत्र के अंतर्गत भारत के इंधनउत्खनन पर ऐतराज़ जताया था| साथ ही, भारतीय नौसेना के जहाज़ों की ‘साऊथ चायना सी’ में होनेवाली उपस्थिति को भी चीन ने कड़ा विरोध दर्शाया था| पिछले महीने, ‘साऊथ चायना सी’ में सीमारेखा को लेकर चीन के साथ रहनेवाला विवाद फिलिपिन्स ने आंतर्रराष्ट्रीय न्यायालय में जीता था| इस फ़ैसले को मानने से भी चीन इन्कार कर रहा है|

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