भारतीय सरहद के नज़दीक चीन द्वारा ‘जे-२०’ तैनात

नई दिल्ली, ३ (वृत्तसंस्था) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में दाखिल होने के दो दिन पहले, भारतीय सीमाक्षेत्र के नजदीक अपने ‘जे-२०’ अत्याधुनिक लड़ाकू विमान तैनात करके चीन ने भारत को चेतावनी दी है| कुछ ही दिन पहले भारत ने, चीन के सीमाक्षेत्र के नज़दीक ‘ब्राह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र तैनात करने का निर्णय लिया था| इसपर नाराज़गी दर्शाते हुए चीन ‘जे-२०’ तैनात करके भारत को चेतावनी दे रहा है| साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन में दाखिल होने से पहले व्हिएतनाम का दौरा कर चीन को उचित संदेश दिया है, ऐसा कहा जाता है|

china-j-20-stealth-fighter-  ‘जे-२०’अरूणाचल प्रदेश के सीमाक्षेत्र से सटे हुए इलाक़े में चीन ने ‘जे-२०’ इस पाँचवीं श्रेणी के अतिप्रगत लड़ाकू विमान तैनात किये हैं| चीन की मायक्रोब्लॉगिंग साईट पर इस तैनात किये गये लड़ाकू विमान के फोटोग्राफ्स प्रसिद्ध हुए हैं| यह तैनाती यानी भारत के लिए चेतावनी है, ऐसे स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं| कुछ दिन पहले भारत ने, चीन के सीमाक्षेत्र के नज़दीक अपने अरूणाचल प्रदेश और लड़ाख के सीमावर्ती इलाके में ब्राह्मोस मिसाईल्स तैनात करने का फ़ैसला किया था| साथ ही, इन जगहों पर सेना बढ़ाने के साथ साथ, तो़पें और सुखोई विमान तैनात करके भारत ने यहाँ की रक्षासिद्धता बढ़ायी थी| इसपर चीन की सरकारी मीडिया ने टिप्पणी की थी| लेकिन अधिकृत स्तर पर प्रतिक्रिया देते समय चीन के विदेश मंत्रालय ने, भारत दोनो देशों में शांति प्रस्थापित करने के लिये और योगदान दे सकता है, ऐसा कहा था|
लेकिन २१०० किलोमीटर प्रति घंटा इस गति से उड़ान भरनेवाले और अद्यतन रड़ार यंत्रणा को भी चकमा देनेवाले ‘जे-२०’ विमान तैनात करके चीन ने भारत के ऊपर दबाव बढ़ाने का प्रयास किया है| भारत के प्रधानमंत्री चीन में होनेवाली ‘जी२०’ बैठक के लिए जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले मोदी ने व्हिएतनाम की यात्रा की है| मोदी की यह यात्रा यानी चीन को भारत द्वारा दी गयी चेतावनी है, ऐसा जानकारों का कहना है|

व्हिएतनाम के साथ रक्षा साझेदारी बढ़ाने का भारत का फ़ैसला चीन की चिंता को और बढ़ानेवाला है| चीन ने पिछले कुछ महीनों से, भारत के खिलाफ़ और भारत को चुनौती देनेवाले फ़ैसले करने शुरू किये हैं| इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने भी अपनी नीति में आक्रामक रवैय्या अपनाकर चीन के प्रतिस्पर्धी देशों के साथ सहयोग और मज़बूत किये हैं| इसके नती़जें चीन पर दिखाये देने लगे हैं| ‘जे-२०’ की तैनाती के पीछे यह कारण है, यह स्पष्ट हो रहा है|

‘जी२०’ परिषद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनके बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होनेवाली है| इसमें भारत की एनएसजी सदस्यता और चीन-पाकिस्तान के बीच विकसित होनेवाले ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रकल्प पर चर्चा होगी, ऐसी जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय ने दी है| साथ ही, चीन के साथ होनेवाले कारोबार में भारत को हो रहा नुकसान ५० अरब डॉलर तक पहुँच चुका होकर, इसके आगे भारत इतना घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकेगा, ऐसी स्पष्ट चेतावनी भारत द्वारा चीन को दी जायेगी, ऐसा जानकारों का कहना है|

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