चीन भारत के हितसंबंधो का भान रखें – प्रधानमंत्री मोदी का आवाहन

हाँगझो, दि. ४ (पीटीआय) – ‘जी-२०’ शिखर सम्मेलन के लिए चीन में दाख़िल हुए प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग से मुलाक़ात की| दोनों देशों ने एक-दूसरे के हितसंबंधों के बारे में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए, ऐसी उम्मीद इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जतायी| साथ ही, चीन पाकिस्तान में जो ‘आर्थिक कॉरिडॉर’ परियोजना बना रहा है, उसके बारे में भारत को सता रही चिंता का मुद्दा इस समय प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया| वहीं, आतंकवाद के लिए राजनीतिक उदारता नहीं दिखायी जा सकती, ऐसा भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाकात में स्पष्ट किया| कठिण प्रयासों के बीच भारत के साथ विकसित हुए अच्छे संबंध चीन के लिए काफी एहमीयत रखते है, ऐसा चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने कहा|

 प्रधानमंत्री मोदीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बीच लगभग ३० मिनट चर्चा हुई| इस बातचीत में प्रधानमंत्री ने, चीन पाकिस्तान में निर्माण कर रहे ‘कॉरिडोर परियोजना’ के सिलसिले में भारत की नाराज़गी का मुद्दा प्रस्तुत किया| यह परियोजना पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर में से जानेवाली है और यह हमारा स्वायत्त भूभाग है, ऐसा भारत का दावा है| इस वजह से इस परियोजना के सिलसिले में भारत ने हमेशा से ऐतराज़ जताया है। इसीलिए, रविवार को हुई चर्चा में भी प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष के पास इस परियोजना के बारे में चिंता जताई| साथ ही, पाकिस्तान से भारत के खिलाफ़ क़ारनामें करनेवाले आतंकवादियों पर, संयुक्त राष्ट्र में कार्रवाई करने के लिए विरोध करनेवाले चीन की भूमिका पर भी इस समय प्रधानमंत्री मोदी ने नाराज़गी जताई| प्रधानमंत्री ने किसीका नाम न लेते हुए, आतंकवाद को राजकीय उदारता नहीं दिखा सकते, ऐसा कहकर इस संदर्भ में भारत की भूमिका ठोस रूप में प्रस्तुत की|

इस समय हुई चर्चा में, क्या भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का मुद्दा शामिल था, ऐसा सवाल एक पत्रकार ने भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से पूछा| लेकिन स्वरूप ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया| प्रधानमंत्री मोदी ने, भारत और चीन के आपसी सामरिक हितसंबंधों का भान रखा जाना चाहिए ऐसी उम्मीद चीन के राष्ट्राध्यक्ष के पास व्यक्त की, ऐसा स्वरूप ने कहा| ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाक़ात में, ‘ब्रिक्स’ देशों की ओर से रहनेवालीं उम्मीदें व्यक्त कीं| आतंकवाद के खिलाफ़ ‘बिक्स’ के सदस्य देशों ने ठोस भूमिका अपनानी चाहिए और आतंकवाद की सहायता करनेवाले देशों को एकाकी बनाना चाहिए, ऐसी माँग प्रधानमंत्री ने इस समय की|

‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में तनाव बढ़ने की वजह से चीन में होनेवाले ‘जी-२०’ शिखर सम्मेलन की ओर पूरे विश्‍व का ध्यान लगा है| इस सम्मेलन में, अमरीका तथा प्रमुख युरोपीय देशों के साथ साथ जापान, ऑस्ट्रेलिया भी ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुद्दा उपस्थित करनेवाले हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है| इसके बाद चीन की ओर से आक्रामक प्रतिक्रिया आ सकती है ऐसा जानकारों का कहना है| यह सम्मेलन चीन में हो रहा है और अपने देश में होनेवाले इस सम्मेलन में किया जानेवाला विरोध चीन को कतई मंजूर नहीं होगा| इस वजह से, चिनी सरकार पर अंदरूनी दवाब बढ़ सकता है| इस वजह से ‘जी-२०’ में साऊथ चायना सी के मुद्दे पर टकराव होने के आसार और भी बढ़ गए हैं|

आंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने, यह सम्मेलन विवादों से घिर सकता है, ऐसी भविष्यवाणी की थी| साथ ही, इस परिषद में क्या भारत चीन के खिलाफ़ ठोस भूमिका अपनाता है, ऐसा सवाल पूछा जा रहा है| इस परिषद के लिए चीन में आने से पहले, भारत के प्रधानमंत्री ने विएतमान के दौरे में अपनी नीति स्पष्ट की थी| विएतमान को तक़रीबन ५० करोड़ डॉलर की अर्थसहायता और इस देश के साथ १२ अहम सामंजस्य समझौते करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की चिंता बढाई है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

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