भारत और फ्रान्स की नौसेना का सहयोग व्यापक होगा

नवी दिल्ली – भारत ने फ्रान्स के साथ किया हुआ ‘म्युच्युअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रिमेंट’ (एमएलएसए) समझौता सक्रिय करने की तैयारी दोनों देशों ने की है| जल्द ही भारत जिबौती इस देश में फ्रान्स के नौसेना अड्डे का इस्तेमाल अपनी युद्धपोतों में ईंधन भरने के लिए करेगा| पिछले कुछ वर्षों से भारत जिबौती में अड्डा निर्माण करने के लिए कोशिश कर रहा था| लेकिन, चीन ने जिबौती में अपने प्रभाव से भारत को रोक रखा था| इस पृष्ठभूमि पर फ्रान्स से भारत की हो रही सहायता चीन को झटका देनेवाली साबित होती है| साथ ही अगले महीने में भारत और फ्रान्स की नौसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू हो रहा है और इसमें दोनों देशों की विमानवाहक युद्धपोत शामिल हो रही है|

अफ्रीकन समुद्री क्षेत्र से हिंद महासागर एवं पैसिफिक महासगर क्षेत्र तक चीन अपने वर्चस्व का विस्तार कर रहा है| इसके लिए चीन ने कुछ द्विपों के देशों का इस्तेमाल करके अपने अड्डे का निर्माण किया है| इसके द्वारा अन्य देशों के हितसंबंधों को झटका देकर अपना प्रभाव बढाने के लिए चीन ने आक्रामक दाव फेंके थे| इससे फ्रान्स के हितसंबंधों को भी खतरा बना है| इसीलिए फ्रान्स ने अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए गतिविधियां शुरू की है| भारत के साथ फ्रान्स ने किया ‘एमएलएसए’ समझौता यह इसी का हिस्सा था| इस समझौते के नुसार भारत और फ्रान्स जरूरत पडने पर अपनी युद्धपोतों को जरूरी ईंधन एकदुसरे के अड्डे पर भर सकेंगे| इस वजह से दोनों देशों को एक दुसरे के अड्डों का इस्तेमाल करने में आसानी होगी|

इस का बडा सामरिक लाभ भारत और फ्रान्स को प्राप्त होगा| अमरिका ने भी भारत के साथ इसी तरह से ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (एलईएमओए) समझौता किया है और इस वजह से भारत का अमरिका के साथ बने सहयोग में काफी तादाद में बढोतरी हुई है| फ्रान्स और अमरिका के साथ किए इस समझौते की पृष्ठभूमी पर भारत और पाच देशों के साथ इसी तरह समझौता करने की तैयारी कर रहा है| इस वजह से भारत अपनी नौसेना का प्रभावक्षेत्र बढाने की कडी तैयारी कर रहा है, यह बात स्पष्ट हो रही है| सामरिक विश्‍लेषक इसकी दखल लेकर भारत की नीति और भी प्रभावी होने का दाखिला दे रहे है| वही, इस वजह से बेचैन हुआ चीन भारत ने अमरिका और अन्य पश्‍चिमी देशों के साथ किए समझौते पर नाराजगी जता रहा है|

कुछ दिन पहले ही चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत की बदलती नीति पर आलोचना की थी| अमरिका और अन्य पश्‍चिमी देशों के साथ सहयोग कर रहे भारत अपनी पारंपरिक तटस्थता दूर कर रहा है, यह आलोचना ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की है| उसी समय हथियारों का बडा खरीदार बने भारत के लिए अमरिका?और पश्‍चिमी देश आतुर होने की टिप्पणी चीन की इस पत्र ने की थी| इसके पहले भी अमरिका, फ्रान्स और जापान इन देशों के साथ भारत का सामरिक सहयोग चीन को बेचैन कर रहा हा, यह स्पष्ट हुआ था| लेकिन, चीन ने इसके विरोध में समय समय पर इशारे एवं धमकियां दी थी| लेकिन, भारत ने चीन के इस धमकाने की परवाह किए बिना अपना सहयोग बढाने पर कायम रहना स्वीकार किया था|

इस पृष्ठभूमि पर जिबौती में फ्रान्स के अड्डे का इस्तेमाल भारत से करने की योजना चीन के लिए नया सिरदर्द साबित हो सकती है| साथ ही अगले महीने में फ्रान्स की नौसेना भारती नौसेना के साथ बडे युद्धाभ्यास में शामिल हो रही है| फ्रान्स की ‘चार्ल्स द गॉलव’ यह विमान वाहक युद्धपोत उसपर तैनात रफायल विमानों के साथ एवं भारत की ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ उसपर तैनात ‘मिग-२९के’ विमानों के साथ इस युद्धाभ्यास में उतरेगी| इस दौरान पनडुब्बीविरोधी अभ्यास भी होगा, यह कहा जा रहा है| गोवा के निकट समुद्री क्षेत्र में होनेवाले इस युद्धाभ्यास की बातचीत करने के लिए फ्रान्स के वरिष्ठ नौसेना अधिकारी भारत की यात्रा करेंगे|

भारत की दृष्टी से यह युद्धाभ्यास काफी अहम होने का दावा किया जा रहा है| भारतीय नौसेना अपने विमान वाहक युद्धपोत के लिए प्रगत लडाकू विमान खरीदने की तैयारी में है| फ्रान्स से रफायल विमान खरीद रहे भारत को ‘रफायल’ के नौसेनाआवृत्ती ‘रफायल-एम’ में रुचि है| इसलिए इस युद्धाभ्यास की अहमियत बढी है|

निकट के समय में भारतीय नौसेना में ‘आईएनएस विक्रांत’ इस नए विमान वाहक युद्धपोत का समावेश होगा| इस युद्धपोत के लिए ‘रफायल-एम’ का विचार हो सकता है| फ्रान्स इसके लिए पहल करता दिखाई दे रहा है| इस वजह से दोनों देशों में बना सामरिक सहयोग और भी मजबूत होता दिख रहा है|

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