म्यांमार की जुंटा हुकूमत ने आपातकाल बढ़ाया

यांगून – म्यांमार में अस्थिरता ही शांति स्थापित करने की कोशिशों में अड़चन बन रही है। ऐसी स्थिति में म्यांमार में शांति स्थापित करने के लिए आपातस्थिति की अवधि बढ़ाने का ऐलान जुंटा हुकूमत के प्रमुख मिन आँग हार्इंग ने किया। इसके अनुसार २०२३ की शुरूआत तक म्यांमार में आपात्काल रहेगा। पिछले साल जुंटा हुकूमत ने देश की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटकर सत्ता हथियाई थी और देश में आपात्काल का ऐलान किया था।

आपातकालपिछले साल १ फरवरी की सुबह म्यांमार की संसद का कामकाज शुरू होते समय हार्इंग के नेतृत्व में सेना ने लोकतांत्रिक नेताओं को हिरासत में लिया था। इनमें म्यांमार की मुख्य कार्यकारी अधिकारी आँग सैन स्यूकी समेत लगभग चार सौ से अधिक नेता और अधिकारियों का समावेश था। इसके बाद म्यांमार में जुंटा हुकूमत के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए थे।

जुंटा हुकूमत ने आपातकाल जारी करके प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की थी। इस दौरान १,२०० से अधिक की मौत हुई और सैंकड़ों लापता हुए थे। म्यांमार के इस सत्ता परिवर्तन पर पूरे विश्‍व से प्रतिक्रिया दर्ज हुई थीं। जुंटा हुकूमत की इस कार्रवाई के पीछे चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत होने का आरोप भी हुआ था। आग्नेय एशियाई देशों ने भी म्यांमार को ‘आसियान’ की बैठक से दूर रखा था। साथ ही जुंटा हुकूमत ने ‘आसियान’ की पांच माँगें स्वीकारीं तो ही म्यांमार को अंतरराष्ट्रीय संगठन में और क्षेत्रीय सहयोग में फिर से स्थान प्राप्त होगा, ऐसी चेतावनी आसियान ने दी थी। इन माँगों में आपात्काल हटाने की माँग का समावेश था।

आपातकाललेकिन, म्यांमार की सैन्य हुकूमत को डेढ़ साल पूरा हो रहा है फिर भी जुंटा हुकूमत ने आपात्काल नहीं हटाया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इस मुद्दे पर दबाव बढ़ाने के बाद जुंटा हुकूमत के प्रमुख मिन आँग हार्इंग ने अगले छह महीनों तक आपात्काल बढ़ाने का ऐलान किया। इसके अनुसार साल २०२३ की शुरूआत तक यानी जनवरी तक देश में आपात्काल जारी रहेगा, यह हार्इंग ने स्पष्ट किया।

जुंटा प्रमुख हार्इंग ने अपने इस निर्णय का समर्थन किया। कोरोना का संकट और देश में जारी हिंसा की वजह से म्यांमार में शांति स्थापित करने में असफलता प्राप्त होने का दावा हार्इंग ने किया। अगले छह महीनों में इसे काबू करने के बाद आपात्काल हटाने पर विचार होगा, ऐसा हार्इंग ने कहा। पश्‍चिमी माध्यम जुंटा हुकूमत के इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैं। सत्ता पर पकड़ मज़बूत करने के लिए जुंटा हुकूमत ने आपात्काल हटाने का निर्णय टाल दिया, यह दावा यह माध्यम कर रहे हैं।

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