संयुक्त राष्ट्रसंघ ने तालिबान और म्यांमार के प्रस्ताव ठुकराए

न्यूयॉर्क/काबुल – अपनी हुकूमत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत कराने की कोशिश कर रहे तालिबान और म्यांमार की जुंटा हुकूमत को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने बड़ा झटका दिया| संयुक्त राष्ट्रसंघ में राजदूत की नियुक्ति के लिए तालिबान और म्यांमार की सेना द्वारा भेजे गए प्रस्ताव राष्ट्रसंघ के ‘एक्रिडिटेशन कमिटी’ ने ठुकराए| संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस निर्णय पर तालिबान और म्यांमार की सेना ने जोरदार आलोचना की| संयुक्त राष्ट्रसंघ का यह निर्णय वास्तव के आधार पर ना होने का आरोप तालिबान और म्यांमार की सेना ने लगाया|

तालिबान और म्यांमार

अगस्त में अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद अपनी सरकार को अंतरराष्ट्रीय समूदाय की स्वीकृति प्राप्त कराने के लिए तालिबान ने कोशिश शुरू की थी| इसके तहत तालिबान ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के लिए राजदूत की नियुक्ति करने का ऐलान किया| बीते कुछ वर्षों से कतार में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहिन का नाम तालिबान ने राजदूत के तौर पर पेश किया था|

लेकिन, अफ़गानिस्तान में स्थापित तालिबान की हुकूमत अवैध है, ऐसी आलोचना संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ़गानिस्तान के राजदूत के तौर पर पहले नियुक्त घुलम इसकज़ई ने की थी| अफ़गानिस्तान की लोकनियुक्त सरकार का तख्ता पलटकर तालिबान ने इस देश पर कब्ज़ा किया| साथ ही तालिबान की इस हुकूमत को अफ़गान जनता का समर्थन ना होने का बयान करके राजदूत इसकज़ई ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के मंच से तालिबान की आलोचना की थी| इसकज़ई की इस आलोचना को राष्ट्रसंघ में जोरदार समर्थन भी प्राप्त हुआ था|

तालिबान और म्यांमारअफ़गानिस्तान से पहले, फ़रवरी में म्यांमार में भी लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटकर सेना ने देश पर कब्ज़ा किया था| म्यांमार की जनता ने बहुमत से चुने आँग स्यैन स्यू की को और उनकी सरकार के सभी नेताओं को सेना ने गिरफ्तार किया| साथ ही लोकतंत्र के समर्थक प्रदर्शनकारियों पर म्यांमार की सेना ने बड़ी निर्दयता से कार्रवाई करके १,३०० से अधिक लोगों को मार दिया|

संयुक्त राष्ट्रसंघ में म्यांमार के पूर्व अधिकृत राजदूत ‘कॉय मो तून’ ने अपने देश में हुए इस बदलाव की जोरदार आलोचना की थी| साथ ही हम स्यू की की सरकार के प्रतिनिधि हैं और म्यांमार की सैन्य हुकूमत का बहिष्कार करते हैं, यह ऐलान भी मो तून ने किया था| इसके बाद विश्‍वभर में नियुक्त म्यांमार के राजदूतों ने भी सैन्य हुकूमत का बहिष्कार किया था| और म्यांमार की सेना ने भी संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने नए राजदूत की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा था|

तालिबान और म्यांमारइस पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में अंतिम निर्णय होना हैं| लेकिन, उससे पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘एक्रिडिटेशन कमिटी’ ने तालिबान और म्यांमार की सेना का प्रस्ताव ठुकराया| इन दोनों प्रस्तावों पर अधिक चर्चा नहीं होगी और हमारा निर्णय सुरक्षा परिषद के सामने रखा जाएगा, यह बात समिती की अध्यक्षा एना एनस्ट्रॉम ने स्पष्ट की| एक्रिडिटेशन कमिटी का निर्णय संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने अभी तक कभी भी ठुकराया नहीं है|

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहिन ने इस निर्णय पर गुस्सा व्यक्त किया| ‘राष्ट्रसंघ का यह निर्णय नियमों पर आधारित नहीं था| राष्ट्रसंघ ने अफ़गान जनता को उनके अधिकारों से वंचित किया है’, ऐसा आरोप शाहिन ने लगाया| तो, ‘राष्ट्रसंघ का यह निर्णय वास्तव के आधार पर नहीं है और म्यांमार के अस्तित्व को ठुकराता है’, यह आरोप म्यांमार की सैन्य हुकूमत के प्रवक्ता झॉ मिन तून ने लगाया|

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्रसंघ की इस एक्रिडिटेशन कमिटी में अमरीका, रशिया समेत चीन का भी समावेश है| इस वजह से तालिबान एवं म्यांमार की सैन्य हुकूमत के साथ सहयोग स्थापित करनेवाला चीन भी इनके राजदूत को स्वीकृति प्रदान करने में सफल नहीं हो सका, दिखाई दे रहा हैं|

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