आधुनिक हथियार और तकनीक का निर्माण देश में ही हो – सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत 

नवी दिल्ली – भविष्य में सायबर स्पेस, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबोटिक्स के साथ आर्टिफिशल इंटेलिजन्स पर आधारित युद्ध की तकनीक विकसित करने के लिए भारत को कोशिश करनी होगी| इस मोर्चे पर अभी से विचार नही किया तो काफी देर होगी, यह इशारा सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने दिया| ‘राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्था’ (डीआरडीओ) की ४१ वीं डायरेक्टर्स कॉन्फरन्स में सेनाप्रमुख बोल रहे थे| रक्षामंत्री राजनाथ सिंग इस परिषद के लिए बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल इन्हों ने भी इस परिषद में अपने विचार रखें|

इस परिषद में ‘डीआरडीओ’ ने अबत किए काम की सभी लोगों ने सराहना की| लेकिन, भविष्य की चुनौतियां ध्यान में रखकर अगले दिनों में अत्याधुनिक तकनीक का विकास देश में ही करना आवश्यक बना है, ऐसा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और सेनाप्रमुख बिपीन रावत ने कहा| आजादी मिलकर सात दशक बितने के बाद भी भारत हथियारों की सबसे अधिक आयात करनेवाला देश है, यह बात अभिमान करने की नही होती, यह अफसोस सेनाप्रमुख ने व्यक्त किया| हथियारों का देश में ही निर्माण करने के लिए गति देने की जरूरत व्यक्त करके सेनाप्रमुख ने नजदिकी दिनों में इसी दिशा में कदम उठाए जा रहे है, यह बात स्वीकार की| अगला युद्ध भारतीय सेना देश में ही तैयार किए हथियारों का इस्तेमाल करके लडेगी और जितेगी, यह विश्‍वास जनरल रावत ने इस दौरान व्यक्त किया|

यह विश्‍वास व्यक्त करते समय सेनाप्रमुख ने भविष्य के युद्ध का ध्यान रखकर ‘डीआरडीओ’ और वैज्ञानिक हथियार और रक्षा सामान का विकास करें, यह निवेदन उन्होंने किया| भविष्य के युद्ध परंपरागत युद्ध नही होंगे और इन युद्ध में शत्रु से सीधा युद्ध होगा ही, यह भी नही हो सकता| यह युद्ध सायबर स्पेस, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, रोबोटिक्स समेत आर्टिफिशल इंटेलिजन्स यानी ‘कृत्रिम बुद्धीमत्ता’ से लडा जाएगा, इस ओर सेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया| वह, वायुसेनाप्रमुख राकेश कुमार भदौरिया ने ‘डीआरडीओ’ पांचवें पीढी के अतिप्रगत लडाकू विमानों के निर्माण के लिए अभी से कोशिश करने का निवेदन किया|

‘अधिक सुसज्जित होनेवाली सेना ही मानवता का भविष्य निर्धारित कर सकती है| आप के पास आप के शत्रु से अधिक क्षमता होती है या नही होती| इस मोर्चे पर भारत का इतिहास उतना अच्छा नही है| पर, अब भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना को जरूरी कुछ चिजें तुरंत मिलनी ही चाहिए’, यह इशारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने इस परीषद के दौरान दिया|

लष्करी तकनीक विकसित करने की शर्यत में भारत पीछे रहा और इस स्पर्धा में दुसरें स्थान पर रहनेवाले को चषक नही मिलता, यह फटकार अजित डोवल ने लगाई| इसीलिए भारत को रक्षासंबंधी तकनीक के मोर्चे पर काफी बडा काम करना होगा, इसका एहसास राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दिलाया| ‘अबतक के दौर में रक्षा संबंधित चुनौतियों की तीव्रता और भी बढी है| अगले दौर में यह तीव्रता कम नही होगी, बल्कि और भी बढती जाएगी| यह ध्यान में रखकर भारत ने अपने रक्षादलों को आधुनिक करने के लिए गति देने की जरूरत है’, यह उम्मीद डोवल ने व्यक्त की|

Leave a Reply

Your email address will not be published.