‘आईएनएस’ वेला का जलावतरण

मुंबई – फ्रेन्च तकनीक की सहायता पर निर्माण हो रही स्कॉर्पियन वर्ग की चौथी पनडुब्बी आईएनएस वेला का सोमवार के दिन माझगाव डॉक में जलावतरण किया गया| अब इस पनडुब्बी का परीक्षण शुरू होगा और इस वर्ष के अंततक यह पनडुब्बी नौसेना में शामिल होगी| स्कॉर्पियन वर्ग की इस पनडुब्बी का समावेश होने पर भारतीय नौसेना के सामर्थ्य में बडी तादाद में बढोतरी होगी, यह दावा किया जा रहा है|

‘स्कॉर्पियन’ वर्ग की छह पनडुब्बीयों का निर्माण करने के लिए भारत ने फ्रान्स के साथ वर्ष २००५ में समझौता किया था| इस समझौते के नुसार फ्रान्स इस पनडुब्बी के निर्माण की तकनीक और जरूरी सहायता भारत को देनेवाला था| वर्ष २०१२ में ही यह छह पनडुब्बीयां भारत को प्राप्त होने की उम्मीद थी|

लेकिन, इन पनडुब्बीयों की निर्माण की परियोजना लंबे समयतक आगे बढ नही सकी थी| ऐसे में पनडुब्बीयों का निर्माण भी अपेक्षित गति के साथ नही हो सका था| लेकिन, पिछले वर्ष से इस परियोजना को नए से गति दी गई है|

इस वजह से स्कॉर्पियन पनडुब्बीयों के निर्माण को गति प्राप्त हुई है और पिछले वर्ष ‘आईएनएस कलवरी’ यह पहली स्कॉर्पियन पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल हुई थी| इसके बाद ‘आईएनएस खांदेरी’ और ‘आईएनएस करंज’ यह पनडुब्बीयां भी तैयार हुई है और अब इनका परीक्षण शुरू हुआ है| जल्द ही यह पनडुब्बीयां भी नौसेना के बेडे में शामिल होंगी| ‘आईएनएस वागिर’ और ‘आईएनएस वागशीर’ इन पनडुब्बीयों का निर्माण कार्य तेजी से शुरू है और अगले कुछ महीनों में इनका भी जलावतरण होने की उम्मीद है|

इस पृष्ठभूमि पर ‘आईएनएस वेला’ का जलावतरण सोमवार के दिन हुआ| अब इस पनडुब्बी का परीक्षण शुरू होगा और इसके बाद यह पनडुब्बी नौसेना में शामिल की जाएगी|?‘आईएनएस वेला’ आधुनिक तकनीक से सज्जित है, यह जानकारी ‘माझगाव डॉक’ के अधिकारियों ने दी है| पनडुब्बी विरोधी युद्ध और समुद्र से हवां में हमला करने की क्षमता से ‘आईएनएस वेला’ लैस होने की जानकारी दी जा रही है|

इस दौरान, मुंबई के माझगाव डॉक में और भी आठ युद्धपोत और पाच पनडुब्बीयों का निर्माण किया जा रहा है| भारतीय नौसेना के लिए अपने सामर्थ्य में बढोतरी करना अनिवार्य बना है और चीन से प्राप्त हो रही चुनौतियां यही इसका प्रमुख कारण समझा जा रहा है| इसी लिए भारतीय नौसेना अमरिका, फ्रान्स, ब्रिटेन और रशिया के साथ सहयोग में बढोतरी कर रही है| भारतीय नौसेना को अगले समय में पैसिफिक महासागर में भी अहम भूमिका निभानी होगी, ऐसा अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का कहना है|

इसके लिए भारत को अपनी नौसेना के सामर्थ्य में तेजी से बढोतरी करना जरूरी बना है| इसके लिए भारत ने तैयारी शुरू की है और ‘स्कॉर्पियन’ पनडब्बीयों के निर्माण को दी गति यह भात के व्यापक नीति का हिस्सा होने की बात दिख रही है| इस मोर्चे पर भारत ने काफी समय जाया किया है, यह आलोचना कुछ सामरिक विश्‍लेषक कर रहे थे| लेकिन, अब भारत यह कमी मिटाने के लिए जोरदार कोशिश कर रहा है, यह मत विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे है|

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