अमेरिका ने तैवान को शस्त्रों की आपूर्ति करने से इन्कार करने के बाद चीन के विमानों की तैवान में बडी घुसपैठ

बीजिंग/तैपेई/लंडन – शुक्रवार को चीन के १८ लडाकू और बॉम्बर विमानों ने तैवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की। इस वर्ष चीन के विमानों ने तैवान की यह दूसरी बडी घुसपैठ है। अमेरिका ने तैवान की सुरक्षा के लिए शस्त्रास्त्र एवं सुरक्षा यंत्रणा के आपूर्ति करने से इन्कार करने के बाद, चीन का आत्मविश्वास दुगुना हुआ है। इसका परिणाम तैवान के हवाई क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। चीन के लडाकू विमानों की निश्चित अंतर से होने वाली घुसपैठ तैवान की सुरक्षा को गंभीर चुनौती दे रही है। ऐसी स्थिति में तैवान को शस्त्रास्त्रों की आपूर्ति करने के बजाए अमेरिका ने तैवान को पनडुब्बीभेदी हेलिकॉप्टर्स देने से इन्कार किया है। कुछ दिनों पूर्व अमेरिका ने तैवान को होवाइत्ज़र तोपें, स्टिंगर मिसाइलों की आपूर्ति करने से इन्कार किया था।

इससे पहले २३ जनवरी के दिन चीन के ३९ लडाकू, बॉम्बर विमानों ने तैवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की थी। अब तक चीन के विमानों की तैवान के क्षेत्र में यह बडी घुसपैठ थी। तत्पश्चात अमेरिका ने तैवान को शस्त्रसज्जित करने के बारे में बडी घोषणाएं कीं। चीन ने यदि हमला किया तो अमेरिका तैवान को जरुरी सहायता करेगी, ऐसे आश्वासन बायडेन प्रशासन ने दिए थे। अमेरिकन काँग्रेस ने भी तैवान के लिए विशेष लश्करी सहायता के लिए मंजूरी दी थी।

रशिया ने युक्रेन पर हमला करने के बाद चीन भी तैवान पर नियंत्रण पाने के लिए तैवान पर आक्रमण करेगा, इसकी संभावना बढी थी। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक निरंतररूप से इसका इशारा दे रहे हैं। चीन ने भी तैवान पर हमला करने पर विदेश में अपनी पूंजी की रक्षा कैसे की जाए, इस पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए चीन ने अपने देश में तथा विदेशी बैंकों की बैठक आयोजित करने की जानकारी सामने आई है। इसलिए चीन द्वारा तैवान पर आक्रमण का धोखा बढने का गंभीर इशारा विश्लेषकों ने दिया था। 

इसके बाद अमेरिका से तैवान को शस्त्रों की आपूर्ति अपेक्षित थी, मगर पिछले सप्ताहभर से बाहडेन प्रशासन ने तैवान को शस्त्रों की आपूर्ति करने से इन्कार किया है। दो दिन पूर्व युक्रेन युद्ध का कारण बताकर बायडेन प्रशासन ने तैवान को होवाइत्ज़र तोपें और विमानभेदी स्टिंगर मिसाइलें देने से इन्कार किया। होवाइत्ज़र की वजह से तैवान की मारक क्षमता बढी होती।  तो स्टिंगर मिसाइलों की वजह से चीन के लडाकू विमानों की घुसपैठ को जबरदस्त प्रत्युत्तर दिया जा सकता था। मगर चीन से हमले का धोखा बढ रहा था तभी बायडेन प्रशासन ने इन दोनों चीज़ों से इन्कार करके तैवान का घात किया हुआ दिख रहा है।                                                                                                                     

इस बात को कुछ ही घंटे बीते थे कि, तैवान ने अमेरिका से पणडुब्बीभेदी हेलिकॉप्टर्स की खरेदी ना करने की घोषणा की। अमेरिका के ’एमएच-60आर’ हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी आर्थिकरूप से महंगी होने की बात कहकर तैवान इस खरीदारी से पीछे हटा। पर तैवान द्वारा घोषित किया गया कारण सच्चा नहीं है बल्कि अमेरिका ने ही तैवान को उक्त हेलिकॉप्टर्स की आपूर्ति करने से इन्कार किया है, ऐसा दावा तैवान के माध्यम कर रहे हैं।

शुक्रवार को चीन के १८ विमानों ने तैवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करके तैवान के असुरक्षित होने का अहसास फिर से कराया है। तैवान भले ही समय पर लडाकू विमान भेजकर चीन के घुसपैठी विमानों को खदेडा हो, पर चीन की इस घुसपैठ की गंभीर दखल जापान ने ली है। यह घुसपैठ बहुत चिंताजनक होने की टीका जापान ने की। जापान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोगी देशों ने समय के रहते ठोस भूमिका नहीं अपनाई तो तैवान में भी युक्रेन जैसी भीषण परिस्थिति निर्माण होगी, ऐसा इशारा युरोप के दौरे पर गए हुए जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पहले ही दिया था।

तो, चीन ने तैवान पर आक्रमण किया तो पश्चिमी देश भी रशिया की तरह चीन पर कठोर प्रतिबंध लगाएंगे, ऐसी अपेक्षा तैवान के विदेशमंत्री ने व्यक्त की है। रशिया-युक्रेन युद्ध में तैवान ने पश्चिमी देशों को साथ दी थी, इसकी याद तैवान के विदेशमंत्री दिला रहे हैं। मगर युक्रेन तैवान को स्वतंत्र देश नहीं मानता, इस ओर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। तथा, अमेरिका एवं युरोपिय देशों का तैवान के साथ अधिकृत स्तर पर राजनैतिक सहयोग नहीं है, यह बात पर अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्थाएं ध्यान दिला रही हैं।

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