पाकिस्तान के लिए कोरोना से भी बढ़कर टिड्डीदल हमले का संकट अधिक भयंकर

locust attackइस्लामाबाद – पाकिस्तान में कोरोनावायरस का फैलाव भयावह स्तर पर पहुँचा होकर, इस देश में कोरोना के मरीज़ों की संख्या एक लाख दस हज़ार के पार गयी है। अधिकृत स्तर पर हालाँकि, इस महामारी ने अपने देश में दो हज़ार से अधिक जानें लीं हैं, ऐसा पाकिस्तान कह रहा है, लेकिन असल में यह मृतकों की संख्या उससे कई गुना अधिक होने के आरोप शुरू हुए हैं। ऐसा होने के बावजूद, कोरोना से भी अधिक भयंकर संकट पाकिस्तान के सामने आया होने की चिंता व्यक्त की जा रही है। यह संकट यानी टिड्डेदल हमला होकर, अबतक इन टिड्डीदलों ने पाकिस्तान की दो करोड़ ३० लाख हेक्‍टर इतनी ज़मीन पर की ख़ेती खायी है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में ख़ेती का हिस्सा बीस प्रतिशत इतना है। गेहूँ, दलहन, तिलहन और आम इनका समावेश होनेवाली लगभग दो करोड़ ३० लाख हेक्टर ख़ेतज़मीन पर होनेवाली फ़सल टिड्डीदल ने खा ली है। पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस वजह से, खेती पर बड़े पैमाने पर निर्भर होनेवाली पाकिस्तानी जनता की हालत दयनीय बनी है। इसी कारण, पाकिस्तान के प्रांतों ने कोरोनावायरस की महामारी का मुक़ाबला करने के बजाय, अपना ध्यान बचीकुची फ़सल टिड्डीदलों से बचाने की ओर मोड़ा है।

Pakistan Coronaपहले ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दलदल में फ़ँसी है। उसी में, कोरोनावायरस की महामारी के चलते पाकिस्तान के आर्थिक व्यवहार ठप पड़ गये थे। आर्थिक दृष्टि से मुमक़िन नहीं होगा इसलिए कोरोनावायरस का संक्रमण होते हुए भी पाकिस्तान की सरकार ने लॉकडाऊन घोषित ना करने का बहुत ही ग़ैरज़िम्मेदाराना निर्णय किया था। यह निर्णय भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बचा नहीं सका है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की गिरावट जारी ही होकर, टिड्डीदल हमले ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अधिक ही बर्बाद कर डाला है। इम्रान खान की सरकार की अक्षमता के कारण पाकिस्तान टिड्डीदलहमले का भी सामना नहीं कर सकता, ऐसी तीखी आलोचना पत्रकार और विश्लेषक कर रहे हैं।

पाकिस्तान में फिलहाल अनाज-धान की कमी की समस्या गंभीर बनी होकर, महँगाई के कारण पाकिस्तान के गरीबों पर भूखमरी की नौबत आयी है। इस परिस्थिति के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान की ग़लत नीतियाँ ज़िम्मेदार होने के आरोप किये जा रहे हैं। वहीं, अर्थव्यवस्था को सँभालने में भी इम्रान खान की सरकार को दारुण अफलता प्राप्त हुई है। इस महीने में सादर होनेवाले बजेट में यदि पाकिस्तान की सरकार ने खर्चे में कटौती नहीं की, तो पाकिस्तान को अगला कर्ज़ा नहीं दिया जायेगा, ऐसा आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने जताया है। इस कारण, पाकिस्तान एक ही साथ, कोरोनावायरस की महामारी, टिड्डीदलहमला और आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की शर्तें ऐसे तिहरे संकट में पड़ा दिख रहा है।

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