ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर लिज़ ट्रुस नियुक्त

लिज़ ट्रुसलंदन – ब्रिटेन की पूर्व विदेशंमत्री लिज़ ट्रुस का प्रधानमंत्री पद के लिए चयन हुआ है। शासक ‘कॉन्ज़र्वेटिव’ दल के चुनावों में ट्रुस ने अपने प्रतिद्वंद्वी रिषी सुनाक को २० हज़ार से अधिक वोटों से पराजित किया। पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के समर्थक और कड़े रशिया और चीन के विरोधक की छबि रखनेवाली ट्रुस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनेंगीं। उनसे पहले मार्गारेट थेचर और थेरेसा मे ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की बागड़ोर संभाली थी।

कोरोना की महमारी के दौर के कुछ मामले, प्रधानमंत्री निवास पर आयोजित समारोह और अधिकारियों की विवादित नियुक्ति के कारण बोरिस जॉन्सन प्रधानमंत्री पद का इस्तीफा देने के लिए मज़बूर हुए थे। इसके बाद शासक ‘कॉन्ज़र्वेटिव’ दल ने नेता के पद के लिए घोषित किए चुनावों में लिज़ ट्रुस और रिषी सुनाक चुनाव के अंतिम चरण में पहुँचने में सफल हुए थे। अंतिम चरण के चुनावों में लिज़ ट्रुस को ८१,३२६ और रिषी सुनाक को ६९,३९९ मत प्राप्त हुए।

लिज़ ट्रुसट्रुस ने करों में कटौती और सरकार का आकार कम रखने की भूमिका एवं ऊर्जा संकट का मुकाबला करने के लिए पेश की हुई महत्वाकांक्षी योजना की वजह से बहुमत पाने में सफल हुईं, ऐसा कहा जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री जॉन्सन को अंत तक दिए समर्थन के मुद्दे को भी शासक दल के सदस्यों ने अहमियत दी, ऐसा कहा जा रहा है। ट्रुस को कुल मतदान में ५७ प्रतिशत मत प्राप्त हुए, यह जानकारी दल के नेताओं ने दी। प्रधानमंत्री पद पर चयन होने के ऐलान के बाद भाषण में ट्रुस ने प्रतिद्वंद्वी सुनाक का अभिवादन करते हुए एक परिवार के तौर पर पार्टी की एकजुट कायम रखने की कोशिश करेंगे, ऐसी पुख्ता गवाही दी।

ऑक्सफर्ड का जन्स और ऑक्सफर्ड युनिवर्सिटी से शिक्षा पानेवाले ४७ वर्ष की लिज़ ट्रुस ने अपने राजनीतिक कार्यकाल की शुरूआत ‘लिबरल डेमोक्रैट’ पार्टी से की थी। बाद में ‘कॉन्ज़र्वेटिव’ पार्टी में दाखिल हुई ट्रुस ने शुरू के दिनों में ‘ब्रेक्ज़िट’ का भी विरोध किया था। लेकिन, बाद में ट्रुस ने ब्रेक्ज़िट का पुख्ता समर्थन करके इसके अमल के लिए पहल की थी। प्रधानंमत्री पद की बागड़ोर संभालने से पहले लिज़ ट्रुस ने शिक्षा, पर्यावरण, न्याय, व्यापार और विदेश विभाग के मंत्री पद के कार्य संभाले हैं।

लिज़ ट्रुसकड़ी रशिया और चीन विरोधक के तौर पर छबि प्राप्त करनेवाली ट्रुस ने रशिया-यूक्रेन युद्ध से पहले यूक्रेन का दौरा करके रशिया की कड़ी आलोचना की थी। रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव के साथ जुबानी मुठभेड़ भी माध्यमों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना थी। ब्रिटेन के नागरिकों को यूक्रेन युद्ध में शामिल होने के लिए उन्होंने दिया समर्थन विवाद का मुद्दा बना था। चीन ने ब्रिटेन के संवेदनशील क्षेत्र में किया निवेष एवं हाँगकाँग और ताइवान संबंधित भूमिका के मुद्दों पर भी ट्रुस ने आक्रामक भूमिका अपनाई थी। ब्रेक्झिट के बाद ब्रिटेन ने विभिन्न देशों के साथ किए व्यापारी समझौतों में भी ट्रुस ने अहम भूमिका अपनाई थी।

प्रधानमंत्री पद की बागड़ोर संभालने के बाद ट्रुस के सामने ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ शरणार्थियों की घुसपैठ, यूक्रेन युद्ध और ब्रेक्झिट के आगे के अमल की प्रमुख चुनौतियों होंगी, यह दावा राजनीतिक विश्‍लेषकों ने किया है।

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