जापान और ब्रिटेन ने किया व्यापक रक्षा सहयोग समझौता

लंदन – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ एशियाई महाद्वीप में चीन की बढ़ती वर्चस्ववादी हरकतों की पृष्ठभूमि पर जापान और ब्रिटेन ने व्यापक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जापान ने यूरोपिय देश के साथ ‘रेसिप्रोकल ऐक्सेस एग्रीमेंट’ करने का यह पहला ही अवसर हैं। इससे पहले जापान ने अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के साथ इस तरह का रक्षा सहयोग समझौता किया है। पिछले साल ब्रिटेन की विमानवाहक युद्धपोत ‘एचएमएस क्विन एलिज़ाबेथ’ ने जापान की यात्रा करके संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। जापान के साथ किया यह समझौता ब्रिटेन की ‘इंडो-पैसिफिक पॉलिसी’ के अनुसार हैं, ऐसी गवाही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने दी।

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ब्रिटेन की यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने गुरूवार को प्रधानमंत्री जॉन्सन से मुलाकात करके द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, रक्षा, रशिया-यूक्रैन युद्ध जैसें विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। इस चर्चा के बाद दोनों देशों ने ‘रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार जापान और ब्रिटेन के रक्षाबल एक-दूसरे के रक्षा अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे। दोनों देशों के द्विपक्षीय रक्षा युद्धाभ्यास की संख्या एवं दायरा बढ़ाया जाएगा। जापान के युद्धपोत और लड़ाकू विमान ब्रिटेन में एवं ब्रिटीश युद्धपोत और लड़ाकू विमान जापान के क्षेत्र में तैनात करना भी मुमकिन होगा।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती हरकतों की पृष्ठभूमि पर जापान और ब्रिटेन का यह नया समझौता ध्यान आकर्षित कर रहा है। एकाधिकार और ताकत का इस्तेमाल कर रहें देशों के विरोध मे यूरोप और पूर्व एशिया के मित्रदेशों की एकजूट अहमियत रखती है, इन शब्दों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने इस समझौते का स्वागत किया। ब्रिटेन ने पिछले साल रक्षा क्षेत्र को लेकर ‘इंटिग्रेटेड रिव्यू रिपोर्ट’ पेश की थी। इसमें ब्रिटेन से एशिया-पैसिफिक क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की सिफारीश की गई थी। इस रपट की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने जापान का दौरा भी किया था।

कोरोना की महामारी, हाँगकाँग का कानून और साऊथ चायना सी में जारी हरकतों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। चीन से मित्रता के संबंध रखनेवाले एवं व्यापारी भागीदार रहें यूरोपिय देशों ने भी चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाना शुरू किया है। यूरोप के प्रमुख देशों ने चीन के विरोध में नीति मे बदलाव करने के संकेत दिए हैं। इसका लाफ जापान ने उठाया हैं और चीन विरोधी गुट का विस्तार करने की कोशिश शुरू की है। इसके तहत जापान ने फ्रान्स और जर्मनी के साथ ब्रिटेन से भी सहयोग बढ़ाने की सफलता प्राप्त की है। नया रक्षा समझौता इसी का हिस्सा समझा जा रहा है। पिछले महीने इटली के रक्षामंत्री ने भी जापान का दौरा किया था।

इस दौरान रक्षा समझौते के साथ हरित ऊर्जा और व्यापारी क्षेत्र का सहयोग अधिक मज़बूत करने पर भी दोनों देशों का एकमत हुआ है। जापान के प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन क कंपनियाँ और निवेशकों को जापान में भारी मात्रा में निवेश करने की गुहार लगायी। जापान और ब्रिटेन के बीच साल २०२० में मुक्त व्यापार समझौता भी किया गया हैं।

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