जोसेफ अर्मेंड बॉम्बार्डीयन – स्नोमोबाईल के जनक

गर्मी की छुट्टियों में ठंडी हवा की जगह पिकनिक के लिए जाने का आकर्षण आज भी कायम है। बर्फिले प्रदेश में जाकर एक-दूसरे के ऊपर बर्फ फेंकने का खेल खेलने का आनंद लूटने का मजा अलग ही है। साथ ही बर्फ पर चलनेवाली गाड़ीयों की प्रतियोगिता हो तो खेल का रंग और भी बढ़ जाता है।

इस बर्फ पर गाड़ी चलाने का सपना एक कॅनडियन बच्चे ने देखा था। किन्तु उसने केवल स्वप्न ही नहीं देखा बल्कि इसके लिए प्रयोग भी शुरु कर दिए। सिर्फ १५ वर्ष की उम्र में ही उसके प्रयत्न यशस्वी हो गए। इस यश द्वारा स्नोमोबाईल की खोज की गई।

जोसेफ अर्मेंड बॉम्बार्डीयनइस स्नोमोबाईल के जनक जोसेफ-अर्मेंड बॉम्बार्डीयन थे। १६ अप्रैल सन् १९०७ के दिन व्हॅलकोर्ट में उनका जन्म हुआ। बचपन से ही मेकॅनिझम के प्रति प्रचंड आकर्षण रखनेवाले जोसेफ ने बचपन में ही ‘मैं एक बर्फ पर चलनेवाली गाड़ी बनाऊँ गा’ ऐसी प्रतिज्ञा की थी। किशोरावस्था में भी वह किशोर अपनी यह प्रतिज्ञा नहीं भूला था। इसीलिए बर्फ पर चलनेवाली मशीन बनाना यही जोसेफ का ध्येय बन गया था। उसकी इस ध्येय पूर्ति से निर्माण होनेवाले वाहन को ‘स्नोमोबाईल’ कहा जाता है।

सन् १९२६ से जोसेफ ने एक छोटे से गैरेज से अपने व्यवसाय की शुरुवात की। शुरु में छोटी कार बेचने के साथ ही गैस विक्री का काम जोसेफ ने शुरु किया। किन्तु दूसरे महायुद्ध के पहले सरकार ने बर्फिले रास्ते साफ नहीं किए और रास्ते पर बड़े पैमाने पर बर्फ इकठ्ठा हो गई। व्हॅलकोर्ट के अड़ोस पड़ोस के रास्ते भी बर्फ से भर गए। इसके कारण सामान्य नागरिकों को कठिनाई होने लगी। अधिक बर्फ जमने के कारण वाहनों का जाना बंद हो गया। इसका बहुत बड़ा नुकसान जोसेफ के व्यवसाय को हुआ।

जोसेफ अर्मेंड बॉम्बार्डीयनउसके कार की एवं हलके वजनवाले ट्रक्स की विक्री में गिरावट आ गई। इतनी गंभीर परिस्थिति हो गई कि कोई भी रास्ता पार नहीं कर सकता। किसी के बीमार पड़ने पर डॉक्टर वहाँ तक नहीं पहुँच सकते थे और यदि किसी को बहुत आवश्यक कार्य हो तो वह भी नहीं कर सकता था। किन्तु जोसेफ ने इस अवसर का लाभ उठाने का निश्‍चय किया। होशियार जोसेफ बर्फ पर आवगमन कैसे हो सकेगा, इस बात का गहराई से अध्ययन करने लगा।

अनके बातों का अध्ययन करके, नोटस् बनाकर जोसेफ ने छोटी उम्र के बच्चों के उपयोग में आनेवाली बर्फ पर फिसलनेवाली गाड़ी तैयार की। इसके बाद इसमें भी सुधार करके सन् १९३७ में अभ्यास के द्वारा बी-७ यह बर्फ पर चलनेवाली गाडी तैयार की। इसमें गाड़ी के आधे भाग में यंत्र को जोड़कर रणगाड़े की तरह पहिया लगाया गया। इसके कारण बिना किसी रूकावट के गाड़ी व्यवस्थित रूप से आगे जा सकती थी, तो आगे के भाग में पहिया न लगाकर स्कीज बिठाया गया था, इसके कारण बर्फ के ऊपर से आगे जाने के लिए गाड़ी को गति मिल गई। इसी को स्नोमोबाईल कहा जाने लगा।

जोसेफ ने सन् १९४२ में ‘ब-१२’ वाहन निर्मिती के लिए एक कंपनी शुरु की। इस कंपनी के माध्यम से उसने १२ प्रवासी बैठ सकें इतनी क्षमता वाली स्नोमोबाईल को सुधार करके लोगों के सामने प्रस्तुत किया। इसका पेटंट्स जोसेफ को दिया गया। जोसेफ का यह व्यवसाय आगे चलकर उनके बच्चों ने आगे बढ़ाया। इसके बाद स्नोमोबाईल में आधुनिक तंत्रज्ञान की सहायता से अनेक सुधार किये गये और आज भी स्नोमोबाईल उतना ही लोकप्रिय है और जी हाँ, यह बेहद जरूरी भी है।

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