जापान, ब्रिटेन अहम रक्षा समझौता करेंगे

लंदन – पिछले सात दशकों में पहली बार सैन्य नीति व्यापक कर रहे जापान जल्द ही ब्रिटेन के साथ अहम रक्षा समझौता कर रहा है। इसके अनुसार आनेवाले समय में दोनों देशों के सैनिकों की एक-दूसरे के सैन्य अड्डे पर तैनाती मुमकिन होगी। पिछले शतकभर में यह सबसे अहम रक्षा समझौता होगा, ऐसा ऐलान ब्रिटेन सरकार ने किया है। चीन से बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर जापान और ब्रिटेन का सहयोग स्थापित हो रहा है, ऐसा दावा यूरोपिय माध्यम कर रहे हैं।

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा मित्रदेशों के दौरे पर गए हुए हैं। अगले कुछ ही घंटों में वे ब्रिटेन पहुँच सकते हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री किशिदा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रिषी सुनाक रक्षा सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। पिछले कुछ सालों से इस समझौते के मुद्दे तय करने का कार्य जारी है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री एबे शिंजो और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने इस सहयोग के लिए कोशिश शुरू की थी।

जापान और ब्रिटेन के ‘रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट’ के अनुसार दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगीं। साथ ही आनेवाले समय में जापान और ब्रिटेन के सैनिकों की एक-दूसरे के देश में स्थित सैन्य अड्डों पर तैनाती कर पाएगी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर ब्रिटेन प्रतिबद्ध है, यह दर्शाने के लिए जापान के साथ यह समझौता करना आवश्यक है, ऐसा जापान सरकार ने कहा है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आर्थिक सुरक्षा मज़बूत करने के लिए यह रक्षा सहयोग अहम भूमिका निभाएगा, यह विश्वास ब्रिटेन की सरकार ने व्यक्त किया है।

ब्रिटेन और जापान ने मिलकर पिछले महीने ‘ग्लोबल कॉम्बैट एअर प्रोग्राम’ (जीसीएपी) पर काम शुरू किया था। इसके अनुसार साल २०३५ तक दोनों देश नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान का निर्माण करेंगे। इससे जुड़ा ब्यौरा आनेवाले समय में सार्वजनिक किया जाएगा, यह जानकारी ब्रिटेन ने साझा की थी। इसी बीच जापान के प्रधानमंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के मित्रदेशों के साथ सैन्य सहयोग स्थापित करने का सिलसिला शुरू किया है।

प्रधानमंत्री किशिदा अमरीका की भी यात्रा करेंगे और इस बीच वे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की हरकतों के खिलाफ अमरीका अधिक प्रभावी भूमिका निभाए, इसके लिए आवश्यक कोशिश भी करेंगे।

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