जापान से सतर्क रहें – चीन का ऑस्ट्रेलिया को इशारा

कैनबेरा – ‘दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने ऑस्ट्रेलिया के डार्विन पर बम विस्फोट किए थे। ऑस्ट्रेलिया की जनता और युद्धबंदियों को भी मारा गया था। ऐसे जापान के साथ मित्रता करते समय सतर्क रहें। भविष्य में ऑस्ट्रेलिया को जापान फिर से लक्ष्य कर सकता है’, ऐसी चेतावनी ऑस्ट्रेलिया में नियुक्त चीन के राजदूत ने दी। साउथ चायना सी, ताइवान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा की पृष्ठभूमि पर सहयोग स्थापित हो रहा है। इसकी वजह से असुरक्षित चीन ने ऑस्ट्रेलियन सरकार को यह इशारा दिया हुआ दिख रहा है।

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बानीज्‌‍ से मुलाकात करके नया रक्षा समझौता किया था। इसके अनुसार जापान के सैनिकों को ऑस्ट्रेलिया के डार्विन अड्डे पर प्रशिक्षण दिया जाना था। इसके साथ ही दोनों देशों की गुप्तचर यंत्रणाओं के सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई थी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर नकेल कसने के लिए जापान और ऑस्ट्रेलिया ने यह समझौता किया, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया था।

जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह सहयोग चीन के साउथ एवं ईस्ट चायना सी में वर्चस्व को चुनौती देता है, ऐसा पश्चिमी माध्यमों ने कहा था। ताइवान के मुद्दे पर चीनी सेना की गतिविधियां बढ़ रही हैं और इसी बीच जापान-ऑस्ट्रेलिया का यह सहयोग बड़ा अहम होने का दावा भी कुछ विश्लेषकों ने किया था। जापान के प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ महीनों से ताइवान की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों को एक्जुटा होने की गुहार लगा रहे हैं। इसी बीच ताइवान की सुरक्षा का मुद्दा रेखांकित करके ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन विरोधी भूमिका अपनाई थी। इस पृष्ठभूमि पर जापान और ऑस्ट्रेलिया का यह रक्षा सहयोग चीन ने ताइवान को लेकर अपनाई नीति को चुनौती दे सकता है, ऐसा भी इन विश्लेषकों का कहना था।

चीन के विदेश मंत्रालय ने इस समझौते की कड़ी आलोचना की थी। लेकिन, मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया में नियुक्त चीन के राजदूत शिआयो कियान ने ऑस्ट्रेलिया के इतिहास का ड़र दिखाकर जापान को इससे दूर करने की कोशिश की। इसके लिए चीन के राजदूत ने दूसरे विश्व युद्ध का ज़िक्र करके जापान की भूतपूर्व हुकूमत ने अमरीका, ब्रिटेन के मित्रदेश ऑस्ट्रेलिया पर हवाई हमले किए थे, इसकी याद भी दिलाई। दूसरे विश्व युद्ध में ऑस्ट्रेलियन नागरिकों को मार गिरानेवाले जापान के साथ सहयोग ना करें, ऐसा इशारा कियान ने दिया है।

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन को लेकर काफी आक्रामक भूमिका अपनाई थी। मॉरिसन के नेतृत्व में ही ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराया था। साथ ही चीन ऑस्ट्रेलिया की राजनीति से शिक्षा क्षेत्र में घुसपैठ कर रहा है, यह आरोप लगाकर मॉरिसन ने चीन के उत्पादों पर अतिरिक्त कर लगाने की भूमिका अपनाई थी। चीन के नेताओं ने भी ऑस्ट्रेलियन नेताओं का सियासी बहिष्कार करना शुरू किया था। इसकी वजह से दोनों देशों के ताल्लुकात बिगड़े थे। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा प्रधानमंत्री अल्बानीज चीन के साथ ताल्लुकात सुधारने की कोशिश में होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इस अवसर पर चीन ने ऑस्ट्रेलिया को जापान से सहयोग न करने का इशारा दिया है।

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