लद्दाख के ‘एलएसी’ पर सेना तैनात रखना चीन के हित में नहीं होगा – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – भारत ताकत की धौस से ड़रने वाला या लालच में फंसने वाला या झुठे प्रचार से बौखलाने वाला देश नहीं। यूक्रेन युद्ध हो या ‘एलएसी’ पर जारी चीन की हरकतें हो, भारत ने हमेशा से स्पष्ट भूमिका अपनाई है। भारत को चीन के साथ अच्छे ताल्लुकातों की उम्मीद हैं। लेकिन, इसके लिए चीन ने ‘एलएसी’ से सेना हटानी होगी। वहां सैन्य तैनाती रखना चीन के हित में नहीं रहेगा, ऐसें स्पष्ट शब्दों में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भारत की भूमिका रखी। 

लद्दाख के ‘एलएसी’पिछले कुछ दिनों से चीन भी हमें भारत के साथ अच्छे ताल्लुकात चाहिये, ऐसे दावे कर रहा हैं। साथ ही अमरीका और पश्चिमी देशों की साज़िश से भारत सावधान रहें, ऐसी सलाह भी चीन दे रहा हैं। भारत को अमरीका ‘नाटो प्लस’ का हिस्सा होने का प्रस्ताव दे रही है, इसके पीछे अमरीका और पश्चिमी देशों की चीन विरोधी साज़िश है, यह कहकर भारत इसका शिकार ना हो, ऐसी तीव्र गुहार चीन के सरकारी माध्यम लगा रहे हैं। शांग्री-ला में सुरक्षा संबंधित परिषद में बोलते समय चीन के रक्षा मंत्री ने भी भारत के साथ चीन को अच्छे ताल्लुकात रखने हैं, ऐसे दावे किए थे।

भारत और चीन के संबंध अच्छ होने का भ्रम निर्माण करने की कोशिश मे चीन है। क्यों कि, चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों की वजह से यह देश वैश्विक स्तर पर बदनाम हुआ है। साथ ही आर्थिक मोर्चे पर संकटों से घिरे चीन को भारत के सहयोग की काफी बड़ी ज़रूरत महसूस हो रही है। ऐसी स्थिति में भारत कोई हमारा शत्रु देश नहीं हैं, यह कहकर चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश में लगा है। लेकिन, भारत लगातार यही कह रहा है कि, चीन के साथ हमारे ताल्लुकात सामान्य नहीं हैं।

चीन के अलावा विश्व के सभी प्रमुख देश और देशों के गुटों के साथ भारत का सहयोग विकसित हो रहा है। लेकिन, चीन के साथ ऐसा नहीं हो रहा है और इसकी वजह भारत से भी अधिक चीन ही अधिक अच्छी तरह से बयान कर सकेगा, ऐसा दावा विदेश मंत्री जयशंकर ने नई दिल्ली में आयोजित वार्ता परिषद के दौरान किया। चीन ने भारत के साथ किए सीमा समझौते का २०२० से उल्लंघन करना शुरू किया है। इस वजह से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बना है। यदि, यह संबंध फिर से सुधारने हैं तो सीमा पर फिर से सद्भाव और सौहार्द स्थापित करना ही होगा, इसका अहसास जयशंकर ने कराया।

लेकिन, ऐसा करते हुए भारत चीन के सैन्यकी सामर्थ्य के दहशत में नहीं दबेगा और चीन के लालच से भुलने के लिए भारत अपरिपक्व नहीं हैं, इसपर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही चीन के दुष्प्रचार का भी भारत पर असर नहीं होगा, यह इशारा जयशंकर ने दिया है। वर्ष २०२० में भारत और चीन की सेना का लद्दाख के गलवान स्थित ‘एलएसी’ पर टकराव हुआ था। इस संघर्ष से पहले भी भारत ने चीनी सेना की हरकतों का मुद्दा द्विपक्षीय चर्चा में उठाया था। लेकिन, चीन इसपर ध्यान नहीं दिया, ऐसा आरोप जयशंकर ने लगाया।

इस वजह से आगे के दिनों में चीन को भारत के साथ अच्छे ताल्लुकात रखने हैं तो पहले लद्दाख के ‘एलएसी’ से सेना पीछे हटानी ही होगी, ऐसी चेतावनी भारत के विदेश मंत्री ने फिर से दी है। साथ ही मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच जारी तनाव के लिए भारत नहीं, बल्कि चीन की हरकतें ज़िम्मेदार होने की बात पर विदेश मंत्री ने फिर से ध्यान आकर्षित किया।

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