इस्रायल-हमास युद्ध से खाड़ी क्षेत्र में चीन की कुटनीतिक मर्यादा उजागर

बीजिंग/तेल अवीव – कुछ महीने पहले सौदी अरब और ईरान के बीच सहयोग स्थापित करने का समझौता करके चीन ने नेतृत्व ने अपनी ही पीठ थपथपाई थी। लेकिन, अब कुछ ही महीने बाद खाड़ी क्षेत्र में शुरू हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर चीन मुश्किलों से घिर चुका है और इससे चीन की कुटनीतिक मर्यादा भी उजागर होती दिख रही है। स्थिरता के दौर में अपनी राजनीतिक क्षमता एवं प्रभाव को लेकर डिंगे हाकने वाला चीन इस्रायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद राजनीतिक स्तर पर अप्रभावी होता दिखाई दे रहा है। इस युद्ध को लेकर सीमित समय में प्रतिक्रिया बयान करके अपनी भूमिका स्पष्ट करने में चीन स्पष्ट तौर पर नाकाम होने की आलोचना विश्लेषक कर रहे हैं।

इस्रायल-हमास युद्ध से खाड़ी क्षेत्र में चीन की कुटनीतिक मर्यादा उजागरआतंकी संगठन हमास ने शुक्रवार के दिन इस्रायल पर हमले किए। इसके कुछ ही घंटे बाद दुनियाभर में हमास के आतंकी हमलों का विरोध किया गया है। भारत के साथ विश्व के कई देशों ने हमास के आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करके इस्रायल के पक्ष में अपना समर्थन होने की गवाही दी है। अधिकांश देशों के राष्ट्रप्रमुखों ने समर्थन दर्शाकर इस्रायल के साथ खड़े होने की बात रेखांकित करने वाले बयान सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों के ज़रिये जारी किए हैं।

लेकिन, चीन इस युद्ध पर ताबड़तोब प्रतिक्रिया देने से दूर रहा। अधिकांश शीर्ष देशों की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद चीन के विदेश विभाग ने अपना निवेदन जारी किया। इसमें भी हमास और आतंकवादी हमलों का ज़िक्र नहीं किया गया है। हमास के हमले में मारे गए इस्रायली नागरिकों के प्रति भी चीन ने किसी भी तरह की संवेदना व्यक्त नहीं की है। इसके अलावा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने भी इस्रायल-हमास युद्ध पर मौन रखा हैं।

इस्रायल-हमास युद्ध से खाड़ी क्षेत्र में चीन की कुटनीतिक मर्यादा उजागरचीन की यह भूमिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की वजह बनी है। इश्रायल और खाड़ी देशों से संबंधित अभ्यास गुट एवं पश्चिमी माध्यमों ने चीन की नीति को लक्ष्य किया। पिछले कुछ सालों में ईरान, सौदी अरब, इराक, कतर जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहे चीन ने पैलेस्टिनियों के मुद्दे पर भी मध्यस्थता करने की तैयारी दर्शायी थी। जून महीने में पैलेस्टिन ऑथॉरिटी के राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास ने चीन का दौरा किया था। इसके बाद यह चर्चा शुरू हुई थी कि, इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू चीन का दौरा करेंगे।

लेकिन, इस्रायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद की घटनाएं खाड़ी क्षेत्र में चीन की नीतिक कमज़ोर और स्थिर न होने की बात रेखांकित हुई है। संघर्ष या युद्धस्थिति में अपना प्रभाव इस्तेमाल करके युद्ध रोकने के लिए आवश्यक खतरा उठाने की क्षमता चीन नहीं रखता, ऐसी आलोचना विश्लेषक कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की विदेश नीति में देखी गई असफलता पर पूर्व चीनी अधिकारी एवं नेताओं ने तीव्र नाराज़गी जताने की खबरें सामने आयी हैं। इस्रायल-हमास युद्ध ने जिनपिंग का नेतृत्व नाकाम और कमज़ोर होने की बात फिर से दिखाई देने की बात कही जा रही है।

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