ईरान के बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र परीक्षण के कारण खलबली

इस्रायल तक पहुँचने क्षेपणास्त्र की क्षमता, अमरीका द्वारा निर्बंधों की तैयारी

iran missile lauched

दो बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का परीक्षण करके ईरान ने खलबली मचा दी है। इस्रायल तक पहुँचने की क्षमता इन क्षेपणास्त्रों में होकर, अपनी रक्षासिद्धता का परिचय देने के लिए ही यह परीक्षण किया है, ऐसा ईरान ने घोषित किया। अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष ‘जो बिडेन’ के इस्रायल दौरे के दौरान ही ईरान ने यह परीक्षण करने का निर्णय लिया। अमरीका के साथ हुए परमाणुसमझौते की पार्श्वभूमि पर यह निर्णय दु:साहस साबित होगा, ऐसा बताया जा रहा है। अमरीका ने भी ईरान के इस परीक्षण के बाद कार्रवाई की गतिविधियाँ शुरू की हैं।

गत दो दिनों से ईरान के ‘रिव्हॉल्युशनरी गार्डस्’ का युद्ध-अभ्यास शुरू है। इस युद्ध-अभ्यास की पार्श्वभूमि पर ईरान के लष्कर ने शॉर्ट-रेंज क्षेपणास्त्रों का परीक्षण किया था। इनमें से कुछ क्षेपणास्त्रों को बंकर में से प्रक्षेपित किया गया; वहीं, कुछ क्षेपणास्त्रों का प्रक्षेपण रात को किया गया। लेकिन बुधवार सुबह ईरान ने तक़रीबन १४०० किलोमीटर्स तक पहुँचने की क्षमता रहनेवाले ‘कद्र-एच’ इस श्रेणि के दो  बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का परीक्षण किया। यह क्षेपणास्त्र परीक्षण सफल हुआ होने का दावा ईरान ने किया है।

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इन क्षेपणास्त्रों की रेंज में इस्रायल की राजधानी जेरुसलेम और तेल अवीव ये शहर आ रहे होकर, भारत के उत्तरी राज्य भी इन क्षेपणास्त्रों की रेंज में आते हैं। ईरान के ‘रिव्हॉल्युशनरी गार्डस्’ ने इस परीक्षण का समर्थन करते हुए, ईरान की रक्षाक्षमता दुश्मन को दिखाने के लिए यह परीक्षण किया है, ऐसी घोषणा की। हमारी सीमाओं की रक्षा करने के लिए और किसी भी प्रकार के आक्रमण का सामना करने के लिए हम तैयार हैं, यह इन परीक्षण के माध्यम से हमने दिखा दिया, ऐसा ईरान की सरकारी वृत्तवाहिनी ने कहा है।

ईरान के इस क्षेपणास्त्र परीक्षण पर इस्रायली अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। लेकिन अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष जो बिडेन के इस्रायल दौरे के दौरान ही ईरान ने ठेंठ इस्रायल तक पहुँच सकनेवाले क्षेपणास्त्रों का परीक्षण किया है। आखात के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बिडेन का यह इस्रायल दौरा आयोजित किया गया है। इस दौरान, सिरिया में चल रहा संघर्ष, पॅलेस्टाईन शांतिचर्चा, साथ ही ईरान के साथ हुआ परमाणुसमझौता इनपर भी दोनों नेताओं में चर्चा हो सकती है। इस पार्श्वभूमि पर ईरान के क्षेपणास्त्र परीक्षण की ओर देखा जा रहा है।

पिछले वर्ष जुलाई महीने में पश्चिमी देशों की ईरान के साथ हुई चर्चा सफल हुई थी। उसके बाद महीने भर में ही  ईरान ने बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र का परीक्षण कर नया विवाद खड़ा किया था। जनवरी महीने में अमरीका एवं पश्चिमी देशों ने ईरान के परमाणुकार्यक्रम पर लगाये गये निर्बंध हटा दिये थे। लेकिन इन निर्बंधों को हटा देने के बाद चंद कुछ दिनों में ही, अमरीका ने ईरान के क्षेपणास्त्र कार्यक्रम पर पाबंदी लगायी थी। अब ईरान के इस लाँग-रेंज क्षेपणास्त्र के परीक्षण के बाद, ईरान पर अतिरिक्त निर्बंध लगाने के संकेत भी अमरीका ने दिए हैं।

इस दौरान, अमरीका ने लगाये हुए निर्बंधों की पार्श्वभूमि पर ईरान ने क्षेपणास्त्र परीक्षण किया होने की घोषणा ‘रिव्हॉल्युशनरी गार्डस्’ के वरिष्ठ अधिकारी ने की। ‘इन निर्बंधों के कारण ही ईरान अपना स्वयं का क्षेपणास्त्र कार्यक्रम विकसित कर सका। आज हुआ क्षेपणास्त्र परीक्षण भी इन निर्बंधों का ही नतीजा है’, ऐसी चेतावनी ब्रिगेडिअर जनरल हुसेन सलामी ने दी है। साथ ही, ईरान ने पश्चिमी देशों के साथ हुए परमाणुसमझौते से मुक़र जाने की धमकी दी है।

A view of an underground depot where missiles are launched, in an undisclosed location, Iran, in this handout photo released by the official website of Islamic Revolutionary Guard Corps (IRGC)

लाँग-रेंज क्षेपणास्त्र परीक्षण सफल हुआ होने की घोषणा करते समय, ‘हमारे दुश्मन इस्रायल को लक्ष्य बनाने के लिए ही इस क्षेपणास्त्र का निर्माण किया है’ ऐसी जानकारी ‘रिव्हॉल्युशनरी गार्डस्’ के ब्रिगेडिअर जनरल अमिर अली हाजिझादेह ने दी। इस्रायल का दुनिया के नक्शे से नामोनिशान मिटा देने की धमकी इससे पहले भी ईरान के नेताओं ने दी थी।

इसी दौरान, ‘अमरीका एवं ईरान के बीच के संबंधों में हालाँकि कितना भी सुधार हुआ दिखायी दे रहा हो, मग़र फिर भी ईरान का प्रश्न आज भी अमरीका के लिए एक चुनौती है। ईरान को आखाती देशों का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा होने के कारण आखात में अस्थिरता निर्माण हो रही है। आखात में चल रहे संघर्ष तथा अस्थिरता इनके लिए, कई आखाती देशों में चल रहा शिया-सुन्नी संघर्ष ज़िम्मेदार है। इस पंथीय संघर्ष के कारण कई आखाती देश खोख़ले हुए होकर, उनकी स्थिरता को ईरान से सदा ख़तरा रहनेवाला है’ ऐसी चेतावनी अमरीका के तीनों कमांड के प्रमुखों ने दी है। अमरीका को भी ईरान से हमेशा चौकन्ना रहना होगा, ऐसा मशवरा भी इन कमांड-प्रमुखों ने ‘सिनेट आर्म्ड सर्व्हिसेस् कमिटी’ के सामने जानकारी देते हुए दिया।

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