रशिया ईरान को अत्याधुनिक रक्षासामग्री की आपूर्ति करने की तैयारी में

Newscast_Russia Iran Military Cooperation (AFP)

ईरान एवं रशिया के बीच रक्षाविषयक सहयोग अधिक ही दृढ़ होता जा रहा है। ‘एस-३००’ इस अत्याधुनिक हवाई सुरक्षा यंत्रणा की आपूर्ति ईरान को करने के बाद, रशिया अब ईरान को ‘इलेक्ट्रॉनिक’ युद्धतंत्र के बारे में सहायता करनेवाला होने की जानकारी सामने आयी है। इसीके साथ, दोनों देशों के बीच रक्षाविषयक सहयोग को  अन्य स्तरों पर भी बढ़ाने का फ़ैसला, दोनों देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक में किया गया।

ईरान के रक्षामंत्री ‘हुसैन देहकान’ ने हाल ही में रशिया का दौरा किया। इस दौरान देहकान ने रशिया के रक्षामंत्री ‘सर्जेई शोईगू’ से मुलाक़ात की। रशियन रक्षामंत्री के साथ हुई इस बैठक के बाद, दोनों देशों के बीच कुछ महत्त्वपूर्ण समझौते हुए होने की जानकारी देहकान ने दी। साथ ही, रशिया एवं ईरान के बीच लष्करी सहयोग को बढ़ाने के लिए तथा रशिया से प्रगत तंत्रज्ञान ख़रीदने के बारे में भी चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्रसंघ तथा अमरीका ने ईरान पर लगाये हुए निर्बंध हटा देने के बाद रशिया एवं ईरान के रक्षामंत्रियों के बीच हुई यह पहली बडी मुलाक़ात थी।

‘आतंकवाद और उसके कारण पैदा होनेवाली समस्याओं को यदि नष्ट करना हो, तो रशिया एवं ईरान के बीच सहयोग स्थापित होना आवश्यक है। ऐसा होने पर ही दुनिया में स्थिरता और सुरक्षा स्थापित होने में मदद होगी’ ऐसा दावा इस समय देहकान ने किया। रशिया के रक्षामंत्री शोईगू ने भी, आतंकवाद के विरोध में ईरान के साथ लष्करी सहयोग को बढ़ाने के लिए रशिया तैयार है, यह स्पष्ट किया। इस चर्चा के बाद दोनों देशों में मित्रतापूर्ण सहयोग बढ़ेगा, ऐसा विश्वास शोईगू ने व्यक्त किया।

लेकिन इस चर्चा में रशिया के साथ हुए नये समझौतों के बारे मे अधिक जानकारी देना देहकान ने टाल दिया। लेकिन ‘रशियन फ़ेड़रेशन सर्व्हिस फ़ॉर मिलिटरी टेक्निकल कोऑपरेशन’ के प्रमुख अलेक्झांडर फ़ोमिन ने दी जानकारी के अनुसार, दोनों देशों के बीच इस समय अत्याधुनिक शस्त्र-अस्त्रों की खरीदारी पर चर्चा हुई। आंतर्राष्ट्रीय निर्वंधों के दायरे में रहकर ईरान को प्रगत शस्त्र-अस्त्र की आपूर्ति करना रशिया ने मान्य किया है। ‘ईरान को ‘एस-३००’ की इस क्षेपणास्त्रभेदी यंट्रणा की आपूर्ति करने के बाद अब रशिया ईरान को ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेअर सिस्टिम’ की आपूर्ति करेगा, ऐसा फ़ोमिन ने कहा।

इस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेअर सिस्टिम से ईरान की रक्षासिद्धता में वृद्धि होगी, ऐसा कहा जा रहा है। ईरान के परमाणुप्रकल्पों को इस्रायल के हमले का बहुत बड़ा ख़तरा हो सकता है। इस पार्श्वभूमि पर, यह यंत्रणा ईरान के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसके अलावा, रशिया एवं ईरान में अन्य शस्त्रों-अस्त्रों की खरीदारी पर तथा ईरान में रशियन बनावट के ‘टी-९०’ टँक्स के निर्माण के बारे में चर्चा हुई।

ईरान एवं अमरीका के बीच सफल हुए परमाणु-समझौते के बाद, ईरान पर लगायी हुई पाबंदियाँ हटा दी गयीं होकर, उसका पूर्ण रूप से लाभ उठाकर ईरान रशिया एवं अन्य देशों के साथ के रक्षाविषयक संबंधों को तेज़ी से विकसित कर रहा है। इसलिए अमरीका एवं इस्रायल के साथ साथ सौदी अरेबिया भी बेचैन हुआ होकर, रशिया एवं ईरान के बीच के इस रक्षाविषयक सहयोग को लेकर इन देशों से तीव्र प्रतिक्रिया उठ सकती है। उसीके साथ, सिरिया में चल रहे संघर्ष में भी, ईरान एवं रशिया के हितसंबंध एकसमान होने की बात सामने आ रही है। इस कारण दोनों देशों के बीच का सामरिक सहयोग अधिक ही व्यापक बनता हुआ दिखायी दे रहा है।

पिछले नवम्बर महीने में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन जब ईरान के दौरे पर थे, तब उन्होंने राजशिष्टाचारों (प्रोटोकॉल) को हटाकर राष्ट्राध्यक्ष रोहानी से मिलने से पहले, हवाईअड्डे से ठेंठ ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी से मुलाक़ात की थी। वही, खामेनी के निकटवर्तिय माने जानेवाले अली अक़बर विलायती ने भी बिना किसी धूमधाम के, रशिया का दौरा कर पुतिन से मुलाक़ात की होने का दावा वृत्तसंस्थाएँ कर रही हैं।

इस पार्श्वभूमि पर, ईरान की राजनीति में सर्वोच्च स्थान रहनेवाले ‘आयातुल्लाह खामेनी’ लगातार, ‘अमरीका का भरोसा नहीं किया जा सकता’ ऐसी चेतावनी अपने देश के राजनीतिक नेतृत्व को दे रहे हैं। वहीं, अमरीका ने ईरान पर लगायीं पाबंदियाँ हटा दी हैं, इस बात की मिसाल देकर ईरान के राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी, अमरीका के साथ साथ अन्य पश्चिमी देशों के साथ संबंध विकसित करने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ‘अमरीका ने ईरान पर लगायीं पाबंदियाँ केवल नाममात्र के लिए हटायीं हैं, ऐसा आरोप खामेनी कर रहे हैं।

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