पर्शियन खाड़ी के ईंधन क्षेत्र से संबंधित सौदी-कुवैत समझौते पर ईरान की आपत्ति

saudi-kuwait-fuel-iran-2तेहरान – यूक्रैन युद्ध की वजह से पूरे विश्‍व में ईंधन की कीमतों में बड़ा उछाल आया है और ईंधन उत्पादन बढ़ाने के लिए पश्‍चिमी देश आवाहन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ईंधन वायु क्षेत्र के विकास के लिए सौदी अरब और कुवैत के बीच हुए समझौते पर ईरान ने आपत्ति जताई है। पर्शियन खाड़ी के अराश ईंधन क्षेत्र के विकास काम का सर्वाधिकार हमारे पास होने का बयान करके ईरान ने यह समझौता अवैध होने का आरोप लगाया। साथ ही ईरान के समावेश के बिना यह समझौता पूरा हो ही नहीं सकता, यह इशारा भी ईरान ने दिया है।

पर्शियन खाड़ी के अराश या दुर्रा नाम से पहचाने जाने वाले ईंधन क्षेत्र सौदी अरब, कुवैत और ईरान में बटा है। ईरान और कुवैत के बीच समुद्री सीमा निश्चित नहीं हुई है और इसकी वजह से इस ईंधन क्षेत्र पर दोनों देश समान अधिकार जता रहे हैं। सन १९६७ में खोजे गए इस ईंधन क्षेत्र में लगभग २० ट्रिलियन क्युबिक फीट ईंधन वायु होने का दावा किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से जारी क्षेत्रीय तनाव की वजह से अराश ईंधन क्षेत्र के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।

लेकिन, पिछले हफ्ते सौदी अरब और कुवैत ने इस ईंधन क्षेत्र के संयुक्त विकास का समझौता किया। इसके अनुसार इस क्षेत्र से प्रति दिन एक अरब क्युबिक फीट ईंधन वायु का उत्पादन किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन वायु की बढ़ती माँग और बढ़ती हुई कीमतों के मद्देनज़र सौदी और कुवैत का यह समझौता अहमियत रखता है। लेकिन, इस समझौते की वजह से ईरान काफी आगबबूला हुआ है।

saudi-kuwait-fuel-iran-1‘अराश ईंधन क्षेत्र पर सौदी, कुवैत की तरह ईरान का भी हक है। इसकी वजह से इस क्षेत्र के विकास में ईरान का भी उतना ही अधिकार है। इसके बावजूद ईरान को टालकर सौदी-कुवैत का हुआ यह समझौता अवैध है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार यह समझौता किसी भी दायरे में नहीं बैठता। ईरान के समावेश के बिना यह ईंधन क्षेत्र विकसित नहीं किया जा सकता, यह दावा ईरान के विदेश मंत्रायल के प्रवक्ता सईद खातिबज़ादेह ने किया।

सौदी और कुवैत के इस समझौते का निषेध करने के लिए ईरान ने अराश ईंधन क्षेत्र का विकास और खनन स्वतंत्र तौर पर करने के संकेत दिए हैं। इससे संबंधित सभी गतिविधियाँ ईरान का ईंधन मंत्रालय करेगा और जल्द ही अराश में ईरान के जहाज़ ईंधन वायु का खनन शुरू करेंगे, यह भी ईरान ने स्पष्ट किया। ईरान की इस भूमिका की वजह से पर्शियन खाड़ी में नया तनाव बढ़ रहा है।

इसी बीच, यूक्रैन युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों के सामने ईंधन वायु प्राप्ति का बड़ा संकट निर्माण हुआ है। नाइजेरिया जैसे अफ्रीकी देश ईंधन वायु की आपूर्ति करके यूरोपिय देशों के संकट की तीव्रता कम करें, यह माँग यूरोपिय महासंघ कर रहा है। ऐसी स्थिति में सौदी-कुवैत के ईंधन वायु के खनन संबंधी किए गए समझौते का ईरान का विरोध अहम साबित होता है।

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