हाउथियों के हमले बढ़ते समय ही अमरीका ने सऊदी अरब से ‘पॅट्रियॉट’ क्षेपणास्त्र हटाए

‘पॅट्रियॉट’वॉशिंग्टन/रियाध – अमरीका ने सऊदी अरब में तैनात की ‘पॅट्रियॉट’ क्षेपणास्त्र यंत्रणा हटा दी है। पिछले कुछ दिनों में येमन के हाउथी विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर हमलों की तीव्रता बढ़ाई है, ऐसे में यंत्रणा को हटाना गौरतलब साबित होता है। अमरीका के इस फैसले से खाड़ी क्षेत्र के मित्र देशों को गलत संदेश जा सकता है, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।

सन २०१९ में ईरान समर्थक हाउथी बागियों ने सऊदी के ईंधन प्रोजेक्ट पर हमले किए थे। उसके बाद अमरीका ने सऊदी में ‘पॅट्रियॉट क्षेपणास्त्र’ तथा ‘थाड’ यंत्रणा के साथ हजारों सैनिक तैनात किए थे। लेकिन बायडेन प्रशासन ने इस तैनाती को हटाने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं थीं। अमरीका की रक्षा नीति इसके बाद चीन और रशिया को मध्यवर्ती रखकर बनाई जा रही होकर, उसके अनुसार अन्य तैनाती पर पुनर्विचार करने के संकेत बायडेन प्रशासन द्वारा दिए गए थे।

‘पॅट्रियॉट’सौदी तथा मित्रदेश और ईरान समर्थक हाउथी बागी इनके बीच सन २०१४ से संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में सऊदी को बड़े पैमाने पर नुकसान सहना पड़ा है, ऐसा बताया जाता है। लेकिन फिर भी सऊदी ने अभी भी इस संघर्ष से हार नहीं मानी है। कुछ महीने पहले सऊदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ और अमरीका की मध्यस्थता से हाउथी बागियों को शांति चर्चा का प्रस्ताव दिया था। लेकिन हाउथी बागियों ने उससे इन्कार करते हुए संघर्ष अधिक तीव्र करने की धमकी दी है।

दूसरी ओर ईरान के परमाणु अस्त्रों का खतरा बढ़ने के भी संकेत मिल रहे हैं। कुछ ही दिन पहले अमरिकी अधिकारियों ने, ईरान के साथ परमाणु समझौता अनिश्चित स्थिति में होने के संकेत दिए थे। ईरान में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद हालात और भी बिगड़ने की बात सामने आ रही होकर, ईरान परमाणु कार्यक्रम अधिक तेज़ कर रहा है, ऐसी जानकारी सामने आ रही है।

‘पॅट्रियॉट’इस पृष्ठभूमि पर, सऊदी ने अमरीका को तैनाती कायम रखने की विनती की थी। सऊदी अरब के पूर्व गुप्तचर प्रमुख प्रिन्स तुर्की अल फैजल ने कुछ दिन पहले एक अमरिकी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में भी इसका उल्लेख किया था। सऊदी में ‘पॅट्रियॉट’ की तैनाती, अमरीका ने खाड़ी क्षेत्र के देशों से किए वादों की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होती है, ऐसा फैजल ने जताया था। सऊदी पर क्षेपणास्त्र और ड्रोन हमले बढ़ते समय क्षेपणास्त्र यंत्रणा हटाने का फैसला उचित साबित नहीं होगा, ऐसा दावा भी उन्होंने किया था।

कुछ विदेशी विश्लेषकों ने, अफगानिस्तान से की वापसी के बाद सऊदी के संदर्भ में किया हुआ फैसला अमरीका की छवि को झटका देनेवाला साबित होगा, ऐसी नाराज़गी ज़ाहिर की है। अफगानिस्तान में बनी तालिबान की हुकूमत और ईरान में हुआ सत्ता परिवर्तन तथा बढ़ता खतरा, इस पृष्ठभूमि पर अमरीका ने क्षेपणास्त्र यंत्रणा हटाने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी, ऐसा दावा भी विश्लेषकों द्वारा किया गया है।

इसी बीच, कुछ महीने पहले सऊदी अरब ने ‘पॅट्रियॉट’ क्षेपणास्त्रों के संदर्भ में ग्रीस के साथ समझौता करने की खबर सामने आई है।

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