पर्शियन खाड़ी में अमरीका की हुई सैन्य तैनाती के विरोध में ईरान ने शुरू किया सबसे बड़ा युद्धाभ्यास

तेहरान – ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ ने अबतक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास की शुरूआत की हैं। इसमें ईरानी वायु सेना के करीबन ९० प्रतिशत विमान, ड्रोन शामिल हो रहे हैं और रॉकेटस्‌ के लाईव्ह फाइरिंग का अभ्यास भी इस दौरान किया जा रहा हैं। इसमें रशियन एवं अमरिकी निर्माण के विमानों को ईरान ने शामिल किया है, यह दावा हो रहा है। हमारा यह युद्धाभ्यास अमरीका की खाड़ी में देखी जा रही आक्रामकता पर जवाब है, यह ईरान का कहना है। पिछले हफ्ते अमरीका ने पर्शियन खाड़ी में तैनात करने के लिए अपने उन्नत लड़ाकू विमान और युद्धपोत रवाना करने का ऐलान किया था। ईरान के कारण इस समुद्री क्षेत्र में विदेशी जहाजों की सुरक्षा के लिए खतरा बना है, यह आरोप लगाकर अमरीका ने अपनी इस तैनाती का समर्थन किया था। इसके विरोध में ईरान ने इस युद्धाभ्यास की शुरूआत की है। 

युद्धाभ्यासपर्शियन खाड़ी का क्षेत्र समुद्री यातायात के लिए विश्व का सबसे व्यस्त और सामरिक नज़रिये से बड़े अहम क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। विश्व के लगभग २० प्रतिशत ईंधन की यातायात इसी समुद्री क्षेत्र से होती हैं और इसपर अमरीका, यूरोप, एशिया, अफ्रीकी महाद्वीप के अधिकांश देश निर्भर हैं। इससे पहले खाड़ी क्षेत्र का संघर्ष या तनाव का परिणाम इस क्षेत्र की समुद्री यातायात पर होने से इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होता दिखाई दिया है। इस क्षेत्र के तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमतों में उछाल भी देखा गया है।

इस वजह से वर्णित समुद्री क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापीत करने के लिए एवं इस समुद्री क्षेत्र में ईंधन की यातायात बाधित ना हो, इसी इरादे से अमरीका और यूरोपिय मित्र देशों ने इस क्षेत्र में भारी मात्रा में सैन्य तैनाती की है। इसके बावजदू पर्शियन, होर्मुझ और ओमान की खाड़ी से गुजर रहे विदेशी जहाजों पर हमले होने की एवं उनका अपहरण होने की घटनाएं हुई हैं। पिछले दो सालों में होर्मुझ की खाड़ी में ही पांच विदेशी जहाज़ों का अपहरण हुआ है। इसी महीने दो विदेशी ईंधन टैंकरों का अपहरण करने की कोशिश हुई थी। 

युद्धाभ्यासअमरिकी नौसेना की सतर्कता के कारण यह कोशिश नाकाम हुई थी। इन अपहरणों की घटनाओं के पीछे ईरान का सैन्य संगठन रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ होने का आरोप अमरीका ने लगाया था। इस पृष्ठभूमि पर पिछले दस दिनों में अमरीका ने पर्शियन खाड़ी की सुरक्षा के लिए ‘एफ-३५’ और ‘एफ-१६’ जैसे लड़ाकू विमानों की तैनाती का ऐलान किया था। साथ ही समुद्री कार्रवाई के लिए ‘यूएसएस थॉमस हडन्‌र’ रवाना करने का ऐलान भी पेंटॅगॉन ने किया है। इसके अनुसार अमरिकी युद्धपोत रेड सी के क्षेत्र में दाखिल हुई है औड़ जल्द ही ‘एफ-३५’ विमानों का बेड़ा इस क्षेत्र में दाखिल होने की संभावना जताई जा रही है।

लेकिन, अमरीका अपनी इच्छा के अनुसार इस क्षेत्र में अपनी आक्रामकता बढ़ा रही हैं, ऐसा आरोप ईरान के सेनाप्रमुख मेजर जनरल अब्दुलरहीम मोसावी ने लगाया। यह तैनाती बढ़ाकर अमरीका इस क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में धकेल रही है, यह आरोप भी मेजर जनरल मसावी ने लगाया। अमरीका चिंता का ढ़कोसला करके इस क्षेत्र में सैन्य तैनाती बढ़ा रही हैं। लेकिन, वास्तव में इसकी बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। इस क्षेत्र का हर एक देश आत्मरक्षा के लिए तैयार है, यह दावा मोसावी ने किया। रविवार से शुरू किया गया ‘फदाईनयन वेलयात-११’ युद्धाभ्यास अमरीका की इसी आक्रामकता के खिलाफ होने का बयान मोसावी ने किया है।

इस युद्धाभ्यास में ईरानी वायु सेना के बेड़े में मौजूद रशियन ‘सुखोई-२४’ और अमरीका के ‘एफ-४’ एवं ‘एफ-१४’ विमान शामिल हो रहे हैं। ईरान के लगभग ११ हवाई अड्डों से इस युद्धाभ्यास का आयोजन हो रहा हैं। इस युद्धाभ्यास का दायरा बंदर अब्बास तक होगा। लड़ाकू विमान और ड्रोन के बेड़े के साथ ही ईरानी रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ का रॉकेट दल भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा होगा। यह ईरान की इतिहास का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास होगा।

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