’जी २०’ में भारत को बड़ी कामयाबी – ‘न्यू दिल्ली लीडर्स डिक्लरेशन’ का सदस्य देशों ने सहमति से किया स्वीकार

नई दिल्ली – ‘जी २०’ बैठक में भारत को काफी बड़ी कामयाबी प्राप्त हुई है। विश्व को सता रहे कई सवालों को लेकर सदस्य देशों में मौजूद मतभेद दूर रखकर भारत के नेतृत्व में जारी निवेदन को सभी देशों ने स्वीकृति प्रदान की है। खास तौर पर यूक्रेन युद्ध का भी इसमें ज़िक्र हैं। लेकिन, यूक्रेन युद्ध पर बयान करते समय इसमें रशिया का ज़िक्र करने से बचने की राजनीतिक कुशलता भारत ने दिखाई है। ‘जी २०’ का व्यासपीठ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग विकसित करने के लिए हैं।

’जी २०’ में भारत को बड़ी कामयाबी - ‘न्यू दिल्ली लीडर्स डिक्लरेशन’ का सदस्य देशों ने सहमति से किया स्वीकारराजनीतिक एवं रक्षा संबंधित मुद्दों का हल निकालने के लिए इसका इस्तेमाल ना हो, यह बात सभी सदस्य देशों को समझाने में भारत कामयाब होता इससे दिखाई दे रहा है। साथ ही ‘यह युद्ध का समय नहीं हैं। संघर्ष का शांति से हल निकालने के लिए राजनीतिक संवाद की राह चुननी होगी’, यह भारत का विचार इस निवेदन में रेखांकित किया गया है। भारत को प्राप्त हुई ‘जी २०’ की अध्यक्षता ऐतिहासिक साबित हुई है। इस परिषद में कई मुद्दों पर सहमति हुई हैं। अफ्रीकी महासंघ को ‘जी २०’ की स्थायी सदस्यता बहाल हुई है। अफ्रीकी महासंघ के इस स्थायी सदस्यता का प्रस्ताव भारत ने ही रखा था।

साथ ही सभी देश इसे मंजूरी प्रदान करें, इसके लिए भारत ने काफी कोशिश की थी और यह कोशिश कामयाब भी हुई। ५५ सदस्य देशों के अफ्रीकी महासंघ का ‘जी २०’ में हुआ समावेश ‘ग्लोबल साउथ’ में भारत का नेतृत्व मज़बूत करेगा, ऐसा विश्लेषकों का कहना हैं।

इतनी बड़ी संगठन होने के बावजूद अफ्रीकी महासंघ को वैश्विक स्तर की किसी भी बड़ी बहुपक्षीय संगठन में स्थान नहीं था। इंडोनेशिया के हाथों में ‘जी २०’ की अध्यक्षता थी तब अफ्रीकी महासंघ ने जी २० की सदस्यता पाने के लिए बिनती की थी। लेकिन, कुछ सदस्य देशों ने इसे अनदेखा किया था। लेकिन, भारत ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में अफ्रीकी महासंघ को जी २० में स्थान दिलाया है। इस संगठन के सभी सदस्य देश ग्लोबल साउथ का हिस्सा कहे जाते हैं। इस वजह से भारत के हाथों में ही ग्लोबल साउथ का नेतृत्व होने की बात इससे रेखांकित होने का दावा किया जा रहा है।

साथ ही बैठक के दौरान भारत के नेतृत्व में जारी निवेदन को सभी सदस्यों ने मंजूरी प्रदान की। ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्युचर’ यानी ‘एक विश्व, एक कुटुंब और एक भविष्य’ यही भारत की अध्यक्षता में आयोजित ‘जी २०’ देशों का घोषवाक्य था। इसके अनुसार ‘न्यू दिल्ली जी २० लीडर्स डिक्लरेशन’ का मसौदा बनाया गया। साथ ही इसपर सबकी संमती पाने में भारत कामयाब हुआ।

‘इतिहास बना हैं। न्यू दिल्ली डिक्लरेशन सभी देशों ने स्वीकार किया है। अधिक अच्छे, अधिक समृद्ध और मधूर भविष्य के लिए सब मिलकर एक साथ काम करेंगे’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निवेदन को सबकी मंजूरी प्राप्त होने का ऐलान किया।

मज़बूत, टिकावू और सर्व समावेशक विकास के लिए कोशिशों की आवश्यक ज़रूरत इस निवेदन में रेखांकित की गई है। फिलहाल विश्व के विकास दर की गिरावट हुई हैं। इससे अनिश्चितता भी बढ़ी हैं। बढ़ती महंगाई और भूराजनीतिक तनाव के कारण आर्थिक जोखीम बढ़ रही है। इससे स्थिति अधिक कठिन हो सकती है। इस वजह से व्यापक और रचनात्मक आर्थिक नीति लागू करना, समान विकास को गति देने पर इस निवेदन में जोर दिया गया है। साथ ही खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया है।

इस निवेदन में ८३ मुद्दे शामिल हैं। लेकिन, सबसे अधिक ध्यान इसमें दर्ज़ यूक्रेन युद्ध के मुद्दे ने आकर्षित किया। यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों के बीच बड़े मतभेद थे। इस वजह से भारत इससे राह कैसैं ढ़ूंढ़ेगा, इसपर सभी की नज़रे लगी थी। निवेदन में क्षेत्रीय अखंड़ता, सार्वभौमता की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून और नियमों का पालन करने का आवाहन भी किया गया है। साथ ही किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की और परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल करने की धमकी स्वीकारार्ह नहीं होगी, यह भी इसमें रेखांकित किया गया है। लेकिन, इसमें रशिया का नाम कही पर भी दर्ज़ नहीं किया गया है।

निवेदन में कर्ज संकट में फंसे और आर्थिक कमज़ोरी का सामना कर रहे देशों को शीघ्रता से सहायता मुहैया करने की भूमिका का भी ज़िक्र हैं। श्रीलंका, घाना, झांबिया जैसे देशों का इसमें ज़िक्र किया गया है। ऐसी भू-आर्थिक तनाव में फंसे देशों को इस संकट से बाहर निकालने के लिए एकत्रित कोशिश करने के लिए भारत ने रखे प्रस्ताव को स्वीकृति प्राप्त होती दिख रही है।

इस ‘जी २०’ समिट के दौरान कई अहम निर्णय किए गए हैं। बहुपक्षिय विकास बैंक यानी ‘मल्टिट्रायल डेवलपमेंट बैंक’ को मज़बूती देने के लिए इस बैंक की वित्तपोषण क्षमता बढ़ानी होगी और इसके लिए सभी देशों ने एक साथ काम करने की तैयारी दर्शायी हैं। साथ ही आतंकवाद की सभी देशों ने फिर एक बार निंदा की और वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए यह सबसे बड़ा खतरा होने की बात पर भी मुहर लगाई है।

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