भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को जड़ा करारा तमाचा

नई दिल्ली – जम्मू-कश्‍मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और इस पर बोलने का चीन को अधिकार नहीं है, ऐसे सख्त शब्दों में भारत ने चीन को तमाचा जड़ा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने भारत की भूमिका चुनिंदा शब्दों में रखी है। चीन, लद्दाख को भारत का हिस्सा नहीं समझता, यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में किया था। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से चीन की सीमा के निकट करीबन ४४ मार्ग एवं पुलों का उद्घाटन किया था। इस वजह से बेचैन हुए चीन ने सरहदी क्षेत्र में भारत कर रहा बुनियादी सुविधाओं का विकास ही दोनों देशों के तनाव का असल कारण होने का दावा किया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह दावा करने के साथ ही अपना देश लद्दाख को भारत का क्षेत्र नहीं मानता, यह दावा भी किया था।

लद्दाख के साथ ही अरुणाचल प्रदेश भी भारत का क्षेत्र नहीं है, यह बयान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया था। इस पर भारतीय माध्यमों में तीखी प्रतिक्रियाएं दर्ज़ हुई थीं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी चीन को इस उकसानेवाले बयान पर तीखे शब्दों में सुनाया हुआ दिख रहा है।

भारत किसी भी अन्य देश के अंदरुनि कारोबार पर टिप्पणी नहीं करता और अन्य देशों से भी भारत यही उम्मीद रखता है, यह बयान करके भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन को इशारा दिया था। जम्मू-कश्‍मीर समेत लद्दाख भी भारत का क्षेत्र था, है और इसके आगे भी रहेगा, यह बात श्रीवास्तव ने ड़टकर कही। साथ ही अरुणाचल प्रदेश को लेकर भी किसी भी प्रकार का विवाद नहीं बनता, यह भी भारत का ही अभिन्न अंग है, यह बात अनुराग श्रीवास्तव ने ड़टकर कही।

अगले दौर में भारत को उकसानेवाले बयान चीन करता है तो भारत के हाथ में भी चीन को मुश्‍किलों में फंसाने के लिए काफी मुद्दे हैं, इस बात का अहसास भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को कराया। खास तौर पर तैवान और तिब्बत, चीन के लिए काफी संवेदनशील मुद्दे भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपस्थित कर सकता है, यही अहसास भारत अलग अलग तरीके से चीन को दे रहा है।

विदेश मंत्रालय ने चीन को सीधे शब्दों में फटकार लगाई है और इसका कुछ पत्रकारों ने स्वागत किया है। लष्करी एवं आर्थिक स्तर पर भारत लगातार चीन को करारे प्रत्युत्तर दे रहा है। लेकिन, अब राजनीतिक स्तर पर भी चीन को उसीकी भाषा में जवाब देने का अवसर है, इसका अहसास भारत को हुआ है और यह बड़ी स्वागतार्ह बात बनती है, ऐसा इन पत्रकारों का कहना है।

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