‘ड्रोन’ हमलों का मुकाबला करने के लिए कश्‍मीर में तैनात सैनिकों को प्राप्त होगा विशेष प्रशिक्षण

श्रीनगर – जम्मू-कश्‍मीर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एवं कश्‍मीर के दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों पर ग्रेनेड़ हमले करन के लिए आतंकी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, यह चेतावनी गुप्तचर यंत्रणाओं ने दी थी। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय सेना ने अपने सैनिकों को ‘ड्रोन’ हमलों का मुकाबला करने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने की बात तय की है।

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्‍मीर में तैनात सैनिकों को प्रशिक्षण देने के लिए विशेष प्रशिक्षण मोड्यूल तैयार किया है। ‘१५ कोअर बैटल स्कूल’ में सैनिकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी जगह पर सैनिकों को युद्ध के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। अब इस ठिकाने पर संभावित ड्रोन हमलों का मुकाबला करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

कश्‍मीर घाटी में तैनात सेना अधिकारी एवं सैनिकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। सीमा पर तैनात सैनिकों को १४ दिन और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में शामिल सैनिकों के लिए २८ दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाए गए हैं। इस प्रशिक्षण की वजह से कश्‍मीर में तैनात सैनिकों को बड़ी सहायता प्राप्त होगी, यह दावा किया जा रहा है।

जम्मू-कशअमीर में स्थित आतंकियों को हथियारों की आपूर्ति के लिए आतंकवादी संगठन फिलहाल ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह बात बीते कुछ महीनों से दिखाई दे रही है। पंजाब और कश्‍मीर की सीमा पर कुछ ड्रोन्स भी सुरक्षा बलों ने मार गिराए हैं।

वर्तमान स्थिति में आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ करना कठिन हुआ है। साथ ही सुरक्षाबलों की जोरदार कार्रवाई की वजह से कई आतंकी मारे जा रहे हैं। इस वजह से ‘आयएसआय’ ने ‘ड्रोन’ का इस्तेमाल करने की योजना तैयार की है। घुसपैठ के दौरान भारतीय सैनिकों पर हमला करने के लिए आतंकियों को ड्रोन का इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण भी पाकिस्तान दे रहा है, यह जानकारी भी अब सामने आयी है।

गुप्तचर यंत्रणाओं से प्राप्त हुई इस जानकारी के बाद सुरक्षा यंत्रणा अधिक सतर्क हुई है और सैनिकों को ड्रोन गिराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर ‘ड्रोन’ एवं ‘ऐंटी ड्रोन सिस्टम’ खरीदने का भी प्रस्ताव रखा गया है और यह प्रस्ताव ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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