भारत ‘डीसीओसी/जेए’ में बतौर निरीक्षक शामिल

नई दिल्ली – रेड़ सी, एड़न की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित अफ्रिकी और खाड़ी देशों के समावेश वाले ‘जिबौती कोड ऑफ कंडक्ट/जेद्दा अमेंडमेंट’ (डीसीओसी/जेए) में भारत को बतौर निरीक्षक शामिल किया गया है। कुछ दिन पहले हुई अफ्रिकी और खाड़ी देशों के ‘डीसीओसी/जेए’ की बैठक में यह निर्णय किया गया था। इस समुद्री क्षेत्र में ड़कैती और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए ‘डीसीओसी/जेए’ गुट कार्यरत है। इसकी वजह से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ा है।

DCOC-Indiaबीते डेढ़ दशक से रेड़ सी, एड़न की खाड़ी एवं पश्‍चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में सफर करनेवाले व्यापारी एवं यात्री जहाज़ों के सामने संकट खड़ा हुआ है। सोमालिया, येमन में मौजूद छोटे-बड़े हथियारबंद गिरोहों ने इस समुद्री क्षेत्र में कोहराम मचाकर कई व्यापारी जहाज़ों को लूटा है। इससे संबंधित समुद्री क्षेत्र में सफर कर रहे अमरिकी और यूरोपिय जहाज़ों का नुकसान हुआ। इसलिए डकैतों से मुकाबला करने के लिए वर्ष २००७ में विश्‍व के प्रमुख देशों ने संबंधित समुद्री क्षेत्र में अपने युद्धपोत, विध्वंसक एवं तटरक्षक बल के पोत तैनात किए। इसी दौरान वर्ष २००९ में इस समुद्री क्षेत्र के देशों ने मिलकर ‘डीसीओसी/जेए’ गुट गठित किया।

इस ‘डीसीओसी/जेए’ गुट की कुछ दिन पहले अहम बैठक हुई। इस बैठक के लिए भारत को इस गुट के निरीक्षक देश के तौर पर नियुक्त करने का ऐलान किया गया। जिबौती के साथ सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), दक्षिण अफ्रिका, सोमालिया, मॉरिशस और मालदीव जैसे कुल २० देशों के समावेश वाले इस गुट ने यह निर्णय किया। बीते कुछ वर्षों में भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने इस समुद्री क्षेत्र में हो रही समुद्री ड़कैतों के खिलाफ़ की हुई कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर यह निर्णय किया गया है। भारत की तरह अमरीका, ब्रिटेन, जापान और नॉर्वे भी ‘डीसीओसी/जेए’ के निरीक्षक देश बने हैं।

इसके कारण हिंद महासागर क्षेत्र समेत नज़दिकी समुद्री क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ेगा, यह दावा किया जा रहा है। ‘डीसीओसी/जेए’ में निरीक्षक के तौर पर भारत की ‘ब्ल्यू इकॉनॉमी’ को भी लाभ होगा, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है। ‘ब्ल्यू इकॉनॉमी’ यानी आर्थिक विकास के लिए समुद्री खनिज संपत्ति का किफायत से इस्तेमाल करना आवश्‍यक है और ‘इंडियन ओशियन रिम असोसिएशन’ के तहत भारत ने इस ‘ब्ल्यू इकॉनॉमी’ को अहमियत दी थी। इसके चलते ‘डीसीओसी/जेए’ का निर्णय भारत की ‘ब्ल्यू इकॉनॉमी’ के लिए सहायक साबित हो सकता है। इसके अलावा ‘डीसीओसी/जेए’ में निरीक्षक के तौर पर भारत का हुआ समावेश इंडो-पैसिफिक’ नीति के लिए भी सहायक साबित होगा।

हिंद महासागर के पश्‍चिमी एवं पूर्वी क्षेत्र में भारत की सामरिक अहमियत बढ़ेगी। ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ एवं ‘बेल्ट ऐण्ड रोड़’ की योजना के तहत भारत को घेरने की कोशिश कर रहे और जिबौती में लष्करी अड्डे का निर्माण करनेवाले चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने के लिए ‘डीसीओसी/जेए’ का हिस्सा होने का भारत का निर्णय सामरिक नज़रिए से बड़ा निर्णय साबित होगा, यह दावा माध्यमों से किया जा रहा है।

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