सरकारी टेलिकॉम कंपनियों ने लगाई चिनी उपकरणों पर पाबंदी – हुवेई और झेडटीई जैसी चिनी कंपनियों को लगेगा झटका

नई दिल्ली – चिनी सैनिकों ने किए कायराना हमले में २० सैनिक शहीद होने के बाद सरकार ने आर्थिक मोरचे पर चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी की है। इसकी शुरुआत बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी कंपनियों के निर्णयों से हुई है। इसके आगे ये दोनों कंपनियाँ चिनी कंपनियों के उपकरणों की खरीद नहीं करेगी। चिनी कंपनियों को इससे संबंधित टेंडर प्राप्त ना हों, इसलिए निविदा के नियमों में बदलाव किए जाएँगे, ऐसी ख़बरें प्राप्त हो रही हैं। इससे चीन की हुवेई और झेडटीई जैसी कंपनियों को झटका लगेगा। इसी बीच, भारतीय रेल ने भी चिनी कंपनी को प्रदान किया गया ४७१ करोड़ रुपयों का एक कान्ट्रैक्ट रद किया है। इसके अलावा, गुप्तचर यंत्रणाओं ने सुरक्षा के लिए खतरा साबित होनेवाले ५२ चिनी ॲप्स की सूचि केंद्र सरकार को भेजी है और इन ॲप्स पर भारत में पाबंदी लगाने की सिफ़ारिश भी की है।

Telecom companiesदेश की जनता के मन में चीन के विरोध में काफ़ी गुस्सा उमड़ रहा है और गुरुवार के दिन देश के कई शहरों में चीन के विरोध में प्रदर्शन किए गए। देश में चिनी सामान पर बहिष्कार करने की माँग और भी तीव्र होती दिखाई दे रही है। कुछ ज़गहों पर चिनी सामान को आग लगायी गयी। व्यापारी संगठनों ने भी चिनी सामान पर बहिष्कार करने का निवेदन किया है। अब सरकार भी चीन को बड़ा आर्थिक झटका देने की तैयारी में जुटी है। लद्दाख में चीन ने दगाबाजी करने के बाद, सरकारी कंपनियों में चिनी उपकरण एवं सामान की खरीद एवं इस्तेमाल बंद करने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसकी शुरुआत बीएसएनएल और एमटीएनएल से हुई है।

सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को चिनी कंपनियों के उपकरण एवं सामान का इस्तेमाल रोकने के आदेश दिए हैं। इसके अनुसार बीएसएनएल और एमटीएनएल इन सरकारी दूरसंचार कंपनियों ने सरकार के इस आदेश पर अमल करना शुरू किया है। ‘४जी’ तंत्रज्ञान अद्यतन करने के लिए आवश्‍यक उपकरणों की खरीद के लिए जारी की गईं निविदाएँ रद करने का निर्णय दोनों कंपनियों ने किया है और जल्द ही ये निविदाएँ रद की जाएँगी, ऐसा समाचार है। चिनी कंपनियों को दूर रखने के लिए यह निर्णय किया गया है। इससे टेलिकॉम क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कही जा रहीं चीन की हुवेई और झेडटीई को बड़ा झटका लगेगा, ऐसा कहा जा रहा है।

हुवेई और झेडटीई इन चिनी कंपनियों पर विश्‍वभर में, पहले ही जासूसी करने के आरोप हो रहे हैं। ये कंपनियाँ चिनी सेना से जुड़ी होने के दावे किए जा रहे हैं। ऐसे में, ऐसीं चिनी कंपनियों के कारण इस क्षेत्र में कार्यरत भारतीय कंपनियों के हित के लिए खतरा बना हैं, ऐसी शिकायते सरकार को प्राप्त हो रही थीं। साथ ही, चीन काफ़ी ज्यादा मात्रा में कन्सेशन्स दे रहा होने के कारण, सस्ते दामों में उपकरण दे रहीं चिनी कंपनियों के सामने अन्य कंपनियाँ खड़ी नहीं रह सकती हैं, यह कहा जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, चिनी कंपनियों के उपकरणों की खरीद ना करने का सरकारी टेलिकॉम कंपनियों ने किया निर्णय बड़ा अहम साबित होता है। साथ ही, देश की प्राइवेट कंपनियों के साथ भी चर्चा होगी और चिनी कंपनियों को दूर रखने के लिए सरकार योजना भी तैयार करेगी, ऐसी ख़बरें भी प्राप्त हुई हैं।

China-Huaweiभारत में दूरसंचार क्षेत्र का बाज़ार हज़ारों करोड़ रुपयों का है। इनमें से एक-चौथाई बाज़ार पर चिनी कंपनियों का कब्ज़ा है। इस वज़ह से, आनेवाले दिनों में चीन को हज़ारों करोड़ रुपयों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कानपूर और दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन के निर्माण के लिए, चीन की बीजिंग नैशनल रेल्वे रिसर्च ॲण्ड डिज़ाईन इन्स्टिट्युट ऑफ सिग्नल ॲण्ड एज्युकेशन लिमिटेड कंपनी को प्रदान किया हुआ ४७१ करोड़ रुपयों का कान्ट्रैक्ट रेल्वे ने रद किया है। इसके लिए तकनीकी कारण और कंपनी से हो रही देरी, यह कारण दिया गया है।

इसके अलावा भारत में इस्तेमाल हो रहें करीबन 52 चिनी ॲप्स पर जल्द ही पाबंदी लगने की संभावना है। एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, ये ॲप्स सुरक्षा के लिए खतरा हैं और डाटा देश के बाहर भेज रहे हैं, यह आरोप रखा गया हैं। इसकी वज़ह से इन ॲप्स पर या तो पाबंदी लगाएँ अथवा ये ॲप्स इस्तेमाल ना करने की सलाह सरकार जनता को दें, ऐसी सूचना इस रिपोर्ट में की गई है। इन ॲप्स में झूम, टिकटॉक, यूसी ब्राउझर, शेअरइट, क्लीनअप, वीचैट, वीगो विडियो, बिगो विडियो जैसें ॲप्स का समावेश है।

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