पश्चिम एशियाई क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ रहा हैं – प्रसिद्ध अमरिकी अभ्यासक का अनुमान

वॉशिंग्टन – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजिप्ट दौरे का दुनियाभर के विश्लेषक बड़ी गंभीरता से संज्ञान लेते दिखाई दिए। सिर्फ इजिप्ट ही नहीं, बल्कि पश्चिम एशिया के इस्रायल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सौदी अरब इन देशों पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा हैं, इसका संज्ञान प्रसिद्ध अमरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी ने लिया। पश्चिम एशिया में भारत के बढ़ते प्रभाव पर अमरीका ध्यान दे, क्यों कि, वहां नई व्यवस्था उभर रही हैं, ऐसी सलाह भी इस पत्रिका ने प्रसिद्ध किए लेख में दिया गया हैं। 

भारत का प्रभाव‘काउन्सिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ (सीएफआर) नामक प्रसिद्ध अमरिकी अभ्यास गुट के ‘मिडलईस्ट ॲण्ड अफ्रीका स्टडिज्‌’ विभाग के सिनिअिर फेलो स्टीवन कूक ने ‘फॉरेन’ पॉलिसी’ में यह लेख लिखा हैं। मौजूदा समय में चीन द्वारा दुनियाभर हो रहे निवेश एवं गतिविधियों पर अमरीका काफी बारीकी से देख रही हैं। ऐसे में पश्चिम एशिया के क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है, इसपर भी अमरीका ने ध्यान देना होगा, ऐसी सलाह स्टीवन कूक ने दी। एक दशक पहले भारत को खाड़ी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की महत्वाकांक्षा नहीं थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति अलग हैं, इस पर वर्णित लेख में कूक ने ध्यान आकर्षित किया है।

चीन की तरह भारत भी अपने उत्पाद यूरोप और अफ्रीका तक पहुंचाने के लिए ‘गेट वे’ के तौर पर इजिप्ट को देख रहा हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में किए इजिप्ट दौरे में दोनों देशों का घना सहयोग बड़ी तीव्रता से सामने आया। भारत के साथ रुपये के ज़रिये से कारोबार करने के लिए इजिप्ट तैयार हुआ हैं। साथ ही भातर भी इजिप्ट को बड़ी सहायता प्रदान कर रहा है, इसपर कूक ने ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही इस्रायल के साथ भारत का सहयोग योजना के तहत विकसित किया जा रहा है, इसपर स्टीवन कूक ने ध्यान आकर्षित किया।

वर्ष २०१७ में प्रधानमंत्री मोदी ने इस्रायल का दौरा किया था। इसके बाद वर्ष २०१८ में इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने भारत का दौरा किया। दोनों देशों का सहयोग हाल ही के समय में बड़ी तेजी से बढ़ रहा हैं और दोनों देश मुक्त व्यापारी समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत ने पैलेस्टिन का पक्ष अभी छोड़ा नहीं हैं। साथ ही इस्रायल के शत्रु ईरान के साथ भी भारत के अच्छे ताल्लुकात हैं। फिर भी भारत और इस्रायल के सहयोग विकसित हो रहे हैं, इसपर स्टीवन कूक ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसे में यूएई और सौदी अरब जैसे खाड़ी देशों के साथ भी भारता सहयोग हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, ऐसा कूक ने कहा।

भारत और अमरीका का सहयोग जारी है। लेकिन, भारत कोई ब्रिटेन की तरह अमरीका की नीति जैसी हैं वैसे ही अपनाने वाला देश नहीं। भारत की विदेश नीति स्वतंत्र हैं। यूक्रेन युद्ध में भारत ने रशिया विरोधी भूमिका अपनाना टाल दिया था। पश्चिम एशियाई देशों पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा है और तभी भारत की विदेश नीति की इस विशेषा पर अमरीका ने ध्यान देना ही होगा, ऐसा इशारा स्टीवन कूक ने दिया। साथ ही भारत यकिनन अमरीका के हितसंबंधों को नुकसान पहुंचाने वाला रशिया और चीन जैसा प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं।

इस वजह से रशिया और चीन जैसे देशों का पश्चिम एशिया में प्रभाव बढ़ने के बजाय इस क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ना अमरीका के पक्ष में होगा, इस पर भी वर्णित अभयासक ने ध्यान आकर्षित किया है।

अमरीका अब पश्चिम एशिया में सबसे प्रभावी देश नहीं रहा। यहां की व्यवस्था बदल रही है और नई व्यवस्था स्थापीत हो रही हैं। ऐसे दौर में इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव अमरीका ने अधिक बारीकी से देखने की ज़रूरत होने का दावा स्टीवन कूक ने किया। भारत का इस क्षेत्र में बनता प्रभाव हमार हित के लिए कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, इसपर अमरीका विचार करें, ऐसा इस अभ्यासक ने सूचित किया है। साथ ही रशिया और चीन सोच भी नहीं सकते उतना प्रभाव भारत का इस क्षेत्र पर हो सकता है, ऐसा कूक ने इस लेख में कहा है।

पिछले दस सालों में भारत की विदेश नीति में हुए बदलाव का संज्ञान दुनियाभर के विश्लेषक ले रहे हैं। साथ ही भारत की नीति चीन की तरह अतिमहत्वाकांक्षी देश की तरह वर्चस्ववादी नहीं हैं, यह अनुमान भी तटस्थ विश्लेषक दर्ज़ कर रहे हैं। जनतांत्रिक भारत का बढ़ रहा प्रभाव विश्व के लिए सकारात्मक हैं, यह स्वीकारने के लिए सभी विश्लेषक मज़बूर हो रहे हैं। साथ ही भारत का प्रभाव फैलने के साथ ही इससे कुछ झटके अमरीका और उसके मित्र देशों को लग सकते हैं, इसका अहसास यह विश्लेषक करा रहे हैं। स्टीवन कूक यही अनुमान व्यक्त करते दिख रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.