अमरीका के वॉशिंग्टन स्थित भारतीय दूतावास के सामने खलिस्तानी अलगाववादियों के प्रदर्शन – भारतीय पत्रकार भी हुआ लक्ष्य

वॉशिंग्टन – लंदन और अमरीका के सैन फ्रान्सिस्को के बाद वॉशिंग्टन में भी भारतीय दूतावास के सामने खलिस्तानी अलगाववादियों ने प्रदर्शन किए। इस दौरान ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ ईंडिया’ (पीटीआई) के पत्रकार ललित झा को गालीगलोच करके धक्का मुक्की की गई। स्थानीय पुलिस और सुरक्षा यंत्रणाओं ने हस्तक्षेप करने की वजह से यह मामला अधिक नहीं बिगड़ा। लेकिन, अमरीका में स्थित भारतीय दूतावास ने इस घटना का निषेध किया है। अमरीका, ब्रिटेन, कनाड़ा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय दूतावास और उच्चायोग के सामने बार-बार प्रदर्शन करके यह अलगाववादी अंतरराष्ट्रीय माध्यमों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश में जुटे होने की बात फिर से स्पष्ट हुई है।

भारतीय दूतावासवॉशिंग्टन स्थित भारतीय दूतावास ने इन प्रदर्शनों का तीव्र शब्दों में निषेध किया है। साथ ही भारतीय पत्रकार पर हमला होने के बाद बचाव करने वाली स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों का भारतीय दूतावास ने शुक्रिया अदा किया। इस मामले की वजह से कथित खलिस्तानियों का हिंसक चेहरा विश्व के सामने आया है, ऐसा दावा भारतीय दूतावास ने किया। पीटीआई के पत्रकार ललित झा दूतावास के सामेन प्रदर्शनों का वार्तांकन कर रहे थे, तब हमारा वीडियो बनाकर आप उसे भारत सरकार को दिखाते हैं, ऐसी आपत्ति प्रदर्शनकारियों ने जताई। पिछले कुछ दिनों से इन खलिस्तानी अलगाववादियों की पहचान कराकर उनके भारतीय पासपोर्ट रद किए जाएं, ऐसी मांग पूर्व सेना अधिकारी कर रहे हैं। साथ ही इन अलगाववादियों को भारत में प्रवेश न दें और उन्हें भारत से प्राप्त हो रही अन्य सुविधाएं भी बंद करें, ऐसी जोरदार मांग होने लगी है।

इस पृष्ठभूमि पर अपने निदर्शनों का वार्तांकन करने वाले भारतीय पत्रकार को यह अलगाववादी लक्ष्य करते दिखाई दिए। इससे पहले लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने हुए प्रदर्शनों के दौरान कुछ अलगाववादियों ने मास्क लगाकर अपनी पहचान छुपाने की कोशिश की थी। इसी बीच, कनाड़ा में किए गए भारत विरोधी प्रदर्शनों के मामले में भारत ने कनाड़ा के उच्चायुक्त को समन थमाया है। भारत ने कनाड़ा स्थित भारतीय उच्चायोग में घुसकर तोड़फोड़ करनेवालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

खलिस्तानवादियों के यकायक शुरू हुए प्रदर्शनों के पीछे पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आईएसआई’ का हाथ होने की कड़ी संभावना जताई जा रही है। साथ ही इन प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई करने के बजाय ब्रिटेन एवं कनाड़ा जैसे देश भारत पर दबाव डालने की कोशिश करने में जुटे हैं, ऐसे आसार दिखाई दे रहे हैं। इसका अहसास होने पर भारत ने इस मुद्दे को इन देशों के सामने उठाया और नई दिल्ली स्थित ब्रिटेन के उच्चायोग की सुरक्षा भारत ने कम कर दी थी।

इसके बाद खलिस्तानी अलगाववादियों के भारत विरोधी प्रदर्शनों को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है। फिर से भारत में खलिस्तान की मांग उठाकर अशांति और हिंसा फैलाने की कोशिश सफल नहीं होगी, ऐसा विश्लेषक कह रहे हैं।

भारत के पंजाब में बनी स्थिति को लेकर झूठे दावे करके विदेश के कुछ मुठ्ठीभर खलिस्तानी अलगाववादियों ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान चलाया है। कोई भी पंजाब की कथित स्थिति को परख सकता है, पंजाब सुरक्षित है। कोई भी खलिस्तानवादियों के दुष्प्रचार का शिकार ना बने, ऐसा लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा था।

अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावास भी बार-बार यह जानकारी सार्वजनिक करके खलिस्तानवादियों के दुष्प्रचार का जवाब दे रहे हैं। ऐसे में खलिस्तानी अलगाववादियों के प्रदर्शनों के बीच में प्रखर राष्ट्रवादी भारतीय इन प्रदर्शनों को उसी समय जवाब दे रहे हैं, यह भी स्पष्ट हुआ था। इसकी वजह से यह अलगाववादी अधिक बेचैन हो रहे हैं।

ऐसे में अलगाववादियों के प्रदर्शन अधिक हिंसक हो रहे हैं। इस पर भारत तीव्र प्रतिक्रीया दर्ज़ करेगा, ऐसी उनकी उम्मीद है और भारत का विदेश मंत्रालय इसे फिजूल अहमियत नहीं दे रहा है। साथ ही जिन देशों में यह प्रदर्शन हो रहे हैं उन्हीं देशों पर वहां के भारतीय दूतावास और उच्चायोग के सुरक्षा का ज़िम्मा है, इसकी याद भारत दिला रहा है। यह देश अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, कुछ देश अपनी और दूसरों की सुरक्षा को लेकर दोगली नीति अपना रहे हैं, ऐसी आलोचना भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.