‘एलएसी’ पर भारतीय सेना पुरी तरह से तैयार – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – चीन से जुड़े ‘लाईन ऑफ एक्च्युएल कंट्रोल’ (एलएसी) की स्थिति में अभी भी तनाव है। लेकिन, भारतीय सेना वहां की सुरक्षा के लिए बिल्कुल चौकन्ना हैं और किसी भी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पुरी तरह से तैयार हैं’, ऐसा विश्वास रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया। भारतीय सेना के ‘कमांडर्स कान्फरन्स’ को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री चीन के ‘एलएसी’ पर जारी तनाव का मुद्दा उपस्थित करके देश की पुख्ता भूमिका पेश करते दिखाई दिए।

भारतीय सेनासेना के ‘कमांडर्स कान्फरन्स’ की शुरूआत सोमवार को हुई और पांच दिन की इस परिषद में राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। खास तौर पर चीन और पाकिस्तान से जुड़ी सीमा पर रक्षा संबंधित चुनौतियों का एवं इसका मुकाबला करने के लिए रक्षाबलों की तैयारी की समीक्षा भी इस बैठक में होगी। चीन ने पिछले कुछ दिनों से अरुणाचल प्रदेश हमारा ही क्षेत्र होने के दावे ठोकना शुरू किया है। साथ ही तिब्बत के ल्हासा के करीब चीन नया ‘रन वे’ तैयार करने की कोशिश में होने के फोटो सार्वजनिक हुए थे। इसके ज़रिये ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में सेना के लिए बुनियादी सुविधाओं का विकास करके भारत पर दबाव बढ़ाने की तैयारी में चीन जुटा होने की बात नए से सामने आयी है। 

इस पृष्ठभूमि पर सोमवार को सेना के ‘कमांडर्स कान्फरन्स’ में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने ‘एलएसी’ का प्रमुखता से ज़िक्र किया। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर जारी तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की चर्चा हो रही है और यह चर्चा आगे भी जारी रहेगी। लेकिन, ‘एलएसी’ पर अभी भी तनाव कायम है और ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार सेना के पीछे पुरी तरह से खड़ी हैं। लद्दाख के एलएसी पर बड़े प्रतिकूल मौसम में आवश्यक उन्नत हथियार, रक्षा सामान और गरम कपड़े सैनिकों तक पहुंचाने को केंद्र सरकार प्राथमिकता दे रही हैं। सीमा की सुरक्षा केंद्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा।

इसके साथ ही एलएसी पर अच्छी सड़कों का निर्माण करने के लिए ‘बॉर्डर रोडस्‌‍ ऑर्गनाइजेशन’ (बीआरओ) ने किए काम की भी रक्षा मंत्री ने सराहना की। साथ ही भारतीय सेना एलएसी पर किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए पुरी तरह से तैयार हैं, यह विश्वास भी रक्षा मंत्री ने इस दौरान व्यक्त किया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी भू-राजनीतिक गतिविधियों का दाखिला देकर आने वाले समय में परंपरागत युद्ध के साथ ही अपारंपरिक, हाइब्रिड युद्ध का खतरा बन सकता है। साथ ही साइबर, सूचना और संपर्क व्यवस्था, व्यापार और वित्तीय क्षेत्र को आने वाले दौर के युद्ध से अलग रखना मुमकिन नहीं होगा। इस वजह से भविष्य के युद्ध की तैयार करते समय इन सभी मुद्दों का ध्यान रखकर रक्षा बलों को अपनी रणनीति तय करनी होगी, इसका अहसास रक्षा मंत्री ने इस दौरान कराया। 

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