अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ के करीब चीन ने किए निर्माण कार्य पर चिंता ना करें – रक्षा विभाग के सूत्रों की गवाही

नई दिल्ली – अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर चीन ने गांव बसाया है और वहां पर १०० घरों का निर्माण करने की बात अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन की एक रपट में दर्ज़ की गई थी। भारतीय माध्यमों ने इस खबर को अहमियत देकर उठाया। लेकिन, बीते छह दशकों से अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ का यह क्षेत्र चीन के कब्ज़े में है। चीन ने यकायक अतिक्रमण करके इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करके वहां पर गांव नहीं बसाया है। इस वजह से इसकी ज्यादा चिंता करने का कारण नहीं है, ऐसा भारतीय रक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा है। साथ ही यहां पर चीन की गतिविधियों पर भारतीय सेना की कड़ी नज़र होने की गवाही यह सूत्र दे रहे है।

रक्षा विभागलद्दाख से अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर चीन जोरदार लष्करी गतिविधियाँ और युद्धाभ्यास करके हमने यहां पर वर्चस्व पाने का भ्रम निर्माण कर रहा है। इसके अलावा, चीन की सेना का भारतीय सेना से ना टकराए, इसके लिए भी विशेष सावधानी बरत रहा है। लेकिन, लष्करी गतिविधियों के ज़रिये हम भारत के खिलाफ काफी कुछ कर रहे हैं, यह दिखाना अब चीन की ज़रूरत बनी है। अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर चीन ने गांव बसाने की तैयारी जुटाई है और वहां पर १०० घरों का निर्माण किया है। अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने अमरिकी संसद में पेश की हुई रपट में यह बात दर्ज़ की गई है।

भारतीय सेना के ‘असम रायफल्स’ की चौकी के क्षेत्र पर चीन ने १९५९ में अवैध कब्ज़ा किया था। तब से यह भूभाग चीन के नियंत्रण में है। बीते साठ वर्षों से अपने नियंत्रण में होनेवाले इस क्षेत्र में चीन बसा रहे गांव का निर्माण कार्य रोकना संभव नहीं होगा, यह संकेत रक्षा विभाग से जुड़े सूत्र दे रहे हैं। लेकिन, चीन की इस क्षेत्र में गतिविधियों पर भारतीय सेना की नज़र है। चीन इस क्षेत्र में भारतीय सेना को नुकसान नहीं पहुँचा पाए, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। वरिष्ठ सेना अधिकारी और राजनीतिक नेतृत्व ने यह गवाही भी दी है।

इसी बीच, एक ओर ‘एलएसी’ पर आक्रामक गतिविधियाँ करके भारत पर दबाव डालने की कोशिश करने वाला चीन दूसरी ओर भारतीय नागरिकों द्वारा उनका किया गया व्यापारी बहिष्कार हटाने का मांग कर रहा है। भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार १०० अरब डॉलर्स से अधिक है। इसका दाखिला देकर दोनों देश व्यापारी सहयोग अधिकाधिक बढ़ाएँ, यह आवाहन चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया। दोनों देशों की द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी दिखाई देने के बावजूद दिवाली के अवसर पर भातीय नागरिकों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने से चीन को लगभग सात अरब डॉलर्स का नुकसान पहुँचा है। विकल्प उपलब्ध होने पर भारतीय ग्राहक चीनी सामान को निश्चितरूप से ठुकराएँगे, यह संदेश इससे चीन को प्राप्त हुआ है।

कोरोना के संकट की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ और चीन की अंदरुनि आर्थिक स्थिति पर गौर करके भारत जैसा बड़ा बाज़ार खो देना चीन के लिए घातक साबित होगा। इस बात का अहसास होने से ही पहले के दौर में भारतीय ग्राहकों के हाथ में चीनी सामान के अलावा अन्य विकल्प ना होने के दावे करनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने अब भारत से अनुरोध की भूमिका अपनाई है।

लेकिन, दोनों देशों के व्यापारी एवं अन्य स्तरों के ताल्लुकात आम होने के लिए सीमा पर शांति और सौहार्दता की जरुरत है। इसके लिए चीन को दोनों देशों द्वारा किए गए सीमा नियोजन समझौते का सख्ती से पालन करना होगा, यह इशारा भारत ने चीन को दिया है। इसे अनदेखा करने के गंभीर परिणाम चीन को हर स्तर पर भुगतने पड़ेंगे, इस पर भारत लगातार ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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