भारत द्वारा चीन के विरोध में ‘मेगाफोन डिप्लोमसी’ का इस्तेमाल – चीन के सरकारी मुखपत्र का आरोप

Megaphone-Diplomacyबीजिंग – भारत के साथ किए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया और इसी कारण एलओसी पर तनाव निर्माण हुआ, इस भारत के आरोप पर ही ने प्रतिक्रिया दी है। चीन द्विपक्षीय समझौतों का आदर करता है, ऐसा एक देश के विदेश मंत्रालय ने कहा है। वही, चीन के सरकारी मुखपत्र आरोप कर रहे हैं कि भारत ‘मेगाफोन डिप्लोमसी’, यानी राजनीतिक स्तर पर होहल्ला मचा कर; चीन के विरोध में दुनिया की हमदर्दी कमा रहा है।

क्वाड की बैठक के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे। इस दौरे में उनकी ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरिस पेन की द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई। इस समय भारत और चीन की एलएसी पर बने तनाव पर बात करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने, इस तनाव के लिए चीन ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया था। भारत के साथ सीमा नियोजन के संदर्भ में किए समझौतों का चीन ने उल्लंघन किया। इस कारण एलएसी पर तनाव निर्माण हुआ, ऐसा आरोप जयशंकर ने किया।

चीन जैसा बड़ा देश द्विपक्षीय समझौते की कदर न करते हुए उसका खुलेआम उल्लंघन करता है, यह बहुत बड़ी चिंता की बात साबित होती है, ऐसा जयशंकर ने इस चर्चा में कहा था। अलग शब्दों में, चीन के साथ हुए द्विपक्षीय समझौते और चीन द्वारा किए जानेवाले दावे इनका भरोसा नहीं किया जा सकता, ऐसा संदेश जयशंकर ने दुनिया को दिया है। चीन ने विश्वासार्हता गँवाई होने की बात भारत के विदेश मंत्री ने अलग शब्दों में रखी हुई दिख रही है।

Jaishankar-Megaphone-Diplomacyपहले ही क्वाड की बैठक के कारण बेचैन हुए चीन ने, भारत के विदेश मंत्री ने किए बयानों की गंभीर दखल ली। चीन द्विपक्षीय समझौतों का आदर और पालन करनेवाला देश है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वँग वेनबिन ने कहा

साथ ही, सीमा पर भाईचारा और सौहार्द रखने के लिए चीन भारत के साथ काम कर रहा है और दोनों देश राजनीतिक तथा लष्करी स्तर पर चर्चा करके यह तनाव कम करेंगे, ऐसा भरोसा वेनबिन ने ज़ाहिर किया।

लेकिन दरअसल चीन की चुभन ही इस देश के सरकारी अखबार ने सामने लाई है। भारत चीन के विरोध में मेगाफोन डिप्लोमसी का इस्तेमाल कर रहा है, ऐसा दोषारोपण चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस अखबार ने किया। भारत ने सीमा भाग में शुरू किया निर्माण कार्य, यही चीन के साथ विवाद का प्रमुख मुद्दा है, ऐसा इस अखबार ने कहा है। ऐसा होने के बावजूद भी चीन ने गलवान वैली के संघर्ष के बाद संयमी भूमिका अपनाई। दोनों देशों ने यह विवाद सामोपचार से हल करने की बात मान्य की। लेकिन इसके बावजूद भी भारत चीन के विरोध में राजनीतिक स्तर पर होहल्ला मचाकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हमदर्दी जताने की कोशिश कर रहा है, ऐसा दोषारोपण ग्लोबल टाईम्स ने किया।

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