भारत अमरीका का समविचारी साझेदार देश – अमरीका के व्हाईट हाऊस का, ध्यान आकर्षित करनेवाला दावा

वॉशिंग्टन –  ‘अमरीका का समविचारी साझेदार देश होनेवाला भारत दक्षिण एशियाई तथा हिंद महासागर क्षेत्र का नेतृत्व कर रहा है। क्वाड संगठन को बढ़ावा देनेवाली शक्ति तथा इस क्षेत्र के देशों के विकास का इंजन यह भारत की पहचान है’, ऐसी जमकर प्रशंसा अमरीका के वाइट हाउस ने की है। हाल ही में संपन्न हुई क्वाड देशों की बैठक के बाद हालांकि व्हाइट हाउस ने भारत की यह प्रशंसा की, फिर भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रही चीन की मगरूरी के खिलाफ स्थापन हुए क्वाड का ध्यान चीन से रशिया की ओर मोड़ने का अजेंडा अमरीका चला रही है, ऐसा व्हाइट हाउस के माध्यम सचिव ने दी प्रतिक्रिया से सामने आ रहा है।

समविचारी साझेदारव्हाइट हाउस की माध्यमविषयक उपसचिव कॅरिन जीन-पेरी ने पत्रकार परिषद में, मेलबर्न में संपन्न हुई ग् की बैठक की जानकारी दी। इस समय भारत का जिक्र अमेरिका का समविचारी साझेदार देश ऐसा करके जीन-पेरी ने भारत का महत्व अधो रेखांकित किया । दक्षिण एशियाई क्षेत्र तथा हिंद महासागर क्षेत्र का नेतृत्व करने वाला भारत इस क्षेत्र के देशों की प्रगति और विकास का इंजन है, ऐसा दावा जीन-पेरी ने किया। भारत की यह प्रशंसा करते समय जीन-पेरी ने क्वाड की मेलबर्न में हुई बैठक में रशिया-युक्रेन समस्या पर चर्चा होने की बात स्पष्ट की। नियम पर आधारित जागतिक व्यवस्था को रशिया से होने वाले संभावित खतरे का मुद्दा अमेरिका ने इस बैठक में उठाया, ऐसा जीन-पेरी ने कहा।

उनके इस दावे में से एक ही समय पर कई बातें सामने आ रही हैं। जिस क्षेत्र में चीन की मगरूरी खत्म करने के लिए क्वाड की स्थापना हुई, उस इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का स्वतंत्र ज़िक्र करने के लिए बायडेन प्रशासन तैयार नहीं है। वहीं, जापान, ऑस्ट्रेलिया ये क्वाड के सदस्यदेश तथा फ्रान्स और ब्रिटेन ये युरोपीय देश बार-बार कह रहे हैं कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की बड़ी ताकत है। लेकिन बायडेन का प्रशासन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का उल्लेख जितना हो सके उतनी मात्रा में टाल रहा होकर, इसके ज़रिए अपनी नीति बदलने के संकेत दे रहा है। उसी के साथ, भारत का उल्लेख मित्र देश अथवा सहयोगी देश इस तरह करने के बजाए बायडेन का प्रशासन, भारत यह पार्टनर यानी साझेदार देश होने की बात पर गौर फरमा रहा है।

साथ ही, क्वाड का इस्तेमाल रशिया के विरोध में करने की बायडेन प्रशासन की इच्छा जीन-पेरी ने प्रदर्शित की, यह उल्लेखनीय बात साबित होती है। भारत का रशिया के विरोध में इस्तेमाल करने की कोशिश बायडेन प्रशासन ने इससे पहले भी की थी। रशिया के साथ किया एस-400 का समझौता भारत खारिज करें, अन्यथा अमरीका प्रतिबंध लगाएगी, ऐसी धमकी बायडेन प्रशासन ने दी थी। लेकिन उसकी परवाह न करते हुए भारत में रशिया के साथ यह समझौता पूरा किया था।

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